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मतदाता मौन, प्रत्यासी को धुकधुक, विधायक कौन अल्मोड़ा जिले के 6 सीटों में उतरे 51 योद्धा।

उत्तराखण्ड

मतदाता मौन, प्रत्यासी को धुकधुक, विधायक कौन अल्मोड़ा जिले के 6 सीटों में उतरे 51 योद्धा।

नवीन बिष्ट

अल्मोड़ा जनपद की 6 विधानसभाओं की चुनावी फिजा की बानगी का जायजा लेने के लिए अल्मोड़ा, सोमेष्वर, द्वाराहाट, रानीखेत सल्ट और जागेश्वर विधानसभा क्षेत्रों का मोटा-माटी सर्वे से फिलवक्त पता चलता है कि मतदाता की खामोषी चैंकाने वाले परिणाम हो सकते हंै। यह खामोसी मतदान के तौर पर ही टूटेगी ऐसा जान पड़ता है। खामोस मतदाता का समर्थन किसे मिलता है, यह कहा नहीं जासकता है। दरअसल इस चुनाव का मिजाज पिछले विधान सभा चुनाव से दीगर होने जा रहा है। क्योंकि इस बार ना तो पिछले विधान सभा चुनाव की मोदी लहर का ही जलवा ही देखने को मिल रहा और ना ही कांग्रेस को लेकर कोई उत्साह। यह गौरतलब है कि पिछले चुनाव में भाजपा के ऐसे ना उम्मीद प्रत्यासी भी खासे अन्तर से जीत दर्ज करा कर विधान सभा को रवाना हुए थे जिन पर भाजपा को खुद भरोसा नहीं दिख रहा था। कुछ ऐसे भी परिणाम भाजपा को देखने को मिले जिन पर भरोसा जताया वो सीट हाथ से निकल गई। इस मर्तबा न भाजपा की लहर है ना कांग्रेस के प्रति कोई उत्साह, बाकी दलों या निर्दलियों की भी कोई फिजा नहीं है। ऐसे में पार्टियों के परंपरागत वोट और प्रत्यासी की अपनी योग्यता ही उसका बेड़ा पार लगायेगी, अभी की हालातों में तो यही लगता है। हार-जीत में बड़ा कारण मतदान का प्रतिषत तय करेगा। कोविड महामारी के चलते पोलिंग बूथ तक कितने मतदाता पहुंच पाते हैं, या कार्यकर्ता वोट डलवाने में कामयाब होते है, यह बड़ा सवाल होगा।
बहरहाल जिले की 6 विधानसभा सीटों से कुल 51 प्रत्याषी चुनाव समर में डटे जिसमें द्वाराहाट विधानसभा सीट से सर्वाधिक 10 उम्मीदवार , अल्मोड़ा से 9, रानीखेत से 8, जागेष्वर से 7, सल्ट विधानसभा से 9 और सोमेश्वर विधानसभा सीट से 8 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमाने चुनाव में उतरे हैं। अल्मोड़ा में भाजपा से कैलास शर्मा कांग्रेस से मनोज तिवारी, बसपा से अशोक कुमार, आम आदमी पार्टी से अमित जोषी, सपा से अर्जुन सिंह भाकुनी, उपपा से गोपाल राम, उक्राद से भानु प्रकाश के अतिरिक्त निर्दली प्रत्यासी के तौर पर विनय किरौला व विनोद चन्द्र तिवारी शामिल हैं। रानीखेत विधान सभा में कांग्रेस से करन माहरा, भाजपा से प्रमोद नैनवाल, बसपा से मनोज कुमार, उक्राद से तुला सिंह तड़ियाल, आम आदमी पार्टी से नन्दन सिंह बिश्ट, निर्देलीय के तौर पर सुनीता रिखाड़ी व दीपक करगेती सामिल हैं। जागेष्वर विधान सभा सीट से कांग्रेस के गोविन्द सिंह कुंजवाल, भाजपा से मोहन सिंह मेहरा, सपा से नारायण राम, उपपा से नारायण राम, आम आदमी पार्टी से तारा दत्त पाण्डे, मनीश सिंह नेगी उक्राद, सपा से रमेष सनवाल सामिल हैं। सोमेश्वर विधान सभा सीट में भाजपा ने सीटिंग गेटिंग का फार्मूला अपनाते हुए रेखा आर्या को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने राजेन्द्र बाराकोटी को टिकट दिया है। उपपा ने किरन आर्या को, पीपुल्स पार्टी आफ इंडिया ने दिनेस चन्द्र, बलवन्त आर्या सपा, हरीष चन्द्र आप, गोविन्द लाल व मधुलता निर्दली प्रत्याषी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे हैं। सल्ट विधान सभा से भाजपा के विधायक रहे महेष जीना, कांग्रेस से पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत, बसपा से भाले षंकर आर्या, जगदीष चन्द्र उपपा, भूपेन्द्र सिंह सपा, राकेष नाथ उक्राद, सुरेष बिश्ट आप, ललित मोहन व सुरेन्द्र सिंह निर्दली के तौर पर भाग्य आजमा रहे हैं। द्वाराहाट विधान सभा से भाजपा के अनिल शाही, कांग्रेस के पूर्व मदन सिंह बिष्ट, उक्राद से पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी, बसपा से आनन्द बल्लभ, सपा से गणेस चन्द्र, आप से प्रकास चन्द्र, पीपूल्स पार्टी आॅफ इंडिया से डा. प्रमोद कुमार के साथ नवीन चन्द्र जोशी, भूपाल सिंह उर्फ पप्पू भण्डारी व राजेन्द्र सिंह निर्दलीय प्रत्यषी के तौर पर चुनाव में डटे हैं।
