उत्तराखण्ड
प्रसंगवश, इतिहास के पन्नों सेचौखुटिया में सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना व विश्व हिंदू परिषद का पदार्पण।
इतिहास में कभी ऐसे राष्ट्रभक्त अध्यात्मिक पुरुष भी होते हैं जिनके योगदान की चर्चा नही हो पाती है श्राद्व पक्ष के अंतिम दिन यूं ही बैठे बैठे जब चौखुटिया में सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना व विश्व हिंदू परिषद के प्रवेश के बारे में सोच रहा तो अनायास ही अपने पिता स्वर्गीय श्री भैरव दत्त कांडपाल का ध्यान आ गया । असल में उन्होंने अपने जीवन में विभिन्न पुराणों के साथ ही ग्यारह सप्तचण्डी महायज्ञ करवाये जो उस समय बहुत बड़ी बात होती थी । घर पर साधु संतो का आना जाना लगा रहता था पिताजी हर साल तीर्थ यात्रा पर जाते थे कई बार संतों को भी अपने साथ ले जाते थे । इसी दौरान उनकी विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य स्वामी ओंकारानंद जी महाराज से बहुत घनिष्ठता हो गई बाद में स्वामी जी हमारे घर में होने वाली भागवत कथाओं के दौरान प्रवचन भी करने लगे ।
इसी बीच विश्व हिंदू परिषद के एकात्मकता यज्ञ का बड़ा आयोजन हुआ । इस दौरान पिताश्री के अलावा श्री बंशीधर जोशी, श्री दयाधार कांडपाल व जसवंत सिंह रौतेला सहित कई लोग चौखुटिया में उसके मुख्य आयोजकों में तथा गेवाड़ सुधार समिति के तत्कालीन महासचिव श्री गोपाल दत्त बडगली आदि स्वागत टीम में शामिल थे l संघ की ओर से भतरौजखान के उगलिया तया निवासी श्री आनन्द हर्बोला आदि ने व्यवस्था में सहयोग किया। स्वामी जी व फिर हर्बोला जी से पिताजी की बढ़ती मित्रता के बीच दोनों ने उनसे सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना का प्रस्ताव रखा जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया ।
1984 में श्री जगत सिंह मनराल पुत्र श्री नाथू सिंह मनराल निवासी नागाड़ के चौखुटिया में क्रांतिवीर चौराहे के निकट स्थिति पुराने भवन में सरस्वती शिशु मंदिर खोला गया । मनराल जी ने स्कूल के लिए अपना भवन निःशुल्क दे दिया । जबकि सरस्वती शिशु मंदिर के पहले प्रधानाचार्य श्री दिनेश चंद्र पांडे व एक अन्य आचार्य बंधु डेढ़ साल तक हमारे उस समय नए बने भवन में निःशुल्क रहे । आचार्य बंधुओं के साथ ही अंग्रेजी प्रवक्ता श्री दिनेश चंद्र हर्बोला व स्वंय मैंने आचार्यों बंधुओं को नए प्रवेशार्थियों के शुल्क आदि में मदद की । स्कूल की स्थापना व बाद में गठित कार्यकारिणी सदस्यों में स्वर्गीय श्री दयाधर कांडपाल व्यवस्था थे उनके अलावा श्री बंशीधर जोशी, श्री गंगा सिंह रावत, श्री नाथूलाल वर्मा, श्री परमानन्द कांडपाल आदि सदस्य थे। स्थापना काल मे अपनी भूमि दान देकर बड़ा योगदान देने वाले स्व. श्री प्रताप सिंह कुमयां जी का योगदान भी अविस्मरणीय है l
बनाया कमरा-*सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना के साथ ही हमने अपने पिताजी की स्मृति में 1990 में सरस्वती शिशु मंदिर में एक कमरा बनवाया। इसी तरह झलां निवासी श्री नाथूलाल वर्मा पुत्र श्री बाला लाल वर्मा, श्री पूरन लाल वर्मा पुत्र श्री भवानीलाल वर्मा, श्रीश्री रामनाथ माई जी इंद्रेश्वर मासी तथा श्री मुरारीलाल अग्रवाल जी ने भी एक-एक कमरा बनाने में सहयोग किया।