उत्तराखण्ड
भाजपा को प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए : करन माहरा
बीते दिन मेरे साथी दीपक जोशी ने एक खबर चलाई थी जिसमें उन्होंने नैनीताल उधम सिंह नगर लोकसभा सीट के सांसद अजय भट्ट के एक इंटरव्यू का एक क्लिप….जिसमे सांसद बता रहे थे की उन्होंने अपने द्वारा गोद लिए हुए गांव….जंगलीया गांव में कितना विकास कर दिया है, कितना कुछ बदल दिया है। लेकिन इस गांव में हुए विकास के बारे में अखबारों को हैड लाइन्स क्या कहती है? वहां के लोग क्या क्या कहते है? गांव की क्या दशा है, इसी बारे में बात की गई थी। मेरे साथी दीपक जोशी की वो खबर अगर आपने अभी तक नहीं देखी, तो आप हमारे यूट्यूब चैनल प्रतिपक्ष संवाद पर देख सकते है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण महारा ने भी अब सांसदों द्वारा गोद लिए गए गांव की दशा बताई है। हाल ही में दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि किस तरह से मौजूदा सरकार अपनी हि लाई योजना को सफल बनाने में फेल हो गई। दरअसल, दस साल पहले, साल 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना की घोषणा की थी। उन्होंने हर सांसद को अपने संसदीय क्षेत्र में वर्ष 2016 तक एक आदर्श ग्राम, उसके बाद साल 2019 तक तीन आदर्श ग्राम और उसके बाद 2024 तक पांच गांव गोद लेकर आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए थे। उस हिसाब से हर एक जिले में कम से कम एक आदर्श ग्राम तो विकसित होना ही चाहिए था। इसी मामले में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन महारा ने कहा कि ” आज विकास का फटा ढोल बजा रही भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार गोद लिए गावों के सवालों पर निरुत्तर है। माहरा ने भाजपा नेतृत्व से सवाल किया है कि सांसदों के गोद लिए गांवों का विकास क्यों नहीं हो पाया? उन्होंने कहा कि जब सांसदों के गोद लिए गांवों की इतनी दुर्दशा है तो प्रदेश के बाकी गांवों की दशा को समझने के लिए किसी रॉकेट साइंस की जरूरत नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के विकास के दावे की पोल खोलने के लिए यह एक अकेला मामला ही काफी है। महारा ने कहा कि जब सरकार ये योजना लाई थी….उस समय बड़े जोर शोर से ढोल पीटा गया था कि इस योजना के तहत चयनित ग्रामों में कृषि, स्वास्थ्य, स्वच्छता, आजीविका संवर्द्धन, बुनियादी सुविधाएं, बेहतर पर्यावरण और शिक्षा इत्यादि के क्षेत्र को सशक्त बनाया जाएगा, लेकिन आज दस साल बाद जो तस्वीर सामने आ रही है, वह बेहद अफसोसजनक और भाजपा के दावों की पोल खोलने वाली है। करण महारानी कहा कि जो गांव टिहरी की संसद ने गोद लिया था क्वारा वह गांव तो बाकी गांव की तुलना में काफी हद तक पिछड़ा हुआ बन चुका है। और सबसे हैरानी वाली बात तो यह है कि टिहरी की संसद ने सिर्फ एक ही गांव गोद लिया था, लेकिन फिर भी उस गांव की स्थिती बेकार है। इसी के साथ-साथ कारण महारा ने बाकी बचे चार सांसदों के द्वारा गोद लिए गए गांव की दशा भी बताई। उन्होंने कहा कि…..यही हाल गढ़वाल सांसद द्वारा चयनित सिरतोली, स्यूर बांगर, बड़ा गांव, मल्ला बनास और बेराई का है। नैनीताल सांसद ने देवीधुरा, जंगलिया गांव और देवला मल्ला गोद लिया था जबकि अल्मोड़ा सांसद ने सुनोली, गोसानी, गोगना और मजकोट को संवारने का ढोल पीटा। हरिद्वार सांसद ने तो गांव गोद लेने की जहमत तक नहीं उठाई। इसी तरह भाजपा के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल भी उदासीन ही रहे। अलबत्ता गढ़वाल सीट से चुनाव लड़ रहे निवर्तमान राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी ने भी बौर गांव को गोद लिया था लेकिन आज तक बौर गांव के भी अच्छे दिन नहीं आए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा केवल जुमलों का सहारा लेकर विकास का ढोल पीटती है। लोग उसके झूठ को अब समझ गए हैं और अब उसके बहकावे में नहीं आएंगे। भाजपा की वादाखिलाफी का दंड प्रदेश की जनता 19 अप्रैल को कांग्रेस को वोट देकर देगी। उन्होंने दोहराया कि भाजपा नेतृत्व इस विफलता के लिए प्रदेश की जनता से तत्काल माफी मांगे।