Connect with us

आशाओं ने कहा, नियमितीकरण करो।

जगमोहन रौतेला

आशाओं ने कहा, नियमितीकरण करो।

हल्द्वानी- ऐक्टू से जुड़ी उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल होते हुए शुक्रवार 16 फरवरी को बुद्ध पार्क हल्द्वानी से उपजिलाधिकारी के प्रतिनिधि नायब तहसीलदार के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा गया।

ज्ञापन में कहा गया कि, देश भर में व उत्तराखण्ड राज्य के ग्रामीण एवं शहरी स्वास्थ्य सेवा की बुनियाद के रूप में आशा वर्कर्स सेवा देती आ रही हैं। आशाओं की सेवाओं का ही प्रतिफल है कि सरकारी संस्थागत प्रसव और जन्म-मृत्यु की दर में उल्लेखनीय स्तर तक उपलब्धि हासिल हुई है। मातृ शिशु मृत्यु दर में भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रसंशनीय कमी के अलावा कई उपलब्धियां हासिल हुई हैं। इतना ही नहीं, प्रसव पूर्व तथा प्रसवोत्तर सहित अन्य टीकाकरण कार्य भी नियमित संचालित किया जा रहा है। इसके साथ ही समय समय पर सरकार द्वारा सौंपे गए अन्य कार्य भी आशाओं द्वारा काफी परिश्रम के साथ सम्पन्न किये जाते हैं। यह भी सर्वविदित है कि कोरोना महामारी (COVID19) के दरम्यान भी महामारी संबंधी विभिन्न निरोधात्मक कार्यक्रम को भी आशाओं ने अपनी जान जोखिम में डाल कर पूरी मुस्तैदी व लगन के साथ पूरा किया। साथ ही बीते कई वर्षों में काम का अतिरिक्त बोझ इतना बढ़ा दिया गया है। लेकिन आशा कर्मियों के मेहनताना व सेवा शर्त में कोई भी वृद्धि मोदी सरकार के एक दशक के कार्यकाल में नहीं हुई है और राज्य व देश भर की करीब 10 लाख से अधिक आशा वर्कर्स एक अमानवीय हालात में कार्य करने को अभिशप्त है।

मोदी सरकार ने इस वर्ष 2024 के बजट में भी आशाकर्मियों सहित अन्य स्कीम वर्करों के लिए भारत सरकार ने कोई घोषणा नहीं की है जो निंदनीय है।

इन विषम व संकटपूर्ण स्थितियों से आशाकर्मियों को निजात दिलाने की मांग को लेकर आशाओं की मांगों की पूर्ति को लेकर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों एवं संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर भारत सरकार से आशा कर्मियों सहित सभी स्कीम वर्कर्स की लंबित मांगों को पूरा करें। चार सूत्रीय मांग पत्र में मांग उठाई गई:

  1. आशा वर्कर्स को नियमित मासिक वेतन, कर्मचारी का दर्जा व सेवानिवृत्त होने पर सभी आशाओं को अनिवार्य पेंशन का प्रावधान किया जाय।
  2. सेवानिवृत्त होने वाली आशा वर्कर्स को जब तक पेंशन योजना का लाभ नहीं दिया जाता तब तक रिटायरमेंट के समय एकमुश्त 10 लाख का भुगतान किया जाय।
  3. आशाओं को विभिन्न मदों के लिए दिए जाने वाले पैसे कई कई महीनों तक लटकाने के स्थान पर अनिवार्य रूप से हर महीने दिया जाय।
  4. पल्स पोलियो अभियान जब से शुरू हुआ है तब से आशाओं को इस अभियान में हफ्ते भर रोज दिन की ड्यूटी करनी होती है और तभी से मात्र सौ रुपए का भुगतान किया जा रहा है जबकि महंगाई को देखते हुए कम से कम दैनिक दिहाड़ी रोज की दर से भुगतान किया जाना चाहिए। इसी तरह ट्रेनिंग में भी सौ रुपए दिया जा रहा है उसको भी दे दैनिक दिहाड़ी की दर से दिया जाना चाहिए।

साथ ही उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन ने आज की हड़ताल में शामिल अन्य मजदूरों किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए मोदी सरकार से भारत के संविधान में निहित लोकतंत्र, फैडरैलिजम, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के मूल सिद्धांतों की रक्षा की भी मांग की।

आशाओं ने चेतावनी दी यदि मोदी सरकार ने मांगों पर ध्यान देते हुए शीघ्रता से समाधान नहीं किया तो आशाओं को आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में मोदी सरकार को वोट नहीं देने की घोषणा करने को बाध्य होना पड़ेगा।

ज्ञापन देने वालों में यूनियन के महामंत्री डा कैलाश पाण्डेय, आशा यूनियन की नगर अध्यक्ष रिंकी जोशी, आशा वर्कर्स रीना बाला, सरोज रावत, सायमा, प्रीति रावत, हंसी बेलवाल, पुष्पा, शाइस्ता खान, तबस्सुम, सुनीता, चंपा कोरंगा, ममता पपने, गीता थापा, चंपा मंडोला, जानकी थापा, इंदु बाला, भगवती बिष्ट, गंगा साहू, पुष्पा आर्य, कमला पंत, शिव कुमारी, चंपा परिहार, दीपा पलड़िया, मीना केसरवानी, गीता शर्मा, आनंदी, रुखसाना, तारा, अनीता देवल, गीता जोशी, मोहिनी बृजवासी, स्वाति, रेनू, मंजू, जीवंती, पूनम, लीला, रश्मि, मालती, खष्टी, इंद्रा, हेमा शर्मा, विनीता, अंजना, छाया समेत बड़ी संख्या में आशा वर्कर्स मौजूद रहीं।

Ad Ad

More in जगमोहन रौतेला

Trending News

धर्म-संस्कृति

राशिफल अक्टूबर 2024

About

प्रतिपक्ष संवाद उत्तराखंड तथा देश-विदेश की ताज़ा ख़बरों का एक डिजिटल माध्यम है। अपने क्षेत्र की ख़बरों को प्रसारित करने हेतु हमसे संपर्क करें  – [email protected]

Editor

Editor: Vinod Joshi
Mobile: +91 86306 17236
Email: [email protected]

You cannot copy content of this page