उत्तर प्रदेश
एसजीपीजीआई के न्यूरोलॉजी विभाग ने तीसरे पार्किंसंस रोग जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन।
लखनऊ-एसजीपीजीआई के न्यूरोलॉजी विभाग ने तीसरे पार्किंसंस रोग जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। दिन की शुरुआत सुबह 6:00 बजे जागरूकता वॉक के साथ हुई और इसे संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर.के. धीमन ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस वाकेथान में प्रोफेसर संजीव झा, एचओडी, न्यूरोलॉजी के नेतृत्व में न्यूरोलॉजी विभाग के संकाय सदस्यों, डॉ. विमल पालीवाल, डॉ. रुचिका टंडन और डॉ. विनीता मणि, रेजिडेंट्स, आहार विशेषज्ञ, फिजियोथेरेपिस्ट, स्टाफ सदस्य और एसजीपीजीआई के विभिन्न विभागों के संकाय सदस्यों ने भाग लिया।
दोपहर में जागरूकता कार्यक्रम का उद्घाटन निदेशक प्रो.आर.के.धीमन ने किया। उन्होंने न्यूरोलॉजी विभाग को बधाई दी और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ऐसे और कार्यक्रम आयोजित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने पार्किंसंस रोग को अन्य विकारों से अलग करने की आवश्यकता पर जोर दिया,जैसे लिवर रोगों के रोगियों में पार्किंसंस रोग की तरह हो सकते हैं।
प्रोफेसर वी.एन. मिश्रा, एचओडी, न्यूरोलॉजी, आईएमएस, बीएचयू, जो सम्मानित अतिथि थे, ने इस बात पर विचार-विमर्श किया कि कैसे डोपामाइन को पीडी का कारण पाया गया, कैसे नए उपचार सामने आ रहे हैं और उन्होंने ध्यान पर भी जोर दिया।
न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर संजीव झा ने मरीजों को प्रेरित किया और उनसे सभी बाधाओं के बावजूद शारीरिक रूप से सक्रिय और तनाव मुक्त रहने का आग्रह किया।
संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक व न्यूरोलाजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विमल पालीवाल ने बताया कि धीमापन, कंपकंपी और अकड़न पी डी के सामान्य लक्षण हैं।
न्यूरोलॉजी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रुचिका टंडन ने रोग के इतिहास, लक्षणों के बारे में बताया और बताया कि पार्किंसंस रोग के मरीज़ यदि दवाओं के बाद अनियंत्रित गतिविधियों और अप्रत्याशित दवा परिणामों जैसे लक्षणों का अनुभव करते हैं तो वे डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी का विकल्प चुन सकते हैं। एसजीपीजीआई में डीबीएस कराने वाले मरीज बहुत अच्छा कर रहे हैं और उन्होंने इस अवसर पर बात भी की।
न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ. पवन कुमार वर्मा ने बताया कि डीबीएस की तकनीक बहुत सटीक और प्रभावी है। अंत में डाक्टर विनीता मणि ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
जागरूकता कार्यक्रम में डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ, न्यूरोलॉजिस्ट, आरएमएलआईएमएस, लखनऊ भी शामिल हुए, जिन्होंने पीडी के लिए दवाओं के बारे में बताया, डॉ. श्वेता पांडे, न्यूरोलॉजिस्ट, केजीएमयू, लखनऊ ने देखभालकर्ता सहायता पर बात की।
डॉ. जफर नेयाज, रेडियोलॉजिस्ट, एस जी पी जी आई, डॉ. सिद्धार्थ राय ,पी एम आर विभाग, आहार विशेषज्ञ डॉ. शिल्पी त्रिपाठी, फिजियोथेरेपिस्ट राजेंद्र कुमार और संगीत चिकित्सक रितेश सिंह ने भी रोगी प्रबंधन में अपनी-अपनी भूमिकाओं के बारे में बताया।