देहरादून
सरकारी विद्यालयों के बच्चे पढ़ेंगे अब उत्तराखंड का इतिहास : हमारी विरासत और विभूतियां नई किताब हो गई तैयार ।।
बच्चे राज्य आंदोलन के इतिहास के साथ ही कारगिल के बलिदानियों को पढ़ेंगे।
देहरादून – उत्तराखंड के सरकारी विद्यालयों में प्रारंभिक कक्षाओं के बच्चे राज्य आंदोलन के इतिहास के साथ ही कारगिल के बलिदानियों को भी पढ़ेंगे। वर्ष 2022 में सीएम धामी की घोषणा के बाद राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने हमारी विरासत और विभूतियां पुस्तक तैयार की है, इसे कक्षा छह से आठ तक सामाजिक विज्ञान विषय की सहायक पुस्तिका के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इसका प्रस्तुतीकरण किया गया। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की निदेशक वंदना गव्यर्याल ने बताया, बाल साहित्य के रूप में इस पुस्तक को तैयार किया गया है।
राज्य में स्थित झील, झरने,वेशभूषा, खानपान और संस्कृति की जानकारी मिलेगी
इसके माध्यम से छात्र-छात्राओं को राज्य में स्थित झील, झरने,वेशभूषा, खानपान और संस्कृति की जानकारी मिलेगी। प्रारंभिक कक्षाओं में छात्र- छात्राएं श्रीदेव सुमन, तीलू रौतेली समेत कई महान विभूतियों के बारे में पढ़ेंगे।वहीं, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी यह पुस्तक एक आधार बनेगी। इस पुस्तक के माध्यम से बच्चों को चौंदकोटजनशक्ति मार्ग की गाथा भी पढ़ने को मिलेगी।
काली कुमाऊ के क्रातिकारी कालू मेहरा, माधो सिंह भंडारी, वीर केसरीचंद, सोबन सिंह जीना आदि के बारे में जानकारी
पुस्तक निर्माण में समन्वयक सुनील भट्ट बताते हैं। कि पौड़ी जिले में 33 किमी का यह मार्ग सामुदायिक सहभागिता और श्रमदान का बड़ा उदाहरण है। इसके अलावा 1951 में टिहरी जिले के बुड़ाकेदार की साझा चूल्हे की कहानी भी पढ़ने को मिलेगी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, पुस्तक में छात्र राज्य की विभूतियों काली कुमाऊ के क्रातिकारी कालू मेहरा, माधो सिंह भंडारी, पुरिया नैथानी, वीर केसरीचंद, सोबन सिंह जीना, मुंशी हरि प्रसाद टम्टा, खुशीराम और राज्य आंदोलनकारी हंसा धनाई व बेलमति चौहान, नागेंद्र सकलानी व कारगिल शहीद मेजर राजेश अधिकारी, विवेक गुप्ता, अशोक चक्र विजेता गजेंद्र सिंह बिष्ट, विपिन त्रिपाठी, गिरीश तिवारी गिर्दा, गंगोत्री गब्यर्याल, महादानी जसोली , आदि को पढ़ेंगे ।
भगवान राम का उत्तराखंड से जुड़ाव भी पड़ने को मिलेगा
अधिकारियों के मुताबिक पुस्तक में भगवान राम का उत्तराखंड से जुड़ाव भी पड़ने को मिलेगा। पुस्तक में गढ़वाल से कुमाऊं तक राम मंदिर और उनकी पूजा शैली की जानकारी दी है । उत्तराखंड के पौड़ी जिले के सितीस्यू में माता सीता का मंदिर है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यहां सीता माता ने भू समाधि ली थी। उसे भी पुस्तक में शामिल किया है।।