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तो इस वजह से टिहरी से भाजपा ने माला राज्येलक्ष्मी को टिकट दिया?

टिहरी

तो इस वजह से टिहरी से भाजपा ने माला राज्येलक्ष्मी को टिकट दिया?

2024 के लोकसभा इलेक्शन होने में अब ज्यादा लंबा समय नहीं बचा है, स्थिति कुछ ऐसी है कि उम्मीदवारों के नामांकन और चुनाव की तारीखों का ऐलान किसी भी दिन किया जा सकता है। पांच लोकसभा सीटों वाला राज्य उत्तराखंड राजनीति के लिहाज़ से बेहद महत्त्वपूर्ण राज्य है। उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों का अपना अपना इतिहास रहा है, पांचों सीटें कुछ न कुछ कहानी बयां करती है। उत्तराखंड की राजनीति को समझने के लिए एक एक के सीट इतिहास पर विस्तार से चर्चा करनी पड़ेगी, इसीको समझने के लिए आज हम उत्तराखंड की टिहरी लोकसभा सीट के इतिहास के बारे में जानेंगे। टिहरी के राजनीति इतिहास को जब आप खंगालेंगे तो पाएंगे कि इस सीट का इतिहास बड़ा ही अनोखा रहा है। लेकिन इतिहास की बात करने से पहले दो शब्दों में इस सीट पर वर्तमान में क्या चल रहा है इस पर नज़र डाल लेते हैं। टिहरी लोकसभा सीट पर वर्तमान में माला राज्यलक्ष्मी हैं ये दूसरी बार सांसद बनी है, और भाजपा ने एक बार फिर से माला राज्यलक्ष्मी पर ही दांव खेलने का मन बनाया है। इस बार फिर से भाजपा ने टिहरी लोकसभा सीट से माला राज्यलक्ष्मी को टिकेट देखकर बतौर उम्मीदवार उतारा है। लेकिन भाजपा ने यूं ही नहीं ये बड़ा फैसला लिया है इसके पीछे की क्रोनोलॉजी समझने के लिए थोड़ा विस्तार से आपको यहां कि राजनीति समझनी होगी। माला राज्येलक्ष्मी राजघराने से ताल्लुक रखती है, और इस निर्वाचित सीट से जीतने भी भाजपा के उम्मीदवार जीते है वो सब राजशाही परिवार से ताल्लुक रखते है। इस बात को आसानी से समझने की कोशिश करते हैं। अभी तक टिहरी लोकसभा सीट पर कुल 17 बार चुनाव हुए हैं जिसमें 11 बार भाजपा ने जीत हासिल की है, और 6 बार जीत कांग्रेस की झोली में गई। 11 बार भाजपा का दबदबा इस सीट पर रहा है, और जिन उम्मीदवारों ने सांसद बनकर भाजपा को जिताया है वो सभी राजशाही परिवार के रहे है।

1952 में पहली बार में इस सीट पर राज परिवार की कमलेंदुमति शाह निर्दलीय चुनाव जीती थीं। उनके बाद कांग्रेस से मानवेंद्र शाह ने 1957, 1962 और 1967 के लोकसभा चुनावों में विजयी रहे। 1991 से 2004 तक हुए पांच आम चुनावों में मानवेंद्र शाह भाजपा से लगातार चुनाव जीते। इस सीट पर आठ बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भी राजशाही परिवार के मानवेंद्र शाह के नाम है। 2012 में टिहरी लोस सीट पर हुए उपचुनाव में पहली बार माला राज्यलक्ष्मी भाजपा से उम्मीदवार बनाई गईं और निर्वाचित हुईं। इसके बाद पार्टी ने उन्हें 2014 और फिर 2019 में उम्मीदवार बनाया। दोनों चुनाव में वह विजयी रहीं। टिहरी संसदीय क्षेत्र में राज परिवार के दबदबे को देखते हुए पार्टी ने एक बार फिर माला राज्यलक्ष्मी शाह पर भरोसा जताया। इतना ही नहीं बल्कि माला राज्येलक्ष्मी के नाम पहली सांसद बनने का रिकॉर्ड भी दर्ज है। राज्य निर्माण के बाद पहली महिला जो सांसद बनी वो माला राज्यलक्ष्मी ही थी।

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