बेतालघाट
बेतालघाट सड़क हादसा: एक साथ अनेक विभागों की बड़ी गलतियों ने छीनी तीन लोगों की जिंदगी , यह हैं जिम्मेदार ?
नियमों की अनदेखी से हो रहे हैं लगातार सड़क हादसे
बेतालघाट – जिंदगी जब मिलती है तो उसी के साथ व्यक्ति की मौत भी लिख दी जाती है ऐसा कहा जाता है लेकिन अगर व्यक्ति सही फैसला ले और नियमों का पालन करें तो जल्दी होने वाली मौत से बच सकता है लेकिन अफसोस यह है कि हमारे देश में नियम कानून का खुलेआम मजाक बनाया जाता है नियम कानून को ताक पर रख दिया जाता है केवल नियम कानून को ताक पर नहीं रखा जाता बल्कि लोगों की जिंदगी को भी छीन लिया जाता है और फिर हमारे देश में व्यवस्था ऐसी है कि सुविधाओं के नाम पर करोड़ों रुपए का बजट तो आता है लेकिन वह बजट आने के बाद भी जरूरत के समय सुविधाएं नहीं पहुंच पाती चाहे वह एंबुलेंस हो या फिर पुलिस , आज हम ऐसी बात क्यों कर रहे हैं तो आपको बताते हैं बेतालघाट में हुए सड़क हादसे में क्या कुछ हुआ और किसकी लापरवाही से तीन लोगों की मौत हुई और कैसे एक पिकअप में 30 से ज्यादा लोगों को लाद दिया गया , पहाड़ी मार्गों पर रात में वाहनों की आवाजाही पर रोक होने के बावजूद खुलेआम यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं।
ओवरलोड वाहन और यातायात नियमों की अनदेखी हादसों का कारण
आए दिन ओवरलोड वाहन और यातायात नियमों की अनदेखी हादसों का कारण बनती हैं।घटना रविवार रात की है जहां बेतालघाट में पिकअप दुर्घटना के पीछे का कारण भी ओवरलोडिंग है । पिकअप वाहन होने के बावजूद इसमें 32 यात्रियों को भर कर ले जाया जा रहा था। जिस जगह पर हादसा हुआ है उससे ठीक नीचे कई मीटर गहरी खाई थी। पहाड़ी क्षेत्रों में एक तरफ यातायात नियमों की अनेदखी दूसरी तरफ बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के कारण रोज हादसों में लोगों की जान जा रही है। आए दिन होने वाले हादसों के बावजूद न तो स्वास्थ्य विभाग सक्रिय रहता है ना ही परिवहन विभाग सख्ती बरतता है , रविवार रात बेतालघाट में पिकअप पलटने से तीन लोगों की मौत ने एक बार फिर एंबुलेंस सेवा की पोल खोल दी। हादसे के बाद वहां मौजूद लोगों के द्वारा कई बार एंबुलेंस सेवा को फोन किया गया, लेकिन फोन उठाया ही नहीं ।
घटना स्थल पर तीव्र मोड़ है, जिसमें चालक के लिए कोई संकेतक भी नहीं
फिर किसी तरह स्थानीय लोगों ने निजी वाहनों से घायलों को अस्पताल तक पहुंचाया। बड़ी बात यह है कि इस मार्ग पर हादसे रोकने को लेकर कैश बैरियर तक नहीं हैं। घटना स्थल पर तीव्र मोड़ है, जिसमें चालक के लिए कोई संकेतक भी नहीं है। तो इसमें सबसे बड़ी गलती तो उस पिकअप वाले की ही है जो ओवरलोड कर कर अपनी पिकअप को ले जा रहा था और फिर दूसरी बड़ी गलती परिवहन विभाग की है कि रोड़ों के किनारे सुरक्षा के इंतजाम क्यों नहीं किए गए और अगली गलती स्वास्थ्य विभाग की है आखिर 24 घंटे सेवा प्रदान करने वाली एंबुलेंस सेवा ने कॉल क्यों नहीं उठाया अगर उचित समय पर एंबुलेंस पहुंचती तो क्या पता कोई जान बच जाती। यानी कुल मिलाकर कह सकते हैं कि जब लापरवाही सभी ओर से होने लग जाए तो उसका अंजाम गलत ही होता है