उत्तर प्रदेश
उत्तरायणी कौथिग-2023 का शुभारम्भ।
अग्रेजों की कुली बेगार, कुली उतार जैसी अमानवीय प्रथा के विरूद्व कुमॅंाऊ केसरी उत्तराखण्ड में भारतीय स्वस्ंत्रता आन्दोलन के जन नायक श्री बद्री दत्त पाण्डेय द्वारा उत्तरायणी कौथिग(मेले) प्राचीन बागेश्वर मेले से प्रारम्भ किया गया। यह आहिंसात्मक आन्दोलन उत्तरायणी मेले के एतिहासिक महत्व को और भी बल प्रदान करता है। सांस्कृतिक व एतिहासिक महत्व के प्रतीक उत्तरायणी त्यौहार आज उत्तराखण्ड के प्रत्येक क्षेत्र में बडे़ हर्षोंललास के साथ मनाया जाता है। जगह-जगह मेले के आयोजन, पवित्र सरयू तथा अन्य नदियों में स्नान और बच्चों का विशेष आकर्षण घुघुत (विभिन्न आकृतियों के मीठे पकवान) उत्तरायणी मेले के विशेष महत्व को दर्शाती है।
उत्तरायणी कौथिग(मेले) का शुभारम्भ अध्यक्ष गणेश चन्द्र जोशी, महासचिव महेन्द्र सिंह रावत, मुख्य संयोजक टी0एस0 मनराल, संयोजक के0एन0 चंदोला के नेतृत्व में श्री रामलीला मैदान महानगर से होगा।
पर्वतीय महापरिषद द्वारा वर्ष 2010 से प्रारम्भ किया गया तीन दिवसीय उत्तरायणी मेला वर्ष दर वर्ष अपना भव्य स्वरूप धारण कर रहा है। पर्वतीय महापरिषद के दूसरे उत्तरायणी मेले का शुभारम्भ विगत वर्षों की भॉंति इस वर्ष भी दिनांक- 14 जनवरी 2023 को प्रात- 11ः00 बजे श्री रामलीला मैदान, महानगर से शोभा यात्रा के रूप में होगा। गोमती नगर, तेलीबाग, कानपुर रोड, सरोजनी नगर व राजाजीपुरम् से आने वाली समस्त बसें व पर्वतीय वेश-भूषा में सभी महिलाए श्री रामलीला मैदान महानगर में एकत्रित होंगी। प्रातः 10ः00 बजे श्री रामलीला मैदान महानगर में अल्मोड़ा से आए पूरन राम का प्रसिद्व छोलिया दल के कलाकरों का गायन व छोलिया नृत्य तथा नन्दा राजजात शोभायात्रा के पीछे-पीछे पर्वतीय वेश-भूषा में विशाल जन समूह मेला स्थल की ओर प्रस्थान करेगा। उत्तरायणी मेले का उद्धाटन मुख्य अतिथि द्वारा दिन में 2ः00 बजे मेला स्थल पर होगा।
महापरिषद के अध्यक्ष गणेश चन्द्र जोशी ने बताया कि उत्तराखण्ड तथा उत्तर प्रदेश के अनेकों माननीय मंत्रीगण, मा0 सांसद, मा0 विधायकगण तथा प्रशासनिक अधिकारियों को उत्तरायणी मेले हेतु अतिथि एंव मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। महासचिव महेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि मेले में उत्तराखण्ड से अन्य प्रदेशों से अनेक सांस्कृतिक दल कल दिनांक-14 ़01 ़2023 को लखनऊ पहुॅंच रहे हैं।
मेले में आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं यथा महिलाओं की मटकी फोड, रस्सा-कसी, मेहन्दी प्रतियोगिता, बच्चों की चित्रकला, एंव अन्य सभी प्रतियोगिताओं एंव प्रतिभागियों का क्रम सुनिश्चित कर लिया गया है।
पर्वतीय महापरिषद द्वारा विभिन्न विधाओं में पुरस्कार भी प्रदान किए जाते है। जिनमें पर्वत गौरव सम्मान- 2023, वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली वीरता पुरस्कार, डॉं0 एम0 सी0 पन्त चिकित्सा सम्मान, श्री गोविन्द ंिसंह नयाल सामाजिक सेवा सम्मान, दीवान सिंह डोलिया लोक कला सम्मान, गोपाल उपाध्याय साहित्य सम्मान, श्यामाचारण काला पत्रकारिता सम्मान, बी0 एम0 शाह नाट्य कला सम्मान, नितिशा नेगी क्रीड़ा सम्मान, गौरा देवी महिला सम्मान, युवा सम्मान, उत्तरायणी कौथिग विशेष सम्मान, श्री रणवीर सिंह बिष्ट कला सम्मान प्रमुख है। ‘‘पर्वत गौर सम्मान-2023’’ पद्मश्री श्रीमती बसन्ती देवी बिष्ट को दिया जा रहा है जो कि जल संरक्षण, बालिकाओं की शिक्षा, महिला उत्थान एवं नशामुक्ति आन्दोलन से जुड़ी रही है। श्रीमती बसन्ती देवी बिष्ट ग्राम-दिगरा पिथौरा गढ़, उत्तराखण्ड की रहने वाली हैं तथा अपनी संस्था ‘‘कस्तूरबा महिला उत्थान मण्डल, कौशानी’’ के माध्यम से काम करती है।
रामलीला समिति महानगर के द्वारा इस अवसर पर को मक्रर संक्रान्ति के अवसर पर लगभग 500 कलाकारों व कार्यकर्ताओं को खिचड़ी भोज के साथ पर्वतीय पकवान भी खिलाये जायेंगे।
मेले में गहत की दाल, पहाड़ी भट, बाल मिठाई, चुटुक (पहाड़ी कालीन) व औषधीय जड़ी-बूटीयों के स्टॉल सज चुके है। कार्यक्रम हेतु भव्य पाण्डाल एंव स्टेज बनकर तैयार हो गया है।
प्रेस वार्ता में प्रो0 आर0सी0 पन्त, एन0 के0 उपाध्याय, पूर्व राज्यमंत्री नन्दन सिंह बोरा, ज्ञान पन्त, गोविन्द पाठक, सुमन रावत, के0एन0 पाठक, के0एस0 रावत, एम0एस0 मेहता,हरीश कांडपाल, शंकर पाण्डेय, गोविन्द बोरा, रवीन्द्र बिष्ट, गोपाल गैलाकोटी, भुवन जहांवासी सहित अनेक लोग उपस्थित थे।