दीपक जोशी
सुरों के जादूगर हमेशा के लिए कर गए उदास. अब हमेशा याद रखा जाएगा पंकज उधास :कहानी पंकज उधास की ?
मशहूर गजल गायक पंकज उधास का निधन सभी गज़ल प्रेमियों के लिए एक बहुत बड़ी हानि है, गजल गायक पंकज उधास का 72 साल की उम्र में निधन हो गया था .परिवार ने लिखा ‘बहुत भारी मन से, हम आपको लंबी बीमारी के चलते 26 फरवरी 2024 को पद्मश्री पंकज उधास के दुखद निधन की जानकारी देते हुए दुखी हैं.
पंकज उधास की मौत कल सुबह 11 बजे मुंबई में हुई थी . पिछले कुछ समय से वे मुंबई के ब्रीच क्रैंडी अस्पताल में भर्ती थे.
पंकज उधास का जन्म 17 अप्रैल, 1951 को गुजरात के सर्वकुंड में हुआ था. वे शुरू से ही एक गायक परिवार से ताल्लुक रखते थे. उनके बड़े भाई मनहर उधास बॉलीवुड में पहले से ही प्लेबैक गायक के तौर पर जाने जाते थे. उनके दूसरे भाई निर्मल उधास भी एक बेहतरीन गजल गायक थे.
*** पीएम मोदी सहित राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति ने जताया दुःख.
पंकज उधास के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जाहिर किया . पीएम मोदी ने एक्स में लिखा- “हम पंकज उधास जी के निधन पर शोक जाहिर करते हैं, जिनकी गायिकी कई तरह की भावनाओं को जाहिर करती थीं और जिनकी गजलें सीधे आत्मा से बात करती थीं, वह भारतीय संगीत के एक प्रकाश स्तंभ थे, जिनकी धुनें पीढ़ियों से चली आ रही थीं. मुझे पिछले कुछ सालों में उनके साथ हुई अपनी अलग-अलग बातचीत याद हैं. उनके जाने से संगीत जगत में एक खालीपन आ गया है जिसे कभी नहीं भरा जा सकेगा. उनके परिवार और चाहने वालों के लिए संवेदनाएं” .
*** जब पंकज को रातोंरात मिली थी शोहरत..
पंकज उधास गजल गायिकी की दुनिया में एक बड़ा नाम थे. उन्हें ‘चिट्ठी आई है’ गजल से शोहरत मिली. यह गजल 1986 में रिलीज हुई फिल्म ‘नाम’ में थी. पंकज ने कई गजलों को अपनी आवाज दी जिनमें ‘ये दिल्लगी’, ‘फिर तेरी कहानी याद आई’, ‘चले तो कट ही जाएगा’ और ‘तेरे बिन’ शामिल है. इसे अलावा ‘ना कजरे की धार’, ‘चांदी जैसा रंग है तेरा’ सहित अनेक पंकज जी के यादगार गानों में से एक हैं.
*** पंकज को प्रमुख यह पुरस्कार मिले..
पंकज उधास को मिले पुरस्कार में सबसे अहम पद्मश्री अवॉर्ड है जो कि उन्हें 2006 में दिया गया था.
2005 के सर्वश्रेष्ठ गज़ल एल्बम” के रूप में “हसरत” को कोलकाता में प्रतिष्ठित “कलाकार” एवार्ड से सम्मानित किया गया।
2002 – इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा सम्मानित किया गया।
1985 – वर्ष का सर्वश्रेष्ठ गज़ल गायक होने के लिए के एल सहगल एवार्ड से सम्मानित किया गया।
उधास ने पहली बार 1972 की फिल्म “कामना” में अपनी आवाज दी जो कि एक असफल फिल्म रही थी।
इसके बाद, उधास ने ग़ज़ल गायन में रुचि विकसित की और ग़ज़ल गायक के रूप में अपना करियर बनाने के लिए उन्होंने उर्दू भी सीखी.
उनका पहली ग़ज़ल एल्बम आहट 1980 में रिलीज़ हुआ था। यहाँ से उन्हें सफलता मिलनी शुरू हो गयी और 2009 तक वे 40 एल्बम रिलीज़ कर चुके हैं।
अपने बचपन में, उधास अपने पिता को दिलरुबा वाद्य बजाते देखते थे। संगीत में उनकी और उनके भाइयों की रुचि को देखते हुए उनके पिता ने उन्हें राजकोट में संगीत अकादमी में दाखिला दिलाया था।
***पंकज उधास की मौत पर प्रतिपक्ष संवाद से बातचीत करते हुए लोगों ने कहा.
मुनस्यारी के दिनेश कार्की ने कहा – “मुझे अपने नैनीहाल बागेश्वर के कपकोट में बहुत अच्छा लगता था मेरे मामा जी सेना में थे वह जब घर आते थे तो मैं भी वहीं पहुंच जाता मेरे मामा जी के पास एक रेडियो था जिसमें वह सुबह से शाम तक आकाशवाणी के प्रोग्राम सुनते थे , आकाशवाणी में एक चैनल था विविध भारती शायद अभी भी होगा उसमें शाम को 7 से 8 बजे गजल को समर्पित कार्यक्रम आता था . जिसमें मुख्यत: पंकज उधास की गज़लें होती थी , आज वह नहीं रहे और मेरे मामा भी हम को छोड़ चले गए . दोनों को शांति मिले .. स्वर्ग में उनकी मुलाकात हो”..
दिनेशपुर – उधम सिंह नगर के भास्कर कवि ने कहा: “एक बेहतरीन व्यक्तित्व रहा है पंकज उदास का, उनकी कही गजलें आज भी युवाओं में लोकप्रिय हैं, लोगों ने उन्हें कैसेट और रेडियो पर खूब सुना सराहा है
लता मंगेशकर के बाद भारत के लिए ये दूसरी बड़ी क्षति है।
धारुहेड़ा- हरियाणा से कॉल में बात करते हुए शिवम कुमार ने कहा “यही वह शायर थे जिनकी गजलें भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में सुनी जाती थी और जब सुनते थे तो सबको अपने-अपने घरों की अपने-अपने गांव की याद आ जाती थी . सभी चाहते थे कि हम कहां इस मोह माया में फंस गए इससे अच्छा तो अपना घर ही ठीक था अपना गांव ही ठीक था”
पंकज उधास की मौत से सभी लोग दुःख में हैं प्रतिपक्ष संवाद परिवार मशहूर गजल गायक पंकज उधास को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है .