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हरिद्वार में द्वितीय रवांल्टा सम्मेलन का आयोजन।

उत्तराखण्ड

हरिद्वार में द्वितीय रवांल्टा सम्मेलन का आयोजन।

देवभूमि उत्तराखण्ड के सीमांत जनपद उत्तरकाशी का पश्चिमोत्तर रवांई क्षेत्र अपनी सामाजिक—सांस्कृतिक विरासत के लिए सदैव से ही विख्यात रहा है। अपनी उन्हीं सामाजिक—सांस्कृतिक सरोकारों से जुड़े रहने के उद्देश्य से एक रोज पहले हरिद्वार में द्वितीय रवांल्टा सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें रवांई क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने को मिली।


इस सम्मेलन में हरिद्वार एवं रुड़की में विभिन्न संस्थानों में सेवाएं दे रहे रवांई क्षेत्र के रवांल्टा लोग अपने परंपरागत परिधान पहनकर बड़ी संख्या में शामिल हुए। कुछ संस्कृति प्रेमियों ने देहरादून—दिल्ली और ऋषिकेश से पहुंचकर कार्यक्रम का आनंद लिया।


बता दें कि हरिद्वार में रवांल्टा सम्मेलन की शुरुआत गत वर्ष ग्राम कोटी बनाल निवासी दिनेश रावत जो कि पेशे से शिक्षक हैं और वर्तमान में हरिद्वार जनपद में ही सेवा दे हैं, अपने क्षेत्र के कुछ साथियों जिनमें मुख्यत: संतोष सेमवाल, अमित गौड़, ताजवर चौहान, मनीष पंवार, बृजमोहन रावत, मदन चौहान, दिनेश नौटियाल, गंभीर चौहान, सहदेव रावत, रवि बिष्ट, मनोज कुमार, गुरूदेव राणा आदि के साथ मिलकर योजना बनायी। जिसमें लोग जुड़ते चले और कारवां बनता गया।


इस संबंध में दिनेश रावत बताते हैं कि— इस मुख्य उद्देश्य अपनी मुल्क व माटी से जुड़ा रहना है। अपनी भावी पीढ़ी को अपनी महान परंपराओं, सामाजिक—सांस्कृतिक विरासत तथा गीत—संगीत व नृत्य की सूर—लय व ताल से परिचित करवाना है। ताकि हम अपनी विरासत को बचाए और बनाए रख सकें।
बी.एच.ई.एल. हरिद्वार के सभागार में संपन्न हुए रवांल्टा सम्मेलन के पहले सत्र में बच्चों को अवसर दिया गया।बच्चो ने शानदार प्रस्तुतियां देते हुए खूब तालियां बटोरी। सभी बच्चों की हौसला अफाजाई हेतु उन्हें पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया गया।


ढोल—दमाऊ व रणसिंगों की धून, मांगल गीतों की मधुर स्वलहरियां, शंख ध्वनि, घंटी की टंकार तथा वैदिक मंत्रोचारण के साथ जैसे ही कलश पूजन और दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुभारंभ हुआ, पूरा वायुमंडल गूंज उठा। इस रंगारंग कार्यक्रम ने सभी को झूमने पर विवश कर दिया। पुष्प वर्षा के साथ लोक वाद्य, वादक और गीत—नृत्य में जुटे लोगों का जब स्वागत किया गया तो दृश्य देखते ही बन गए।
इसी बीच परिचय का दौर चला। बंगाण, गोडर—खाटल, गडूगाड़ रामा सिरांई, कमल सिरांई, बड़कोट, बनाल, ठकराल, मुंगरसंती आदि लगभग सभी पट्टियों का प्रतिनिधित्व पाकर सभी के चेहरे खिल उठे।


खान—पान, परिधान, आपसी मेल—मुलाकात के अतिरिक्त गीत—संगीत व नृत्यमय प्रस्तुतियों के साथ देर रात तक सभी रवांल्टा लोग सम्मेलन का आनन्द लेते रहे। कई लोगों से नया परिचय हुआ।

इस दौरान युवा उद्यमी योगेश तथा ऋचा बंधानी ने पहाड़ी उत्पादों का स्टाल भी सजाया हुआ था। साहित्य व संस्कृति प्रेमियों के लिए रवांई संबंधी साहित्य भी उपलब्ध करवाया गया था।


इस आयोजन को सफल बनाने में दिनेश रावत, अमित गौड़, संतोष सेमवाल, ताजवर चौहान, सहदेव रावत, शशि मोहन रावत, मदन चौहान, रवि बिष्ट, बृजमोहन रावत, राजेश बिष्ट, मनोज कुमार, गुरूदेव राणा, राकेश चौहान, दलवीर भंडारी, हरवीर चौहान आदि दिन—रात एक किए हुए थे।

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