साहित्य-काव्य
राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन का समापन
रुद्रपुर। राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन का अंतिम दिवस तिसरे दिन का उद्घाटन सुप्रीमकोर्ट के पूर्व जज प्रफुल्ल चंद्र पंत द्वार दीप प्रज्ज्वलन करकिया गया। उन्होंने कहा कि हमें नई पीढ़ी को कुमाउनी सिखाना और उनको अपनी मातृभाषा कुमाउनी सिखाना बहुत जरूरी है।
प्रस्ताव पारिता-
सम्मेलन में कुमाउनी को पाठ्यक्रम में शामिल करने भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में जगह दिलाने आदि आठ प्रस्ताव पास किए गए और प्रस्ताव पास कराकर उत्तराखंड शासन को भेजे जाऐंगे।
सम्मेलन में साहित्यकारों ने कुमाउनी को अधिकाधिक व्यवहार में लाने और पठन-पाठन की संस्कृति को बढा़वा देने पर जोर दिया।
वक्ता-
यूओयू का कुलपति प्रो. नवीन लोहनी, पंतनगर विवि के पूर्व कुलपति- डॉ. बहादुर सिंह बिष्ट, पंतनगर विवि के प्रो. आनंद सिंह जीना, ऐरीज के वैज्ञानिक मोहित जोशी, एडवोकेट जमन सिंह बिष्ट,
पूर्व स्वास्थ्य निदेशक डॉ. एल. एम. उप्रेती, पैरामाउंट पब्लिक स्कूल भूरारानी के संस्थापक आनंदसिंह धामी, रमेश चंद्र जोशी, के. पी. एस अधिकारी आदि ने कुमाउनी के विकास और प्रचार-प्रसारपर अपनी बात रखी। उत्तराखंड भाषा संस्थान का प्रभारी निदेशक जसविंदर कौर ने कहा कि उत्तराखंड भाषा संस्थान उत्तराखंड उत्तराखंड की समस्त भाषाओं के विकास के लिए समर्पित रूप से काम कर रहा है।
पुरस्कार-।
शंकर दत्त जोशी, शिवदत्त पांडे, कृपाल सिंह शीला को विभिन्न लेखन पुरस्कार योजनाओं में पुरस्कार प्रदान किया गया।
सम्मान–
डॉ. हयात सिंह रावत को ‘बहादुर बोरा श्रीबंधु कथा साहित्य पुरस्कार प्रदान किया गया।
शामिल रचनाकार-बहादुर सिंह बिष्ट (दिल्ली), विनोद पंत ( हरिद्वार), कैलाश चंद्र ( देहरादून ), खुशाल सिंह खनी, उदय किरौला, प्रवीण प्रकाश, माया रावत, प्रो. के.सी. जोशी, हेम पंत, डॉ. के, सी. चंदोला, डॉ. एल. एम. उप्रेती सहित साहित्य प्रेमी, भाषा प्रेमी और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।







