देहरादून
हाल ए उत्तराखंड – उत्तराखंड में इन विभागों में नौकरी के खाली पड़े हैं 125 पद , विभाग ने कहा हमें योग्य उम्मीदवार नहीं मिल रहे ।।
उत्तराखंड राज्य की भी अजब – गजब कहानी
देहरादून – उत्तराखंड राज्य की भी गजब कहानी है इस राज्य में जहां एक ओर बेरोजगारी चरम में है ,वहीं दूसरी ओर पद खाली होने के बाद भी वहां रिक्त पदों को भरने के लिए युवा नहीं मिल रहे हैं ,जी हां यह सच है, अगर उत्तराखंड सरकार खेलों में विशेष ध्यान देती तो यह स्थिति उत्पन्न ही नहीं होती ? मामला यह है कि उत्तराखंड में खिलाड़ियों के लिए छह सरकारी विभागों में निकाले गए पदों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरी के 81 प्रतिशत पद अभी खाली हैं। एक तरफ जहाँ प्रदेश में बेरोजगारी चरम पर है वहीं यह पद खाली हैं , उत्तराखंड में खेल नीति के तहत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलों में पदक लाने वाले उत्तराखंड के खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरी की व्यवस्था की गई है लेकिन जब खेलों पर विशेष ध्यान दिया ही नहीं जाएगा तो खिलाड़ी पदक कहां से लाएंगे ..
यही कारण है कि राज्य में योग्य खिलाड़ियों की कमी हो गई है । खेल विभाग के अनुसार वर्तमान में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, बिहार समेत कई राज्यों में पदक विजेता खिलाड़ियों को लिए सीधे सरकारी नौकरी प्रदान की जाती है। लेकिन पहले उत्तराखंड में यह व्यवस्था न होने के कारण, राज्य के पदक विजेता खिलाड़ी अपने सुरक्षित भविष्य के लिए अन्य राज्यों से खेल रहे थे। पदक लाने वाले खिलाड़ियों के लिए राज्य में पहली बार खेल विभाग में 4, युवा कल्याण में 6, गृह विभाग में 62, वन विभाग में 28, माध्यमिक शिक्षा में 50 और परिवहन विभाग में 6 पद निकाले गए थे। शासनादेश में खिलाड़ियों के लिए छह सरकारी विभागों में 156 पद निकाले गए थे, लेकिन मात्र 31 पदों पर ही नियुक्ति पत्र जारी किए गए।
मंत्री महोदया ने कहा कोशिश करेंगे।
खेल मंत्री रेखा आर्या का कहना है कि उत्तराखंड के पदक विजेता खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरी के लिए जो पद खाली रह गए हैं, उन पदों को भरने के लिए पात्र खिलाड़ियों से फिर से आवेदन मांगे जाएंगे। खाली पदों को जल्द भरा जाएगा। उत्तराखंड में तब नई खेल नीति बनाई गई थी , जब उत्तराखंड के पदक विजेताओं ने नौकरी मांगी थी ,याद होगा आपको, लेकिन खिलाड़ियों के ज्यादा पलायन से उत्तराखंड अपनी खेल प्रतिभाओं के होते हुए भी अन्य राज्यों से खेलों में पिछड़ रहा था। इसे ध्यान में रखते हुए पदक विजेता खिलाड़ियों के लिए सीधे सरकारी नौकरी की व्यवस्था सरकार द्वारा आवश्यक मानी गई। खेल नीति में इस बदलाव के बाद 14 सितंबर 2023 को खिलाड़ियों के लिए आउट ऑफ टर्न नियुक्ति का शासनादेश जारी किया गया।
राज्य में खेल विकास पर नहीं दिया ध्यान
लेकिन अफसोस इस बात का है कि इस राज्य ने नौकरी देने की बात तो कही लेकिन जब आपके पास खेलने के लिए मैदान तक नहीं होंगे तो आपके राज्य का बच्चा कैसे पदक ला सकता है ,वह भी उत्तराखंड के लिए खेलते हुए अगर दूसरे राज्यों में वह खेल भी रहे हैं तो उन्हें वहां के राज्य सुविधा उपलब्ध करवा रहे हैं, जिस कारण वह पदक लाते हैं, क्या उत्तराखंड सरकार ने इस और ध्यान दिया, उत्तराखंड में स्टेडियम बन गए लेकिन उन्हें छोड़ दिया गया बंजर होने के लिए, जैसे उत्तराखंड के नेताओं ने पहाड़ों के गांव को बंजर होने के लिए छोड़ा इस तरीके से शहरों में बने इन स्टेडियमों को भी चूहों के सहारे के लिए छोड़ दिया गया है ,और फिर कहा जाएगा कि हम तो खिलाड़ियों को नौकरी देने के लिए प्रयास कर रहे हैं ।
क्या कुछ सवाल मंत्री महोदया रेखा आर्या से होने चाहिए
लेकिन इस राज्य में खिलाड़ी ही नहीं मिल रहे तो खेल मंत्री से यह पूछा जाना चाहिए यह मजाक नहीं है तो क्या है , अपने खिलाड़ियों के खेलने के लिए क्या-क्या सुविधा उपलब्ध कराई है मंत्री जी ने,अपने खिलाड़ियों को कब-कब ट्रेनिंग दी , क्या बिना ट्रेनिंग ,बिना स्टेडियम , के द्वारा मेडल की कल्पना करना एक काल्पनिक सोच नहीं है तो क्या है ?