जिले के 6 विधानसभाओं का क्षेत्रवार फौरी सर्वे में देखने को मिला कि कहीं कोई उत्साह मतदाताओं में नहीं है। मतदान के प्रति निरासा का भाव देखने को मिला। सुदूर ग्रामीण इलाकों में जहां मतदाता बड़ी बेबाकी से अपने प्रत्याषी या पार्टी का नाम लेता था इस बार उसका टका सा जवाब है कि ” आने को तो सभी आ रहे हैं, लेकिन कुछ समझ में नहीं आ रहा है, देखो किसकी लाटरी लगती है ” या ” पता नहीं महाराज जो होरा होगा ”। 10 मार्च को क्या होगा ये बताने की स्थिति में कोई नजर नहीं आ रहा है। भले ही कोई लाख दावे करे पर पुख्ता तौर पर कुछ कहने से सियासत के तमाम पारखी गुरेज कर रहे हैं।
चुनाव आयोग की सख्ती से बैनर पोस्टर का युद्ध भी कोई उम्मीद जगाता नहीं दीख रहा है। मोटे तौर पर पोस्टर प्रतिस्पर्धा को देखें तो सभी बराबरी में दिखाई दे रहे हैं। अन्दर खाने मतदाता को अपने पाले में करने के लिए सभी उम्मीदवार अपनेी तिजोरी का मुंह खोले हुए हैं। बावजूद इसके कहीं पर कांग्रेस आगे तो कहीं पर भाजपा बाजी मारती दिख रही है। उक्रांद भी अपनी पूरी ताकत के साथ द्वाराहाट सीट में आषावान नजर आ रही है तो वहीं आम आदमी पार्टी भी अपनी पुख्ता उपस्थित दर्ज करती दिख रही है। विधानसभा के पुराने चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो जागेश्वर विधान क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार गोविन्द सिंह कुंजवाल चार बार निरंतर चुनाव जीतकर अपना रिकार्ड कायम करा चुक हैं। पार्टी में उनका कद इतना बड़ा है कि उन्हें भविष्य के सीएम के तौर पर भी देखा जाता रहा है। जागेश्वर से इस बार कुंजवाल के सामने उनके चुनावी रण में उनके पुराने सेनापति व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन सिंह मेहरा भाजपा से ताल ठोक रहे हैं। राज्य बनने के बाद पहले चुनाव में अल्मोड़ा की सीट भाजपा के खाते में लाने कैलाश शर्मा तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं। उनका सामना दो बार के विधायक मनोज तिवारी से हैं। जिले की एक मात्र आरक्षित विधानसभा सीट सोमेष्वर से कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष राजेन्द्र बाराकोटी पर भरोसा जताया है उनका मुकाबला कभी कांग्रेस में रही और अब भाजपा सरकार की पूर्व कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या से है। सोमेष्वर में 2022 में कांग्रेस के प्रदीप टम्टा विजय रहे, उसके बाद भाजपा के अजय टम्टा ने बाजी जीती। जबकि 2012 में रेखा आर्या ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता, 2017 में रेखा आर्या का दामन थामा और कैबिनेट मंत्री तक पहुंची। यूकेडी का गढ़ कहा जाने वाले द्वाराहाट विधानसभा में दल संस्थापक विपिन चन्द्र त्रिपाटी 2002 में विधायक चुने गए। उनकी की मृत्यु लगातार दो चुनाव में पुष्पेश त्रिपाठी को यहां की जनता ने देहरादून भेजा। 2012 में कांग्रेस के मदन सिंह बिष्ट विधायक बने, 2017 के चुनाव में भाजपा के महेश नेगी चुनाव जीते। रानीखेत से 2002 और 2012 में भाजपा के अजय भट्ट विजय रहे। 2007 और 2017 में कांग्रेस के करन माहरा ने सीट अपने नाम की। अब उनके सामने भाजपा से प्रमोद नैनवाल मैदान में हैं। सल्ट में भी कांग्रेस के मौजूदा कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत मैदान में हैं। रणजीत यहां से दो बार विधायक चुने गए। 2012 व 2017 में परिसीमन के बाद सुरेन्द्र सिंह जीना भाजपा की ओर से जितते आऐ हैं। उनके निधन के बाद 2021 के उप चुनाव में उनके भाई महेश जीना ने जीत दर्ज की। इस बार चुनाव में उनके मुकाबला कांग्रेस से विधायक रहे रणजीत रावते से हैं।
कुल मिलाकर छः विधानसभा सीट वाले अल्मोड़ा जिले में चुनाव लगातार जोर पकड़ रहा है। जहां कांग्रेस ने अपने पुराने योद्धाओं पर भरोसा किया है वहीं भाजपा अपने आंतरिक सर्वे पर खरे उतरे दो नये चेहरे, मोहन सिंह मेहरा व अनिल शाही को चुनाव लड़ा रही है। देखना है कि मोदी लहर में भी अपनी सीटें बरकरार रखने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता गोविन्द सिंह कुंजवाल और विधानसभा में प्रतिपक्ष के उपनेता रहे करन माहरा कैसा प्रदर्षन करते हैं। क्योंकि इस बार का चुनाव बिना बयार व लहर दिखाई दे रहा है। अब जबकि मतदान में हफ्ते भर से भी कम समय रह गया है। कोविड के चलते किसी बड़े नेता की चुनावी सभाओं की संभावनाएं कम हैं ऐसे में उम्मीदवारों के हाथो ंही उनकी नाव की पतवार है।

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