उत्तराखण्ड
उत्तराखंड के हल्द्वानी में भड़की हिंसा की क्या है असली वजह?
आख़िर कौन ये है उपद्रवी?
मस्जिद ध्वस्त करने के लिए प्रशासन ने क्यों चुना शाम का समय?
हाई अलर्ट के बावजूद कैसे चूक गई हल्द्वानी प्रशासन?
क्या ये हिंसा प्री प्लान थी?
हल्द्वानी- 8 फ़रवरी को उत्तराखंड में हल्द्वानी के थाना बनभूलपुरा क्षेत्र में हिंसा भड़क गई जिसकी वजह से स्थिति बड़ी नाजुक बनी हुई है। आइए, इस पूरे मामले को आसान शब्दों में समझने की कोशिश करते है। 8 फरवरी यानी हिंसा भड़कने वाले दिन से ठीक एक दिन पहले 7 फ़रवरी को उत्तराखंड में यूसीसी कानून लागू किया गया था, जिसकी वजह से पूरे उत्तराखण्ड को हाई अलर्ट पर रखा गया था। प्रदेश में हाई अलर्ट जारी करने के बाद प्रशासन ने ये तय किया कि सरकारी ज़मीन पर अवैध तरीके बनाई गई मस्जिद पर बुल्डोजर चलाया जाएगा, जिसके संदर्भ में प्रशासन ने नोटिस देकर चेतावनी दी थी कि सरकारी ज़मीन पर बने मदरसे और मस्जिद का संचालन वहां के स्थानीय लोगों द्वारा ही बंद कर दिया जाए, अन्यथा प्रशासन को ये ध्वस्तीकरण करना पड़ेगा। इस नोटिस को गंभीर रूप से न लेने पर प्रशासन को ये मस्जिद और मदरसे को ध्वस्त करने का फ़ैसला लेना पड़ा जिसके लिए तारीख 8 फ़रवरी और समय क़रीब 3 बजे का चूना गया। करीब 500 पुलिसकर्मियों को टीम बुल्डोजर और बुल्डोजर चालकों को लेकर मस्जिद ध्वस्त करने वाले स्थान पर पहुंची। सूचना मिलने पर इस घटना को खबरों में बदलने के लिए कई पत्रकार भी उस जगह पर पहुंचे l और फिर शुरू हुआ प्रशासन और स्थानीय लोगो के बीच हिंसा जैसी परिस्थितियां। बनभूलपुरा क्षेत्र के लोगो को जैसे ही इस बात की ख़बर हुई कि प्रशासन द्वारा मस्जिद शहीद किया जा रहा है, वैसे ही मुस्लिम समुदाय ने मसजिद के बचाव के लिए प्रशासन पर हमला बोल दिया जिसके जवाब में पुलिस को भी कुछ इसी तरह के क़दम उठाने पड़े। देखते ही देखते ये परिस्थिति बड़ी हिंसा में बदल गई। जिसमें गई लोगों जी जाने गई, बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी, पत्रकार और मुस्लिम समुदाय के भी कई लोग घायल हुए जिन्हें अफरा तफरी में अस्पताल में भर्ती कराया गया। दोनों गुटों के बीच ये झड़प करीब दो से तीन घंटे तक चली जिसमें मुस्लिम समुदाय द्वारा पुलिसकर्मियों पर जमकर पत्थरबाज़ी की गई, वहीं पुलिस ने भी हालात पर काबू पाने के लिए लाठीचार्ज करना शुरू किया। पुलिसकर्मियों द्वारा आसूगैस का इस्तेमाल किया गया तो वहीं स्थानीय लोगों ने पेट्रोल बम छोड़े और पत्रकारों समेत पुलिसकर्मियों की गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया। बिगड़े हालात को देखते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी द्वारा पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया है, स्कूल कॉलेज भी अगले आदेश आने तक बंद कर दिए गए। इंटरनेट सुविधा भी फिलहाल के लिए बंद कर दी गई है, और दंगाइयों को पहचान कर अनवर सख़्त से सख़्त कार्यवाही की जाने लगी है। सीएम धामी के आदेशानुसार दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश भी दे दिए गए है। हिंसा के बाद फिलहाल शहर में सन्नाटा पसरा हुआ है। चारों तरफ सुरक्षा बलो को बढ़ा दिया गया है। लेकिन इस हिंसा का असर यूपी तक में पड़ता हुआ नज़र आ रहा है। उत्तर प्रदेश में बहुल मुस्लिम इलाके में जुमे की नमाज को देखते हुए पुलिस बल की तैनाती की गई. हलद्वानी में हुए इस अग्नितांडव और हिंसा के बाद ये इलाका शांत है लेकिन अभी भी तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। नैनीताल की डीएम वीना सिंह का दावा है कि ये हिंसा सुनियोजित थी। प्रशासन पर मस्जिद ध्वस्त करने आयेगी तब उनके साथ किस तरीके का बरताव करना है, इसकी पूरी तैयारी पहले से ही कर ली गई थी। जिसका प्रमाण देते हुए जिलाधिकारी वीनासिंह बताती है कि जब 30 जनवरी को नोटिस भिजवाए गए थे तब बनभूलपुरा क्षेत्र के लोगो की घरों को इतनी भरी संख्या में पत्थर नहीं थी, जितने पत्थर 8 फ़रवरी को पुलिस और पत्रकारों पर फेंके गए।
ख़ैर, हलद्वानी में बेशक अभी शांति बनी हुई है लेकिन परिस्थितियां बेहद तनावपूर्ण है।