उत्तराखण्ड
हरिद्वार सीट पर बसपा का ये है, चुनावी खेल।
अब तक हरिद्वार सीट पर अल्पसंख्यक प्रत्याशी न होने की वजह से राजनीतिक समीकरण ज्यादा पेचीदा नहीं दिखाई पड़ रहा था। लेकिन बहुजन समाजवादी पार्टी के एक दांव ने ही सभी राजनीतिक दलों को चक्कर खाने पर मजबूर कर दिया। हरिद्वार लोकसभा सीट पर बसपा ने चौंकाने वाले अंदाज में बिलकुल लास्ट मोमेंट पर ठीक वैसे ही प्रत्याशी बदल दिया, जैसे बॉलीवुड फिल्मों के end में हीरो विलन में बदला हुआ दिखाया जाता है। बसपा ने लास्ट टाइम पर प्रत्याशी बदल कर राजनीतिक समीकरण को भी काफी हद तक हिला डाला।साल 2012 के विधानसभा चुनाव में यूपी की मीरापुर सीट पर बसपा के टिकट पर जीते….मौलाना जमील अहमद कासमी को…बसपा ने अब हरीद्वार से अपना नया प्रत्याशी बनाया है। मौलाना कासमी के जरिए बसपा ने अपने परंपरागत दलित-अल्पसंख्यक कार्ड को एक फेंका है। अब यदि कासमी बसपा के cader vote को हासिल करते हुए अल्पसंख्यक वोटर को भी लुभा पाए तो हरिद्वार में मुकाबला रोचक होना तय है। हरिद्वार की चुनावी राजनीति सामान्य, ओबीसी, दलित और मुस्लिम मतदाताओं के जरिए ही तय होती है। इस वक्त हरिद्वार लोकसभा सीट के 20 लाख आठ हजार वोटर्स में चारों वर्गो की करीब – करीब बराबर की हिस्सेदारी है। हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र शुरूआती दौर से ही बसपा के लिए अपेक्षाकृत मुफीद रही है। हालांकि लोकसभा में बसपा इस सीट को कभी जीत नहीं पाई।प्रतिकूल हालात के बाद भी बसपा प्रत्याशी औसतन डेढ़ लाख लाख वोट पाते रहे हैं। यह स्थिति तब है जब बसपा का मूल कैडर और अल्पसंख्यक वोटर फिसलता रहा है। यदि बसपा अपने मूल कैडर वोट में पहले की तरह बिखराव को रोक पाती है तो अल्पसंख्यक वोटर के साथ आंकड़ा और आगे तक जा सकता है। ख़ैर, बसपा इस पर फोकस करती हुई नजर आ रही है। बताते चलें कि….वर्तमान लोकसभा चुनाव में हरिद्वार से आए दिन चौंकाने वाली खबरे सामने आ रही हैं। पहले भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का टिकट पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत को देकर हैरान किया था। फिर कांग्रेस ने वीरेंद्र रावत को उतार दिया। बसपा ने भी 22 मार्च को भावना पांडे को हरिद्वार से अपना उम्मीदवार बनाया था। बीते रोज भावना को निष्कासित कर जमील को अपना प्रत्याशी बना दिया।