उत्तराखण्ड
रामगंगा रामभरोसे, कोसी की कोख भरने की हो रही तैयारीपिंडर के पानी को कोसी में डालने की मंशा, मगर रामगंगा की चिंता किसी को नही।
चौखुटिया (अल्मोड़ा)। जहां के जनप्रतिनिधि सोए हों ,और लोग उदासीन बैठे हों वहां की स्थिति वैसी ही होती है जैसी अपने चौखुटिया घाटी की हो रही है l क्षेत्र एक के बाद एक योजनाओं से वंचित हो रहा है परन्तु इसकी परवाह करने वाला कोई नही है l असल में भविष्य के जिस भयावक खतरे को लेकर मेरी चिंता है उस बारे में शायद बहुत सारे लोग सोच भी नही रहे होंगे l विकास के मामले में पिछड़ती जा रही चौखुटिया घाटी की जीवनदायनी कही जाने वाली रामगंगा नदी को भी उसी के हाल पर छोड़ दिया गया है। नदी से सैकड़ों योजनाएं तो बना ली पर उसकी सुध किसी ने नही ली। पिंडर नदी का पानी कोसी नदी में डालने की तैयारी चल रही है, वहीं चार दशक पूर्व से पिंडर के पानी को रामगंगा में डालने की योजना खटाई में पड़ती दिख रही है। परंतु यह भी तय है कि यदि जल्द ही रामगंगा का जलस्तर बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम नही उठाए गए तो फिर नदी के साथ ही तमाम योजनाओं व संबंधित जनता का अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है।
गैरसैंण के रामनाली नामक स्थान से निकलने वाली रामगंगा नदी में गढ़वाल से लेकर कालागढ़ तक तमाम पेयजल व सिंचाई की योजनाएं बनाई गई हैं। परंतु निरंतर सुखती जा रही रामगंगा की सुध किसी स्तर से नही ली जा रही है। चार दशक पहले पूर्व विधायक स्व. बिपिन त्रिपाठी के साथ ही क्षेत्र के कई बुद्विजीवियों ने पिंडर का पानी रामगंगा में डालने की मांग के साथ ही उसकी कार्ययोजना भी तैयार की थी। पूर्व ब्लाक प्रमुख पूरन कांडपाल के कार्यकाल में इससे संबंधित प्रस्ताव पारित कर भेजा गया था। बुद्विजीवियों का मानना है कि रामगंगा क्षेत्र की जीवन रेखा है उसके बिना जीवन की कल्पना करना भी बेकार है लिहाजा उसके अस्तित्व को बचाने के लिए पिंडर का पानी रामगंगा में डालना ही होगा।
इधर इस बीच प्रदेश सरकार द्वारा पिंडर के पानी को कोसी में डालने के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है परंतु रामगंगा के गिरते जलस्तर को लेकर कहीं कोई चिंता नही दिखाई दे रही है। जो क्षेत्र के लिए शुभ संकेत नही हैं।
कोई भी योजना बनाने से पहले पिंडर का पानी लाओ
भूतपूर्व सैनिक संगठन के ब्लाक अध्यक्ष शेरसिंह नेगी सहित तमाम लोगों का कहना है कि रामगंगा नदी से भविष्य में किसी भी तरह की पेयजल अथवा सिंचाई योजना बनाने से पहले रामगंगा का जलस्तर बढ़ाना जरूरी है। इसके लिए अतिशीघ्र पिंडर का पानी रामगंगा में प्रवाहित किया जाए l