साहित्य-काव्य
राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन शुरू
- उद्घाटन-
राष्ट्री़य कुमाउनी भाषा सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि-
पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल भगत सिंह कोशयारी द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। जिसमें उनके साथ साहित्यकार कौस्तुभानंद चंदोला, प्रो. बहादुर सिंह बिष्ट, प्रो. वीरेन्द्र सिंह बिष्ट, डॉ. एल. एम. उप्रेती, दयानंद आर्य। - स्वागत गीत-
विजडम पब्लिक स्कूल, रुद्रपुर के छात्र-छात्राओं द्वारा द्वारा।
पहला स्त्र-
अध्यक्षता उत्तराखंड भाषा संस्थान के सदस्य कौस्तुभानंद चंदोला द्वारा। संचालन- ‘पहरू’ कुमाउनी पत्रिका के संपादक नीरज पंत द्वारा किया गया।
- वक्ता-
‘पहरू’ पत्रिका के पूर्व संपादक और उत्तराखंड भाषा संस्थान के सदस्य डॉ. हयात सिंह रावत ने कहा कि-
१, 1728 ई. में रामभद्र त्रिपाठी द्वारा कुमाउनी में ‘चाणक्यनीति’ का अनुवाद। 1810 ई. से गुमानी पंत से आज तक कुमाउनी भाषा में साहित्य लगातार कुमाउनी में लिखा जा रहा है। आज कुमाउनी में साहित्य की सगभग सभी विधाओं में साहित्य लिखा जा रहा है।
कुमाउनी लेखक ब्रिगेडियर धीरेश जोशी ने कहा कि कुमाउनी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की जरूरत बताई। भाषा आठवीं अनुसूची में आने से उन्होंने बताया कि आधिकारिक भाषा का दर्जा मिलेगा, सरकार की योजनाओं का लाभ मिलेगा और संवैधानिक लाभ मिलेगा।
वक्ताओं ने कहा कि कुमाउनी कोयिवा पीढ़ी तक भी पहुंचाना बहुत जरूरी है और कुमाउनी को उत्तराखंड के विद्यालयी पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की नितांत जरूरत है।
दूसरा सत्र-
कुमाउनी भाषा, संस्कृति, कला, रंगमंच, फिल्म आदि पर पैनल चर्चा हुई। संचालन ‘पहरू’ उप संपादक शशि शेखर जोशी ने किया।
इस सत्र के विशेषज्ञ–
चारु तिवारी- भाषा एवं संस्कृति, मीरा जोशी- ऐपण, घनश्याम भट्ट- अभिनय, मनोज चंदोला- फिल्म, के. एन पांडे ‘खिमदा’- कुमाउनी रंगमंच, गोपाल चम्याल- कुमाउनी संगीत पर अपनी विशेषज्ञ राय रखी
- पुस्तक विमोचन–
विनोद जोशी कि किताब- यादोंकि फा्ंचि, ब्रेगेडियर धीरेश जोशी- कथांजलि, डॉ. मोहन चंद्र पंत, कुमाउनी लोककथाएं आदि किताबों का विमोचन। - पुरस्कार/ सम्मान-
कुमाउमीरा जोशी को ‘वैद्य कल्याण सिंह बिष्ट कुमाउनी संस्कृति सेवी सम्मान’, घनश्याम भट्ट ‘ गोपाल चम्याल, ललित मोहन सिंह जीना, गिरीश चंद्र जोशी, कुबेर सिंह कड़ाकोटी आदि को कुमाउनी भाषा, संस्कृति औल साहित्य में योगदान के लिए सम्मानित और पुरस्कृत किया गया।
शामिल भाषा प्रेमी-
दिल्ली से के.एन पांडे ‘खिमदा’, चारु तिवारी, फरीदाबाद- रमेश सोनी, बागेश्वर से किशन मलड़ा, डॉ. दीपा कांडपाल. महेन्द्र ठकुराठी, भास्कर नेगी, माया रावत (अल्मोड़ा), रमेश प्रकाश पर्वतीय (बागेश्वर), प्रवीण प्रकाश (मुनस्यारी ) आदि तमाम भाषा, संस्कृति प्रेमी शाम्िल रहे।







