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सूतक के कारण उत्तराखंड के इन मंदिरों के कपाट रहेंगे बंद।

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सूतक के कारण उत्तराखंड के इन मंदिरों के कपाट रहेंगे बंद।

इस वर्ष  28 अक्टूबर 2023 शरद पूर्णिमा पर वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। यह ग्रहण मेष राशि अश्विनी नक्षत्र में लगेगा। यह ग्रहण संपूर्ण भारत में दिखाई देगा भारत के अतिरिक्त पूर्वी अमेरिका यूरोप अफ्रीका एशिया व आस्ट्रेलिया आदि देश में भी दिखाई देगा और इसका सूतक भी लगेगा और धार्मिक महत्व भी रहेगा यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण रहेगा।


सूतक के कारण बदरीनाथ, केदारनाथ मंदिर और जागेश्वर धाम शनिवार को अपराह्न चार बजे ही बंद हो जाएंगे। रविवार को शुद्धिकरण के बाद मंदिरों को भक्तों के लिए खोला जाएगा। हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर गंगा आरती भी समय से पहले होगी। जागेश्वर धाम में सूर्यग्रहण पर कपाट बंद करने के मामले में धर्मगुरु व धर्माधिकारी पक्ष में उतर आए हैं। उन्होंने इसे धर्म व शास्त्र सम्मत करार दिया है। साथ ही कपाट बंद करने पर उठ रहे सवालों पर स्पष्ट किया है कि शास्त्रों में ग्रहणकाल के लिए यही व्यवस्था है जागेश्वर धाम में इतिहास में पहली बार सूतक काल में मंदिर के कपाट बंद होंगे। अब तक ग्रहण और सूतक काल नहीं माना जाता था। 29 अक्तूबर की मध्यरात्रि में 1:04 बजे से चंद्र ग्रहण शुरू हो रहा है। इसको देखते हुए जागेश्वर धाम में शनिवार शाम 5:20 बजे कपाट बंद होंगे, जो इतिहास में पहली बार होगा। रामदत्त जोशी के पंचांग और निर्णय सिंधु के अनुसार पुजारी मंदिर में सायंकालीन आरती करेंगे।पुजारी हेमंत भट्ट, शुभम भट्ट, लक्ष्मी दत्त भट्ट, ज्योतिष पंडित खीमानंद भट्ट, पंडित भैरव दत्त भट्ट ने बताया कि कुमाऊं के पंचांग के अनुसार गोधुली का समय देव पूजन के लिए उत्तम बताया गया है। उन्होंने बताया कि ग्रहण से तीन प्रहर पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। दिन में चार प्रहर होते हैं। दिन और रात का समय 12-12 घंटे तय किया गया है। लेकिन जाड़ों में दिन 12 घंटे का नहीं होता है। इसलिए शनिवार सायं 5:20 बजे से पहले सायंकालीन आरती पूरी कर कपाट बंद करने का निर्णय लिया गया है।

जागेश्वर ज्योतिर्लिंग के पुजारी हेमंत भट्ट, महामृत्युंजय मंदिर के पुजारी शुभम भट्ट और लक्ष्मी भट्ट ने बताया कि पूर्वजों के समय से ही पूर्व में इस धाम में नित्य पूजा तय समय पर ही हुआ करती थी। समस्त पुजारियों ने करीब दो साल पहले ही निर्णय लिया था कि ग्रहण के दौरान कपाट पूरी तरह बंद किए जाएंगे। इसलिए इस बार पहली दया सूतक काल के दौरान सायंकालीन आरती का समय बदला है। भविष्य में भी ग्रहण से तीन प्रहर पूर्व पहले ही मंदिरों के कपाट बंद किए जाएंगे

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