राष्ट्रीय
अराजक प्रवेश कर गए तो मचेगी खलबली।।
-चंद्रशेखर जोशी- (वरिष्ठ पत्रकार)
कक्षा से सत्ता तक अराजक प्रवेश कर गए तो खलबली मचेगी, बड़े नुकसान होंगे। तत्वों की शानदार सजावट मेंडलीफ ने की।
…सूत्रों से विज्ञान समझ न आएगा, नारों से समाज नहीं चलेगा। तत्व और व्यक्ति के गुण-सूत्र समझने जरूरी हैं। लाजिम है, सूत्र नहीं विज्ञान पढ़ेंगे, हर संरचना को जानेंगे। विज्ञान का उच्चतम रूप गणित जरूर समझेंगे।
…रसायन विज्ञानियों ने बताया कि धरती-अंबर, मृत-जीव, हवा-पानी सब कुछ तत्वों की पैदाइश हैं। तत्व अणुओं से बने। यौगिक और पदार्थ बनने की जटिल प्रक्रिया रसायनिक क्रियाओं की देन है। सदियों पहले जब ये पता चला तो तत्वों की खोज बढ़ती गई। उम्मीद थी कि धरती का सबसे अक्लमंद जीव संरचनाएं समझेगा, एक-दूसरे का जीवन सुधारेगा। खैर जो हुआ सो हुआ पर बात आगे बढ़ती रही।
…1869 में सबसे पहले रूस के रसायनशास्त्री मेंडलीफ ने एक लाजवाब काम कर दिया। उन्होंने तत्वों को समझने के लिए आवर्त सारिणी (Periodic Table) बनाई। उसी जमाने में जर्मनी के लोथर मेयर ने भी लगभग यही सिद्धांत दिया पर मेंडलीफ की सारिणी अमर हो गई। उन्होंने रसायनिक तत्वों को अणु-सूत्र (Molecular formula) के आधार पर आठ वर्गों में सजा दिया। उन्होंने कुछ ऐसे तत्वों के अस्तित्व की भी घोषणा की थी, जिनका तब पता न था और सारिणी की सातवीं पंक्ति में रिक्त स्थान छोड़ दिए गए। तब सक्रिय गैसों का ही ज्ञान था। बाद में निष्क्रिय गैसों की भी खोज हुई तो आवर्त सारिणी में नवां वर्ग जुड़ गया। वर्ष 1913 तक इस सजावट को राग, वर्नर, बोहर, बरी जैसे रसायन विज्ञानियों ने नया रूप दिया। रफ्ता-रफ्ता वर्गों की संख्या 9 से बढ़ाकर 18 हो गई। 2011 तक सारिणी में चार नए तत्व निहोनियम, मॉस्कोवियम, टेनेसाइन, ओगेनेशन को भी स्थान मिला और सातवीं पंक्ति पूरी हो गई।
…शालीन हाईड्रोजन सारिणी में आज भी दो स्थानों पर डटा है, लेकिन कुछ अराजक तत्व स्थान नहीं पा सके। असल में लैंथनाइड और एक्टीनाइड तत्वों की संरचना किसी से मेल नहीं खाती। रसायनशास्त्री बताते हैं एक्टीनाइड (Actinide) श्रेणी के 14 तत्वों का अंतिम इलेक्ट्रॉन 5-f कक्षक में प्रवेश कर जाता है। लैंथनाइड (Lanthanide) श्रेणी और भी अजब है। इनका नाभिकीय आकर्षण बढ़ता जाता है लेकिन ये उसे संतुलित नहीं कर पाते। इन तत्वों को कई बार स्थान देने की कोशिश हुई पर सारिणी की प्रकृति बदलने लगी, लिहाजा इन्हें हमेशा के लिए पंक्ति से बाहर कर दिया गया।
…समाज व्यवस्था चलाने के लिए भी सत्ता नाम की सारिणी बनी। इसमें सुधार होते रहे पर यह ढांचा मेंडलीफ सरीखे विज्ञानियों के हाथों नहीं रहा। सत्ता की किसी पंक्ति में कई बार अराजक तत्व प्रवेश कर जाते हैं। कभी ये सत्ता के शीर्ष पर चढ़ बैठते हैं। ऐसे तत्वों का आकर्षण गजब रहता है। इनके गुण-सूत्र आम लोगों से मेल नहीं खाते। स्थान पाते ही यह खलबली मचाते हैं, समूचा तंत्र बिगाड़ते हैं। इनकी हर क्रिया शांत समाज को आफतों में धकेल देती है और व्यवस्था गड़बड़ाने लगती है।
…फिर समाज विज्ञानी जुटते हैं, विकट संघर्ष छिड़ते हैं, कुछ नारे सूत्र बनते हैं, धूर्त तत्व इनसे घबराते हैं, वो सत्ता छोड़ भागते हैं।