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पलायन की मार से पहाड़ों में बुजुर्ग अकेले रहने को मजबूर : हाईकोर्ट ने की सुनवाई , मांगा सही आंकड़ा ।।

नैनीताल

पलायन की मार से पहाड़ों में बुजुर्ग अकेले रहने को मजबूर : हाईकोर्ट ने की सुनवाई , मांगा सही आंकड़ा ।।

Nainital – राज्य में पलायन की ऐसी मार पड़ी कि गांवों के बुजुर्ग अकेले रहने के लिए मजबूर हो गए, अब इस समस्या को देखते हुए उत्तराखंड के दुर्गम-अति दुर्गम क्षेत्रों के पलायन से जूझ रहे गांवों में अकेले रह रहे बुजुर्गों को मूलभूत सुविधा देने को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सोमवार को सुनवाई की। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से छह सप्ताह में शपथ पत्र पेश करने को कहा है। उनसे पूछा गया है कि ऐसे कितने बुजुर्ग हैं, जिन्हें वास्तव में मदद की जरूरत है। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि शासन के पास मदद को ऐसे आवेदन नहीं आए हैं।

हालांकि सरकार इस पर कार्य कर रही है।बागेश्वर निवासी समाजसेवी और हाईकोर्ट की अधिवक्ता दीपा आर्या ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि प्रदेश के दुर्गम और अति दुर्गम क्षेत्रों में जिन परिवारों के सदस्य नौकरी एवं अन्य कारणों से पलायन कर चुके हैं, उनके घरों के बुजुर्ग गांव में अकेले हैं और मुश्किलों भरा जीवन जी रहे हैं। देखरेख के अभाव में इन बुजुर्गों का जीवन जाड़े और बरसात के साथ ही अन्य समय में बदतर हो रहा है। इन क्षेत्रों में आमतौर पर स्वयंसेवी संगठन एनजीओ भी नहीं पहुंच पाते हैं।

इन्हें समाज की तरफ से मदद नहीं मिल पाती है। याचिकाकर्ता ने ऐसे वरिष्ठ नागरिकों को सेंट्रल सोशल वेलफेयर ऐक्ट 2007 के तहत सहायता दिलाने की प्रार्थना की है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि राज्य सरकार, आंगनबाड़ी एवं आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से ऐसे लोगों का डाटा तैयार कराए। इस डाटा के अनुरूप राज्य सरकार इन लोगों को नियमों के तहत तत्काल मदद पहुंचाए।

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