धर्म-संस्कृति
स्कंदमाता नवदुर्गा का पांचवां स्वरूप।
स्कंदमाता, जो कि नवदुर्गा के पांचवें स्वरूप के रूप में जानी जाती है, देवी दुर्गा का एक महत्वपूर्ण रूप है। वह नाम स्कंदमाता क्योंकि वह भगवान कार्तिकेय, जिन्हें स्कंद भी कहा जाता है, की मां माने जाते हैं। स्कंदमाता दुर्गा के पांचवें दिन के पूजन में मानी जाती है और उनकी आराधना का महत्वपूर्ण स्थान है।
स्कंदमाता को आमतौर पर एक दिव्य रूप में प्रस्तुत किया जाता है। वह तीन आंखों वाली होती हैं, और उनके चेहरे पर आनंद का आभूषण दिखता है। वह एक बच्चे, भगवान कार्तिकेय, को अपने गोद में लिए हुए होती हैं, जिससे उन्का इस रूप का नाम स्कंदमाता पड़ता है।
इनकी पूजा से दरिद्रता और दुखों से मुक्ति प्राप्त होती है.
वे अपने भक्तों के जीवन में खुशियाँ और सफलता लाती हैं.
स्कंदमाता की आराधना करने से पारिवारिक समृद्धि मिलती है.
उन्हें सिंह वाहन पर बैठे दिखाया जाता है, जो साहस और वीरता का प्रतीक होता है.
इस प्रकार, स्कंदमाता दुर्गा के पांचवें स्वरूप के रूप में भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में आराध्य हैं, और उनकी पूजा से भक्तों को सुख, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति होती है।