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इस मंदिर में देवी करती है अग्नी स्नान।

उत्तराखण्ड

इस मंदिर में देवी करती है अग्नी स्नान।

तो भारत देश में कई अनोखे और चमत्कारी मंदिर है, जिनकी अनोखी और रहस्यमई कहानियां आज भी भक्तों को अचंभित करती हैं, हमने कई बार देखा है कि मंदिर में पूजा अर्चना के दौरान देवी देवताओं को जल से स्नान करवाया जाता है, दूध से स्नान करवाया जाता है, शहद से स्नान करवाया जाता है, तमाम पदार्थ होते हैं जिससे हम अपने हिंदू देवी देवताओं को स्नान करवाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी देवी देवताओं का अग्नि..से स्नान सुना है? आज मैं आपको एक ऐसे ही अनोखे और रहस्यमई मंदिर के बारे में बताने वाली हूं, जहां देवी अग्नि स्नान करती है। यह मंदिर भारत में ही मौजूद है जहां देवी अग्निस स्नान करती है और अपने अग्नि स्नान के लिए अग्नि की व्यवस्था भी देवी माता खुद करती है। ये रहस्यमई मंदिर भारत के राजस्थान में मौजूद है।राजस्थान की खूबसूरती के बीच मौजूद ईडाणा  माता का यह रहस्यमई मंदिर, आज भी एक रहस्य का विषय बना हुआ है। कई बार इस मंदिर में आग लगती है जिसको “देवी अग्नि स्नान कर रही है” इस रूप में देखा जाता है। ये आग कब लगती है, कैसे लगती है, आज तक कोई नहीं जान पाया? लेकिन यह आज क्यों लगती है, इसका जवाब हर किसी के पास है। कहा जाता है कि जब देवी माता बेहद प्रसन्न होती हैं तब वह अग्नि प्रज्वलित करके अपने भक्तों को आशीर्वाद देती है। खुश होती है तो अग्नि स्नान करती हैं और इसी तरीके से महीने में 2 से 3 बार अपने आप इस मंदिर में आग लगती है। मंदिर में दिया,घी, धूप, बत्ती, कहीं ऐसे कारण मौजूद है जो आग लगाने में मदद करते हैं, लेकिन ईडाणा माता का इकलौता मंदिर पूरे भारत में ऐसा है जहां इन सबकी वजह से आग नहीं लगते। बल्कि इस आग को चमत्कारिक कहा जाता है। राजस्थान के उदयपुर शहर से 60 किमी दूर अरावली की पहाड़ियों में स्थित है ये मंदिर। इस मंदिर के ऊपर कोई छत नहीं है और एकदम खुले चौक में स्थित है। इस मंदिर का नाम ईडाणा उदयपुर मेवल की महारानी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। स्‍थानीय लोग बताते हैं यहां महीने में कम से कम 2-3 बार स्‍वत: ही अग्नि प्रज्‍जवलित हो जाती है और इस अग्नि में माता की मूर्ति को छोड़कर उनका पूरा श्रृंगार और चुनरी सब कुछ स्‍वाहा हो जाता है। इस अग्नि स्‍नान को देखने के लिए भक्‍तों का मेला लगा रहता है। मूर्ति के पीछे चुनरी के ढेर में पहले चिंगारी सुलगनी शुरू होती है। धीरे-धीरे धुआं उठता है, और देखते ही देखते माता की पूरी मूर्ति आग की लपटों में घिर जाती है। मंदिर के पुजारी के अनुसार ईडाणा माता पर अधिक भार होने पर माता स्वयं ज्वालादेवी का रूप धारण कर लेती हैं। ये अग्नि धीरे-धीरे विकराल रूप धारण करती है और इसकी लपटें 10 से 20 फीट तक पहुंच जाती है।जिस तरह मंदिर में खुद ही आग लगती है और उसी तरह खुद ही आग ठंडी भी हो जाती है। आग के ठंडा होने के बाद माता के श्रृंगार को फिर से किया जाता है। सबसे ज्यादा हैरानी वाली बात यह है कि हर महीने देवी अग्नि स्नान करती है लेकिन आज तक इस अग्नि से किसी भी प्रकार की कोई जनहानि की खबर नहीं सुनने के लिए मिली। देवी के इस धाम के भक्तो में बड़ी आस्था है। लोगों के बीच मानता है कि मंदिर में आने पर कई समस्याओं का समाधान भी हो जाता है।

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