उत्तराखण्ड
इंस्पेक्टर राज,,,
देहरादून। प्रदेश के 58 थानों में इंस्पेक्टर
राज कायम करने के लिए पुलिस विभाग को दरोगाओं के 58 पद सरेंडर (समर्पित) करने पड़े हैं। इनमें 29 पद सीधी भर्ती और 29 ही पदोन्नति वाले दरोगाओं के पद सरेंडर हुए हैं। ताकि, सरकार पर वित्तीय बोझ न पड़े।
ऐसे में आने वाले समय में एएसआई को भी पदोन्नति के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। साथ ही सीधी भर्ती के पद कम होने से बेरोजगारों को भी झटका लगेगा। बता दें कि पुलिस मुख्यालय ने अलग-अलग कारण बताकर इन 58 थानों के उच्चीकरण का प्रस्ताव भेजा था, जिसे पिछले दिनों कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
प्रदेश में कुल 166 थाने हैं। इनमें अब तक 54 थाने ही इंस्पेक्टर स्तर के यानी कोतवालियां थीं। शेष 112 थानों में वरिष्ठ एसआई स्तर के अधिकारी बतौर एसओ बैठते थे। लेकिन, पुलिस मुख्यालय लंबे समय से इनमें से 58 थानों के उच्चीकरण
की योजना बना रहा था। ऐसा विभिन्न कारणों के चलते जरूरी बताया जा रहा था। मसलन बढ़ते साइबर अपराध को देखते हुए भी इसे वक्त की मांग बताया गया। कारण है कि आईटी एक्ट के मुकदमों की विवेचना इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी ही कर सकते हैं। इसके अलावा पुलिस मुख्यालय ने
उच्चीकरण के लिए जो कारण बताए उनमें अपराध एवं कानून व्यवस्था के साथ-साथ चारधाम यात्रा रूट को बड़ा कारण बताया। ताकि, इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारियों का इन सभी मामलों में अनुभव का लाभ मिल सके।
गत मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इन 58 थानों को कोतवाली बनाने पर मुहर लगा दी। मगर इसके लिए पुलिस विभाग में दरोगा के पदों की कटौती करनी पड़ी। सीधी भर्ती और पदोन्नति के 58 पदों को ही कम कर दिया गया। पिछले साल फरवरी में यह प्रस्ताव भेजा गया था। इसमें साफ कहा गया था कि पदों का सरेंडर होने से वित्तीय बोझ भी नहीं पड़ेगा।
अब पुलिस विभाग में ही चर्चाएं भी तेज हो गई हैं। हेड कांस्टेबल से एएसआई बने कर्मचारियों को अपनी पदोन्नति की चिंता सताने लगी है। साफ है कि 29 पद कम होने से पदोन्नति की संभावनाएं भी कम हो जाएंगी। इसके अलावा जो युवा पुलिस में दरोगा बनने के लिए तैयारियां कर रहे हैं सीधी भर्ती के पद कम होने से उनके भी संभावनाएं कम हो जाएंगी।











