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स्वास्थ्य के लिहाज से जानें 2023 का आम बजट, क्या है इसमें खास।

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स्वास्थ्य के लिहाज से जानें 2023 का आम बजट, क्या है इसमें खास।

गणेश जोशी (लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)


स्वास्थ्य बजट में कुल आवंटन सकल घरेलु उत्पाद का 2.1 प्रतिशत ही है. जबकि आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिनलैंड, ब्राजील जीडीपी का नौ प्रतिशत खर्च करते हैं. बांग्लादेश तक तीन प्रतिशत खर्च करता है. हमें भी आम लोगों को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य पर बजट बढ़ाना चाहिए, जिससे की इलाज के लिए किसी को कर्जा न लेना पड़े. हालांकि इस बार पिछले वर्ष की अपेक्षा 15 प्रतिशत बजट में बढ़ोत्तरी की है. यह बजट 89155 करोड़ रुपये है.

नर्सिंग
बहुत अच्छी पहल है कि देश में 157 नए नर्सिंग कॉलेज खुलेंगे. वर्तमान में देश में 30 लाख नर्सें ही हैं. अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानक देखें तो 2024 तक देश को 43 लाख नर्सें चाहिए. इस पहल से देश में नर्सिंग स्टाफ की कमी दूर हाे सकेगी. दूसरा, अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों को चलाने के लिए कुशल कामगार तैयार करने के नए पाठ्यक्रम शुरू होंगे. इस तरह के तरफ पाठ्यक्रम पहले शुरू हो जाने चाहिए थे. कोई बात नहीं देर से ही सही, कुछ तो अच्छा है.

स्किल सेल एनिमिया
स्किल सेल एनिमिया को 2047 तक समाप्त करने का लक्ष्य रखा है. इस पहल का स्वागत करना चाहिए. न जाने कितने बच्चे इस बीमारी से किशोरावस्था की दहलीज में पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. अब इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जमीनी स्तर पर ईमानदारी से काम करने की जरूरत होगी. वहीं महामारी को रोकने के लिए 70 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इसके लिए राष्ट्रीय नेटवर्क तैयार किया जाएगा.

फार्मा सेक्टर
विश्व स्तर पर भारत को वल्र्ड ऑफ फार्मेसी का दर्जा दिलाने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम लांच होगा. आने वाले समय में फार्मास्युटिकल क्षेत्र में अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम तैयार किया जाएगा. फार्मा उद्योग खुद का शोध कर सकेंगे. इससे गुणवत्ता व अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन भी संभव हो सकेगा.

मानसिक स्वासथ्य
मानसिक स्वास्थ्य पर इस बार 130 करोड़ रुपये खर्च होंगे. पिछली बार से यह योजना शुरू की थी। तब 120 करोड़ रुपये बजट रखा गया था. वैसे आज इस तरह के कार्यक्रम की बहुत अधिक जरूरत है. क्योंकि मानसिक समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. अभी भी लोग मानसिक समस्याओं को लेकर इलाज कराने को तैयार नहीं हैं. इसके लिए और अधिक जागरूकता की जरूरत है.

डिजिटल हेल्थ कार्ड
डिजिटल आइडी के लिए 341 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इस कार्ड में मरीज का पूरा दस्तावेज रहेगा. डाक्टर को कार्ड दिखाने से उसकी पूरी जानकारी उपलब्ध हो जाएगी. इससे डाक्टर को बीमारी को समझने और इलाज में आसानी होगी.

शोध
आइसीएमआर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की प्रयोगशालाओं का इस्तेमाल निजी क्षेत्रों के लिए भी किया जाएगा. निजी क्षेत्र के लोग भी इनकी लैब में शोध कर सकेंगे. फिलहाल आइसीएमआर के देशभर में 60 लैब हैं.

आयुष
इस बार आयुष मंत्रालय का कुल बजट 20 प्रतिशत बढ़ाकर 3647.50 करोड़ रुपये आवंटित किया है. राष्ट्रीय आयुष मिशन को 1200 करोड़ रुपये मिले हैं. 2022 की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक है. इससे आयुष अस्पतालों की संख्या बढ़ेगी. साथ ही पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का भी विस्तार होगा.

ये है जरूरत
नीति आयोग की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, देश की 50 प्रतिशत आबादी के पास केवल 35 प्रतिशत अस्पतालों के बिस्तर उपलब्ध हैं. पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के सुजाता राव का कहना है कि सरकार को स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांच के विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. यहां लोगों को नैदानिक चिकित्सा जांच की सुविधा मिलनी चाहिए, जिसके चलते लोगों को कई किलोमीटर दूर शहर जाना पड़ता है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बोले,
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव मनसुख मांडविया ने कहा कि प्रगति,उन्नति व नई गति का बजट. समाज के हर वर्ग को समर्पित स्वास्थ्य, शिक्षा, युवा उत्थान व आम आदमी को राहत देने वाला बजट है.

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