Connect with us

वट सावित्री उपवास 26 मई 2025

धर्म-संस्कृति

वट सावित्री उपवास 26 मई 2025

अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते।
पुत्रान् पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते।।
यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले।
तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मा सदा।।
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जै

अवगत करना चाहूंगी वट सावित्री के उपवास को लेकर किसी प्रकार का कोई संशय ना रखें, वट सावित्री उपवास दिनांक 26 मई 2025 दिन सोमवार को रखा जाएगा।
देहि सौभाग्य आरोग्यं देहि मे परमं सुखम्
पुत्रान देहि सौभाग्यम देहि सर्व कामांश्च देहि मे
रुपम देहि जयम देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
वट सावित्री का उपवास जेष्ठ माह की अमावस्या तिथि को किया जाता है। वट सावित्री पर्व पर विवाहित स्त्रियां अपने जीवनसाथी की दीर्घायु की कामना हेतु अखंड सौभाग्य की प्रेरणा दायिनी देवी सावित्री एवं वट वृक्ष की पूजा, अर्चना करती है। धार्मिक मान्यतानुसार वटवृक्ष की छांव में देवी सावित्री ने अपने पति को पुनः जीवित किया था इसी दिन से वट वृक्ष की पूजा का विधान है। वट वृक्ष को भगवान शिव का प्रतीक माना गया है। बरगद के वृक्ष के तने में भगवान विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में भगवान शिव का वास है इस वृक्ष में कई सारी शाखाएं नीचे की ओर रहती है इन्हें देवी सावित्री का रूप माना जाता है इसलिए धार्मिक मान्यतानुसार इस वृक्ष की पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है संतति प्राप्ति हेतु वट वृक्ष की पूजा करना लाभकारी माना गया है। इस दिन अपने पति की दीर्घायु की कामना एवं सुखद वैवाहिक जीवन की कामना हेतु सभी विवाहित स्त्रियां वट सावित्री का उपवास रखती रखती हैं।
इस वर्ष वट सावित्री पर्व पर कुछ विशेष योग बनने जा रहे हैं शोभन योग, सूर्य बुध की युति से बुधादित्य योग,धृति योग, चंद्रमा कृतिका नक्षत्र अपनी उच्च राशि में तथा शुक्र देव अपनी उच्च राशि में बैठकर शुभ फल प्रदान करेंगे साथ ही वट सावित्री पर्व शिवजी का अति प्रिय वार सोमवार को पढ़ने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होगी।
(इस वर्ष दांपत्य जीवन में प्रवेश की हुई नव विवाहित स्त्रियां प्रथम बार उपवास प्रारंभ कर सकती है)

पूजा मुहूर्त
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि प्रारंभ 26 मई 2025 अपराह्न 12:14 से 27 मई 2025 प्रातः काल 08:34 तक।
वट सावित्री पूजा 2025
वट सावित्री पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ रहेगा।
अभिजीत मुहूर्त रहेगा प्रातः 11:50 से अपराहन 12:45 तक।
दूसरा मुहूर्त रहेगा– अपराह्न 2:36 से मध्याह्न 3:31 तक। मुहूर्त का नाम ‘विजय मुहूर्त’ रहेगा, विजय मुहूर्त में वट सावित्री की पूजा करने से विशेष सफलता प्राप्त होती है।

वट सावित्री पूजा विधि
प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में जाग कर संपूर्ण घर एवं पूजा स्थल को स्वच्छ करें। स्नानादि के बाद उपवास का संकल्प लें। सोलह श्रृंगार करें। सूर्योदय के उपरांत सूर्य देव को जल अर्पित करें। पूजा स्थल पर अखंड ज्योत प्रज्वलित करें। बरगद के पेड़ पर सावित्री-सत्यवान और यमराज की मूर्ति रखें। बरगद के पेड़ में जल डालकर उसमें पुष्प, अक्षत, रोली,कुमकुम,लाल फूल, फल और पंच मेवा,पंच मिठाई, पान सुपारी चढ़ाएं। माता सावित्री को सोलह श्रृंगार अर्पित करें, घी के दीपक से आरती करें। बरगद के वृक्ष में जल चढ़ाएं। वृक्ष में रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद मांगें। वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें। इसके बाद हाथ में काले चने लेकर इस व्रत की कथा सुनें। कथा सुनने के उपरांत आचार्य/पुरोहित जी को अन्न, वस्त्र व माता सावित्री को अर्पित किया हुआ श्रंगार व भेंट इत्यादि दान करें।
माता सावित्री की कहानी हमें दृढ़ संकल्प और मजबूत इच्छाशक्ति और ईश्वर पर अटूट आस्था बनाए रखना व विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य न खोने की प्रेरणा देती है

डॉ मंजू जोशी ज्योतिषाचार्य
8395806256

Ad Ad
Ad Ad

More in धर्म-संस्कृति

Trending News

About

प्रतिपक्ष संवाद उत्तराखंड तथा देश-विदेश की ताज़ा ख़बरों का एक डिजिटल माध्यम है। अपने क्षेत्र की ख़बरों को प्रसारित करने हेतु हमसे संपर्क करें  – [email protected]

Editor

Editor: Vinod Joshi
Mobile: +91 86306 17236
Email: [email protected]