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आग बुझाने में हार गया उत्तराखंड : आग पर काबू पाने के लिए अब होगी नकली बारिश ।।

देहरादून

आग बुझाने में हार गया उत्तराखंड : आग पर काबू पाने के लिए अब होगी नकली बारिश ।।

ड्रोन से होगी बारिश

देहरादून – जब आप प्रकृति के साथ खेलते हैं तो उसका प्रभाव पूरे मानव समाज को उठाना पड़ता है .. जब प्राकृतिक रूप से बारिश नहीं हो रही है तो अब कृत्रिम बारिश करवाने पर ध्यान दिया जा रहा है जी हां उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए कृत्रिम बारिश यानी क्लाउड सीडिंग पर भी विचार किया जा रहा है। इसके लिए सरकार की आईआईटी रुड़की से बातचीत चल रही है।

आईआईटी रुड़की की ओर से प्रस्ताव


दरअसल, आईआईटी रुड़की ने क्लाउड सीडिंग को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक में दो प्रयोग किए हैं। इसके आधार पर आईआईटी रुड़की की ओर से राज्य सरकार को भी इस संदर्भ में प्रस्ताव दिया गया है। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बताया कि आईआईटी रुड़की की ओर से इस संदर्भ में प्रस्ताव मिलने के बाद उनके साथ जल्द बैठक कराई जाएगी। जिसमें इस संदर्भ में विस्तृत रूप से चर्चा करने के साथ ही विशेषज्ञों से भी राय ली जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार आईएमडी के साथ भी इस संदर्भ में चर्चा करेगी और उसके बाद ही क्लाउड सीडिंग को लेकर कोई निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में कोई भी फैसला लेने से पहले यह सुनिश्चित कर लिया जाएगा कि इससे प्रकृति को कोई नुकसान न पहुंचे।

पेड़ होते तो जंगलों में आग नहीं लगती

अगर पहाड़ों में भरपूर मात्रा में पेड़ होते और जंगलों में आग नहीं लगती तो आजकल वैसे भी बारिश हो रही होती लेकिन ऐसा नहीं हो सकता है ।।

क्या होती है कृत्रिम वर्षा

वैज्ञानिकों के अनुसार बारिश की अनिश्चिता या कम बारिश की समस्या से निपटने के लिए कृत्रिम वर्षा की जाती है . कृत्रिम वर्षा कराने के लिए कृत्रिम बादल बनाये जाते हैं जिन पर सिल्वर आयोडाइड और सूखी बर्फ़ जैसे ठंठा करने वाले रसायनों का प्रयोग किया जाता है जिससे कृत्रिम वर्षा होती है.

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