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Kartik Purnima 2025:कार्तिक माह की पूर्णिमा कब है?

धर्म-संस्कृति

Kartik Purnima 2025:कार्तिक माह की पूर्णिमा कब है?



ॐ सौम्याय नमस्तुभ्यं चन्द्राय नमो नमः।

05 नवंबर 2025 बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा उपवास तथा स्नान, दानार्थ पूर्णिमा रहेगी
संपूर्ण वर्ष भर में सभी पूर्णिमा तिथियां महत्वपूर्ण होती है, परंतु कार्तिक माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व माना गया है।
मासानां कार्तिक: श्रेष्ठो देवानां मधुसूदन।
तीर्थं नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ।।
धार्मिक मान्यतानुसार कार्तिक माह को सर्वाधिक पवित्र माह माना गया है, कार्तिक माह का नाम वेदों में ऊर्ज ( ओज पूर्ण) नाम रखा था। वेदोत्तर काल में ऋषियों ने हिंदी महीनों के नाम नक्षत्रों के आधार पर रखने का निर्णय किया इस कारण पूर्णिमा कृतिका नक्षत्र में होने के कारण ऊर्ज माह का नाम कार्तिक माह रखा गया। धार्मिक मान्यतानुसार कार्तिक पूर्णिमा पर विष्णु भगवान ने मत्स्यवतार लिया था। इस कारण कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक महत्व बढ़ जाता है कार्तिक पूर्णिमा त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है, मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ ने कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है।

शुभ योग
कार्तिक पूर्णिमा, देव दीपावली पर अनेक शुभ योगों का निर्माण हो रहा है–सर्वार्थ सिद्धि योग, देव गुरु बृहस्पति अपनी उच्च राशि में विराजमान होकर हंस पंच महापुरुष राज योग का निर्माण कर रहे हैं, शुक्रादित्य योग पर्व को और भी विशेष बनाता है।
कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 04 नवम्बर 2025 रात्रि 10:37 से 05 नवम्बर 2025 सायंकाल 06:50 तक।
महत्व व उपाय
कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से विशेष महत्व है।
पूर्णिमा स्नान करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को अपार सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा नदी या किसी पवित्र नदी अथवा जलकुंड में स्नान व दीपदान करने से सभी तरह के कष्टों का नाश होता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।
जिन जातकों को संतान उत्पत्ति में बाधा आ रही हो, कार्तिक पूर्णिमा का उपवास रखने से संतति सुख प्राप्त होता है।

(चंद्रमा प्रत्येक जातक की जन्म कुंडली में जातक के मन की स्थिति को दर्शाता है और वैज्ञानिक आधार पर यदि चंद्रमा को समझेंगे तो चंद्रमा जल है यानि हमारे शरीर के भीतर 75% मात्रा में जल ही है अतः चंद्रमा हमारी जन्म कुंडली में सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है) जिन भी जातकों का चंद्रमा कमजोर हो या नीचस्थ हो या क्षीण हो, या चंद्रमा शनि, राहु,केतु से पीड़ित हो,ऐसे जातकों को कार्तिक पूर्णिमा से उपवास प्रारंभ करने से चंद्रमा मजबूत होता है, साथ ही ऐसे जातकों का कार्तिक पूर्णिमा पर सफेद वस्तुओं का दान करना अति शुभ फल कारक होता है। सफेद कपड़ा, चावल, चीनी, दही, मोती, शंख,चांदी, सफेद पुष्प भेंट आदि।
देव दीपावली, कार्तिक पूर्णिमा पर अपनी सामर्थानुसार दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

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