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गरीबी से पहाड़ में होती है दिन में भी अंधेरी रात

उत्तराखण्ड

गरीबी से पहाड़ में होती है दिन में भी अंधेरी रात

जब हम सुबह उठते हैं हमें जिंदगी की एक नई उम्मीद नजर आती है, हम सोचते हैं आज का दिन हमारा शुभ होगा अखबार पढ़ते हैं तो पहले पन्ने में बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा होता है सरकार ने गरीबी कम करने के लिए उठाए अनेक कदम..
सरकार की योजनाओं से कम हुई गरीबी…
भारत में 5 सालों में हुए 20% लोग अमीर…
भारत में गरीबी में आई भारी कमी ..
और कुछ भी हो सकता है परंतु सच्चाई तो यह है कि ना ही आज करीबी कम हुई है ना ही कोई अमीर बना है ना ही उम्मीद की किरण अभी पहाड़ों में पहुंच पाई है जो हालात थे जो हालात हैं वही हालत आगे भी रह सकते हैं अगर इसी तरह से अंधेरा होता रहा तो

आज बात विस्तार से होगी हवा हवाई बात बिल्कुल नहीं आंकड़ों के साथ होगी और गरीबों के हितों के लिए क्या कुछ हो रहा है इस पर बात अवश्य होगी ।
भारत में नीति आयोग एक ऐसी संस्था है जिस पर भारत के लोग विश्वास करते हैं उसके आंकड़ों पर ही देश में लोगों को भरोसा है लेकिन कभी-कभी नीति आयोग के आंकड़े भी गरीबों के मामले में हमें सटीक नहीं लगते कहा गया कि भारत में गरीब आबादी पांच % से ज्यादा नहीं है यानी 100 में से केवल पांच लोग ही गरीब हैं लेकिन जब हम पहाड़ों में घूमते हैं तो इसकी स्थिति बिलकुल विपरीत दिखाई देती है घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण के निष्कर्ष हमें सही नहीं लगते हैं.. हमे यह विश्वास नहीं होता कि भारत में गरीबी केवल 5% है .

आइए आंकड़ों को समझते हैं .
एचसीईएस का सर्वेक्षण अगस्त 2022 से जुलाई 2023 के बीच में किया गया था इसमें 8723 गांव ग्रामीण और 6115 शहरी इलाकों से 261745 लोगों से आंकड़े लिए गए थे.
हम यह मान लेते हैं कि यह नमूना पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व कर रहा है और सर्वे की कार्य प्रणाली भी बिल्कुल सटीक ही होगी इसका उद्देश्य वर्तमान बाजार में कीमतों पर मासिक प्रति व्यक्ति आय की गणना करना था औसत के रूप में देखे तो एक व्यक्ति की मासिक आय ग्रामीण इलाकों में 3000 से कुछ ऊपर तो शहरी क्षेत्र में 4500 सौ के करीब है यह आंकड़े बताते हैं कि देश की जनसंख्या के 50 फीसदी लोगों की प्रति व्यक्ति आय ₹3000 से ₹4000 के बीच में है अब जरा आप खुद इस बात को समझने की कोशिश करो क्या नीति आयोग अपने आंकड़ों के लिए गंभीर है ..
कोई भी व्यक्ति इसका मासिक खर्च देखे तो ग्रामीण क्षेत्र में करीब 2112 रुपए मासिक या ₹70 प्रतिदिन है यह अगर शहरी क्षेत्रों में देखें तो प्रतिदिन हर व्यक्ति ₹100 कमाता है ..
अगर यह अमीरी है तो यह अमीरी सरकारों को मुबारक हो .
मेरा मानना है की सरकार द्वारा निर्धारित नीति आयोग को भी हर गांव में जाकर लोगों की समस्याओं को जानने का प्रयास करना चाहिए वास्तविकता तो यह है कि लाखों लोग जिन्हें औसतन ₹100 प्रतिदिन कमाने के आंकड़े दिखाए गए हैं वह ₹100 भी नहीं कमा रहे हैं यह कटु है लेकिन यही अटल सत्य भी ..
देश के मुद्दे से में पहाड़ में आऊं तो पहाड़ के अनेक लोग केवल खेती पर निर्भर रहते हैं कभी खेती में भारी नुकसान हो जाता है 3 महीने 90 दिन और कभी-कभी 90 दिन में वह कुछ नहीं कमाते जहां उनकी कमाई 9000 दिखाई जा रही है ..
आपको कुछ और आंकड़े दिखाते हैं हमारे देश के छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल इस समय सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुके हैं इस श्रेणी में हमारा राज्य अनेक राज्यों को बिछड़ता है इसका एकमात्र कारण यह है कि यहां पर्यटन आय का एक मुख्य स्रोत है कोई भी सरकार आए वह गरीबों की बात तो करेगी लेकिन गरीबी उन्मूलन के लिए क्या करेगी इसके जवाब किसी के पास नहीं है..
बहुत साल पहले इंदिरा जी का एक नारा था गरीबी हटाओ ना इस देश से गरीबी हटी ना इस देश से यह चुनावी नारा और वर्तमान सरकार भी गरीबों के हितों की बात कर कर गरीबों के लिए क्या कर रही है इसका एक विस्तार से उल्लेख किया जाना अति आवश्यक है..
सरकार गरीब 80 करोड लोगों को 5 किलो मुक्त राशन देती है और सरकार कहती है कि यह हम गरीबों को दे रहे हैं जो बहुत ही अच्छी योजना में मानता हूं और सच में हमारे देश में 140 करोड़ में से 80 करोड लोग गरीब हैं लेकिन वहीं दूसरी ओर कहती है कि हमने गरीबी को खत्म कर दिया है यह सच्चाई नहीं है यह बिल्कुल झूठ है गरीबी भुखमरी और इलाज के अभाव में लाखों लाख बच्चों को अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना अभी भी करना पड़ रहा है और कितने ही लोग स्वास्थ्य के अभाव में मर जाते हैं इसका आंकड़ा कोई सरकार कोई नीति आयोग या कोई सस्था जनता के सामने नहीं रखती..
सरकार ने दिल्ली की सड़कों में भीख मांगने पर रोक लगाई थी यह रोक देश के कुछ और हिस्सों में है इस आदेश से क्या भीख मांगना बंद होगा नहीं वह लोग कहीं दूसरे राज्यों में जाएंगे वहां रोड़ों में भी मांगेंगे आखिर उन्हें भीख मांगना क्यों पड़ रहा है इसका जवाब खोजा जाना चाहिए. गरीबी आज भी एक चुनावी नारा है लेकिन अब सच में एक आवाज आनी चाहिए गरीबी हटाओ गरीबी हटाओ केवल गरीबी हटाओ ।।

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