राष्ट्रीय
लाउडस्पीकर का शोर या राजनीति का ? शिवसेना को किसने दिया अल्टीमेटम।
केरोना महामारी के आने के बाद से हमने कितने ही परिवारों की चीख पुकार सुनी पर सुनकर भी अनसुनी कर दी, देश में हर रोज हो रहे धरनों में बेरोजगारों की हमने गुहार सुनी पर अनसुनी कर दी । हम आज भी सिर चढ़ कर बोल रही महंगाई को सुन रहे हैं पर सुन कर भी अनसुना कर रहे हैं । हम बढ़ते क्राइम की खबरों को सुनते हैं पर अनसुना कर देते है और जब बात आती है अनेकता में एकता की तो भी आज कल हम अपने कान बंद कर बैठ जाते हैं। सिर्फ आज कल सुनाई दे रहा है तो लाउडस्पीकर का शोर । Noise pollutiion यानी ध्वनि प्रदूषण ये बहुत खतरनाक हो सकता है । पर भारत में जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट में हर दूसरा बाथरूम सिंगर अपना रियाज कर रहा होता है वहां इसे कंट्रोल करना काफी मुश्किल काम है । आप कहेंगे की नामुमकिन तो नही है पर जनाब यहां बच्चों की किलकारियां और उनके रोने से ही पड़ोसियों की नींद खुलती है तो नामुमकिन भी हो सकता है । खैर हम Noise pollutiin की बात इस लिए कर रहे हैं क्यूंकि आज कल हर जगह लाउडस्पीकर का शोर है और शोर ये है कि लाउडस्पीकर बंद हो । खैर शादी,पार्टी में तो ये खुल कर बजते है और लोग कहते हैं डीजे वाले बाबू मेरा गाना चला दो पर अभी ताजा मामला लाउडस्पीकर के धर्म को लेकर भी शुरू हो गया है ।
लाउडस्पीकर हिंदू या मुस्लिम नहीं है । वो बात अलग है यहां नॉन लिविंग थिंग्स को भी धर्म की राजनीति से गुजरना पड़ता है । पर जनाब फैक्ट तो यही है कि मंदिर मस्जिद के लाउडस्पीकर को लेकर ही विवाद खड़ा हुआ है । चलिए पहले आपको बता देते हैं माजरा है क्या…
आज से करीब 17 साल पहले लाउडस्पीकर का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, तब इसकी वजह एक खौफनाक घटना थी। एक बच्ची के साथ रेप किया गया था और लाउडस्पीकर की तेज आवाज के कारण उसकी चीखें दब गईं।लेकिन शायद ही आज आपको ये मामला याद हो आज महाराष्ट्र में फिर से लाउडस्पीकर का मामला तुल पकड़ चुका है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने इस मुद्दे को उछाला तो कई राज्यों तक इसकी आंच पहुंच गई। उन्होंने उद्धव सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि 3 मई तक मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटाए गए तो इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राज्य की सभी मस्जिदों के सामने तेज आवाज में लाउडस्पीकर से हनुमान चालीसा बजाया जाएगा। इसके बाद कई शहरों से ऐसे वीडियो भी आए जहां कुछ लोगों ने मस्जिद के पास हनुमान चालीसा बजाया। यूपी में भी सीएम योगी के आदेश से लाउडस्पीकर की आवाज धीमी की गई है।हालांकि इस पूरे मामले को लेकर अब गेंद अब केंद्र सरकार के पाले में डाल दी गई है । केंद्र सरकार से ऐसा कानून लाने की मांग की जा रही है जो लाउडस्पीकर जैसे मुद्दे को सुलझाए । मामला बढ़ता जा रहा है शिवसेना ने भी मामले में अपना पक्ष रखा और मामले को लीड करते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने अल्टीमेटम भी दे दिया है । लेकिन 17 साल पहले जब ये मामला सामने आया था तब आखिर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था वो आपको बता देते हैं ।
SC ने कहा था कि “ऊंची आवाज यानी तेज शोरगुल सुनने के लिए मजबूर करना मौलिक अधिकार का हनन है। हर शख्स को शांति से रहने का अधिकार है। लाउडस्पीकर या तेज आवाज में अपनी बात कहना अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार में आता है लेकिन यह आजादी जीवन के अधिकार से ऊपर नहीं हो सकती।”
हालंकि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की धज्जियां इस शादी सीजन में तो सबसे ज्यादा उड़ाई जाती है !
आपके लिए ये जानना भी जरूरी है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच प्रतिस्पर्द्धा पुरानी रही है. बाल ठाकरे के दौर में राज ठाकरे कभी शिवसेना के कद्दावर नेता हुआ करते थे. लेकिन राजनीतिक महात्वाकांक्षा की टकराहट में दोनों भाइयों के रास्ते जुदा हो गए. इसके बाद 9 मार्च 2006 को राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नाम से अलग पार्टी बना ली थी.यानी ये मुकाबला लाउडस्पीकर का कम और ठाकरे Vs ठाकरे का ज्यादा है जिसमे बीजेपी भी आग में घी डालने का काम बराबर कर रही है ।
अब मामले में पीएफआई , बीजेपी कांग्रेस शिवसेना सब कूद गए हैं यहां तक कि मुस्लिम संगठन भी अपनी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं । लेकिन सवाल तो यही है की तपती गर्मी में 300 रूप ऊपर मिल रहे किलो नींबू जिनमे रस भी नही है , बेरोजगारों के रेहड़ी पटरी वाले स्टार्टअप जिन्हे अतिक्रमण का नाम देकर कभी भी हटाया जा सकता है और पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों से लग रही आग को आखिर कौन सा लाउड स्पीकर सरकारों तक पहुंच पाएगा ताकि थोड़ी कवरेज इन्हे भी मिले ।