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उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन का दूसरे दिन भी जारी रहा धरना।

जगमोहन रौतेला

उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन का दूसरे दिन भी जारी रहा धरना।

राज्य की आशाओं की समस्याओं का तत्काल समुचित समाधान किए जाने के संबंध में राज्य सरकार से मांग करते हुए पूर्व घोषित 23- 24 फरवरी को आशाओं का धरना प्रदर्शन बुद्ध पार्क में दूसरे दिन भी जारी रहा।

धरने को संबोधित करते हुए यूनियन महामंत्री डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आशाएं विभाग के सभी अभियानों और सर्वे में लगा दी गई हैं। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशु की सेवा से शुरू करते हुए आज आशा वर्कर्स को सारे काम करने पड़ रहे हैं लेकिन सरकार आशाओं को न्यूनतम वेतन तक देने को तैयार नहीं है। आशाओं को उनके काम के अनुरूप पैसा मिलना तो दूर वादा किया गया पैसा भी नहीं मिल रहा है। एक तो आशाओं न्यूनतम वेतन, कर्मचारी का दर्जा कुछ भी नहीं मिलता दूसरी ओर काम के बोझ को लागातार बढ़ाया जाना कहां तक न्यायोचित है?”

रीना बाला ने कहा कि, “आशाओं को मिलने वाला विभिन्न मदों का प्रति माह मिलने वाला पैसा छह छह माह तक नहीं मिल रहा है जिसके कारण आशाएं बहुत दिक्कतों का सामना कर रही हैं।आशाओं को नियमित वेतन तो सरकार दे नहीं रही है और ट्रेनिंग का पैसा भी घटता जा रहा है। पल्स पोलियो अभियान में भी प्रतिदिन सौ रुपए मात्र पर पूरा हफ्ता आशाओं को अभियान चलाना होता है।”

31 अगस्त 2021 को उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन (ऐक्टू) के आंदोलन के बाद आपके खटीमा स्थित कैम्प कार्यालय में आशाओं के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता के बाद आपने आशाओं को मासिक मानदेय नियत करने व डी.जी. हेल्थ उत्तराखंड के आशाओं को लेकर बनाये गये प्रस्ताव को लागू करने का वादा किया था। लेकिन आपके वादे को तीन साल पूरा होने को है लेकिन आपकी सरकार द्वारा यह वादा पूरा नहीं किया गया है। इस वायदे को आशाओं के हित में आपको अवश्य ही पूरा करना चाहिए।

सरोज रावत ने कहा कि, “स्वास्थ्य विभाग की नियमित कर्मचारी न होते हुए भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी लगन और मेहनत के साथ बेहतर काम के बल पर आशायें स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ बन चुकी हैं इसलिए आज समय आ गया है कि आशाओं के शानदार योगदान के महत्व को समझते हुए उनको न्यूनतम वेतन देते हुए स्वास्थ्य विभाग का स्थायी कर्मचारी घोषित किया जाय और सेवानिवृत्त होने पर आशाओं के लिए पेंशन का प्रावधान किया जाय।”

उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन (ऐक्टू) की ओर से छह सूत्री मांगें उठाई गई:

  1. आशाओं को मासिक मानदेय नियत करने व डी.जी. हेल्थ उत्तराखंड द्वारा आशाओं के मानदेय को लेकर बनाए गए 2021 के प्रस्ताव को लागू करने का मुख्यमंत्री द्वारा खटीमा कैंप कार्यालय में किया गया वादा तत्काल पूरा किया जाय।
  2. आशाओं को न्यूनतम वेतन, कर्मचारी का दर्जा व सेवानिवृत्त होने पर सभी आशाओं को अनिवार्य पेंशन दी जाय।
  3. सेवानिवृत्त होने वाली आशाओं को एकमुश्त धनराशि व आजीवन पेंशन का प्रावधान किया जाय।
  4. आशाओं को विभिन्न मदों के लिए दिए जाने वाले पैसे कई कई महीनों तक लटकाने के स्थान पर अनिवार्य रूप से हर महीने दिया जाय।
  5. आशाओं को ट्रेनिंग व पल्स पोलियो अभियान के दौरान प्रति दिन पांच सौ रुपए का भुगतान किया जाय।
  6. सभी सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के खाली पदों को तत्काल भरा जाय।

धरने के माध्यम से राज्य सरकार को चेतावनी दी गई यदि मांगों पर ध्यान देते हुए तत्काल समाधान नहीं हुआ तो आशाओं को एक बार फिर से राज्यव्यापी आन्दोलन को बाध्य होना पड़ेगा।

धरना प्रदर्शन करने वालों में यूनियन महामंत्री डा कैलाश पाण्डेय, रीना बाला, सरोज रावत, दीपा आर्य, भगवती बिष्ट , सायमा सिद्दकी, माधवी पांडे, चंपा मंडोला, माला वर्मा, पुष्पा बर्गली, किरन पलड़िया, भगवती पाण्डे, हेमा शर्मा, हंसी फुलारा, सलमा, राबिया, विमला तिवारी, गंगा देवी, पुष्पा जोशी, विमला खत्री, कमला, प्रियंका, अंबिका, गीता, शांति, लीला, राधा, सावित्री, माधवी, आशा, कविता, शकुंतला, मीना, मिथलेश, नीमा, सावित्री, रजनी समेत बड़ी संख्या में आशाएं शामिल रहीं। समर्थन में सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत साहू भी पहुंचे।

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