उत्तरकाशी
श्रम दिवस पर सैकड़ो महिलाओं ने शुरू किया श्रमदान से सड़क बनाने का कार्य : धामी सरकार को बताया धोखा देने की सरकार ।।
श्रमदान से बन रही सड़क, बीजेपी से नाराज़ गांव के लोग
एक बार फिर से उत्तराखंड सरकार की किरकिरी हो गई है जो काम नेताओं और सरकारों का होता है उसकी जिम्मेदारी अब खुद ग्रामीणों को उठानी पड़ रही है किए जा रहे विकास कार्यों की सच्चाई इन मामलों में दिख जाती है जी हां उत्तरकाशी के असी गंगा घाटी के संगमचट्टी-सेकू डोडीताल मोटरमार्ग निर्माण को लेकर शासन और प्रशासन की उदासीनता से ग्रामीण बहुत नाराज हैं। सेकू गांव के लिए सड़क स्वीकृत होने के बावजूद काम शुरू न होने पर मजदूर दिवस पर ग्रामीणों ने खुद ही जेसीबी बुलाकर श्रमदान से सड़क निर्माण शुरू किया है। इस बार सड़क के लिए सेकू गांव के ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार भी किया था।
पुल बनाकर आगे की सड़क बनाना भूल गए थे नेता ।
सरकार ने गांव को जोड़ने के लिए 11 करोड़ की लागत से डबल लेन पुल तो बनाया, लेकिन इससे आगे सड़क बनाना भूल गई। हालांकि साल 2020 में शासन ने 3.8 किमी सड़क के लिए 36.65 लाख रूपये स्वीकृत किए, लेकिन निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ। सेकू गांव के प्रधान नत्थीलाल, मनोज, पूर्व जिला पंचायत सदस्य कमल सिंह रावत, लाल सिंह आदि ने बताया कि वर्ष 2012 में असी गंगा में आई बाढ़ के बाद सरकार द्वारा संगमचट्टी से सेकू गांव के बीच असी गंगा पर करीब 11 करोड़ रुपये लागत से डबल लेन पुल बनाए जाने से उन्हें सेकू गांव और डोडीताल तक सड़क निर्माण की उम्मीद बंधी थी, लेकिन आपदा के 12 साल बीतने के बाद भी सेकू गांव सड़क नहीं पहुंच पाई है। पर्यटन विकास की दृष्टि से सेकू-डोडीताल मोटरमार्ग का निर्माण बेहद जरूरी है।
ग्रामीणों का आरोप विकास कार्यों पर ध्यान देने में असफल है विभाग
ग्रामीणों ने कहा कि विकास कार्यों पर ध्यान देने में विभाग के लोग लापरवाही करते हैं और सालों तक एक काम के लिए इंतज़ार करना पड़ता है ।।