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देश विदेश के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है बाबा नीम करौली बाबा का ये आश्रम।

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देश विदेश के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है बाबा नीम करौली बाबा का ये आश्रम।

हल्द्वानी। भवाली के पास कैंची धाम मंदिर विश्व विख्यात है। मंदिर के संस्थापक बाबा नीम करौली महाराज को भगवान का अवतार माना जाता है। बाबा की महिमा का गुणगान भारत ही नहीं बल्कि विदेशों तक में किया जाता है। एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स और फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग के अलावा कई देश-विदेश की बड़ी हस्तियां बाबा के भक्तों में शामिल हैं।

हल्द्वानी से 45 किलोमीटर दूर यह आश्रम पहाड़ के मनोरम दृश्यों के बीच नीचे शिप्रा के किनारे बसा है। बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव के ब्राह्मण परिवार में जन्मे लक्ष्मी नारायण शर्मा ने यूपी के एक गांव नीम करौली में कठिन तपस्या करके स्वयंसिद्धि हासिल की। बाबा ने पहला आश्रम कैंची धाम नैनीताल जनपद में जबकि दूसरा वृंदावन मथुरा में बनाया। इसके अलावा बाबा के कई अन्य छोटे आश्रम भी हैं। बाबा नीम करौली महाराज को 20 वीं सदी के महान संतों में माना जाता है। नीम करौली बाबा 1961 में पहली बार नैनीताल पहुंचे थे। यहां मंदिर की स्थापना 1964 में की गई। आज ये आश्रम देश विदेश के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।
बाबा नीम करौली महाराज के चमत्कार भी लोगों ने देखे हैं। कहा जाता है कि एक बार आश्रम में भंडारे का आयोजन हो रहा था। उस दौरान घी की कमी पड़ गई। बाबा के आदेश पर आश्रम के नीचे बह रही नदी के पानी को प्रयोग किया गया। ऐसे में जो भी प्रसाद में पानी डाला गया उसने घी का रूप ले लिया। कहा जाता है कि बाबा के पास अपनी दिव्य शक्तियां थीं। बाबा कहीं भी प्रकट या लुप्त हो जाते थे। कहीं भी चलते-चलते बाबा गायब हो जाते थे। कहते हैं कि इस चमत्कार को उनके भक्तों ने कई बार देखा था। यहां तक कि जो भी भक्त आस्था से उनसे कामना करते हैं वो पूरी होती है।

कहा जाता है कि बाबा नीम करौली महाराज का निधन 1973 में हो गया था। बाबा ने अपनी समाधि वृंदावन में ली। 15 जून को हर साल बाबा के धाम में भव्य विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। उस दिन देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। श्रद्धालु बाबा के मालपुआ प्रसाद को ग्रहण करते हैं। माना जाता है कि बाबा के आशीर्वाद से भंडारे में कभी भी प्रसाद की कमी नहीं होती। आज मंदिर के स्थापना दिवस पर दूर-दूर से श्रद्धालु बाबा का आशीर्वाद लेने पहुंचे हैं। कहा जाता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में श्रद्धा से बाबा को याद करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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