उत्तराखण्ड
आस्था के भरोसे नहीं, अब एटीएस की निगरानी में।
देहरादून: जैसे ही जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की ख़बर आई, जिसमें 26 मासूम ज़िंदगियाँ चली गईं, देश की सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए। पहलगाम की चुप्पियों ने देश के बाकी हिस्सों को जगा दिया। और फिर उत्तराखंड भी अछूता नहीं रहा। चारधाम यात्रा शुरू हो चुकी है, लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्ररी की ओर चल पड़े हैं सिर्फ़ आस्था के भरोसे नहीं, अब एटीएस की निगरानी में।
उत्तराखंड पुलिस ने इस बार कोई कोताही नहीं बरती। आतंकवाद निरोधक दस्ते यानी एटीएस के 118 जवानों को मैदान में उतारा गया है। इनमें 15 महिला कमांडो भी हैं हाँ, वो भी जिनकी आंखों में दृढ़ निश्चय है और जिनके हाथों में अत्याधुनिक हथियार।
ये कोई फिल्मी सीन नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत है। पुलिस सूत्रों की मानें तो एटीएस के इन जवानों को एनएसजी यानी देश की सबसे तेज़ और खतरनाक यूनिट से करीब 40 दिनों की कड़ी ट्रेनिंग दी गई है। ये ट्रेनिंग सिर्फ गोली चलाने की नहीं, हालात को समझने और उससे निपटने की कला भी सिखाती है।
चारधाम यात्रा मार्गों पर हर नुक्कड़, हर पड़ाव, हर भीड़भाड़ वाली जगह पर एटीएस की मौजूदगी है। ड्रोन से निगरानी हो रही है, क्यूआरटी यानी क्विक रिस्पॉन्स टीम तैनात की गई है, और कंट्रोल रूम में हर गतिविधि पर सीधी नजर रखी जा रही है।
डीजीपी दीपम सेठ कहते हैं “सुरक्षा के तमाम पहलुओं पर व्यापक कार्य योजना बनाई गई है। पुलिस, पीएसी, एटीएस, एसटीएफ, एसडीआरएफ सब अलर्ट मोड पर हैं।”
यह पहली बार है जब चारधाम यात्रा में इतनी बड़ी संख्या में महिला कमांडो तैनात की गई हैं। पहाड़ों की कठिन राहें, उबड़-खाबड़ रास्ते और ऊंचाई पर फैली ठंडी हवाओं के बीच ये महिलाएं न सिर्फ सुरक्षा दे रही हैं, बल्कि एक संदेश भी दे रही हैं “हम तैयार हैं।”











