अंतरराष्ट्रीय
उत्तराखंड के किसानों का अभी भी करप्सन काल-उद्यान विशेषज्ञ राजेंद्र कुकसाल।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश हैं कि डीबीटी लागू होने से देश में किसानों का अमृत काल आगया है किन्तु उत्तराखंड में ईमानदारी से डीबीटी लागू न होने के कारण कृषकों का अभी भी करप्सन काल ही चल रहा है।
भारत सरकार के कृषि एवं कृषि कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के एकाउंट से आज-कल एक फोटो शोसल मीडिया में वाइरल हो रही है, जिसमें एक तरफ करप्सन काल और दूसरी तरफ अमृत काल दर्शाया गया है।
करप्सन काल में भारत सरकार द्वारा योजनाओं में किसानों के हित में एक रुपया डाला जाता था तो सिस्टम से होते हुए किसान को पन्द्रह पैसे भी पूरा नहीं पहुंच पाता था वहीं अमृत काल में भारत सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी योजनाओं में जितना भी धन किसानों के हित में दे रहे हैं पूरा का पूरा डीबीटी के माध्यम से किसानों तक पहुंच रहा है दर्शाया गया है।
उत्तराखंड के गरीब किसानों का अभी भी अमृत काल नहीं आया क्योंकि राज्य में अभी भी डीबीटी ईमानदारी से लागू नहीं हुई है।
अन्य राज्यों की भांति उत्तराखंड राज्य में डी बी टी योजना का नहीं हो रहा अनुपालन।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है कि भारत सरकार द्वारा योजनाओं में दी गई अनुदान की राशि डीबीटी (D BT) के माध्यम से सीधे कृषकों के खाते में जमा हो ।
भारत सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय ने दिनांक 28 फरबरी- 2017 के द्वारा कृषि विभाग की योजनाओं में कृषकों को मिलने वाला अनुदान डी वी टी के अन्तर्गत सीधे कृषकों के खाते में डालने के निर्देश सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि उत्पादन आयुक्त, मुख्य सचिव, सचिव एवं निदेशक कृषि को किये गये।
उत्तरप्रदेश हिमाचल आदि सभी भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में बर्ष 2017 से ही कृषकों को योजनाओं में मिलने वाला अनुदान डी बी टी के माध्यम से सीधे कृषकों के खाते में जा रहा है।
भारत सरकार के निर्देश के पांच साल बाद कृषि सचिव उत्तराखंड ने दिनांक17 मई 2021को राज्य के कृषकों को देय अनुदान आधारित योजनाओं को डीबीटी द्वारा क्रियान्वयन के आदेश निर्गत किए।
जागरूक नागरिकों द्वारा समय-समय पर कई पत्र पत्रिकाओं व पोर्टलों के माध्यम से इस मुद्दे को उठाने एवं मीडिया जगत में चर्चाओं का संज्ञान लेते हुए सरकार को डीबीटी लागू करने के आदेश निर्गत करने पड़े, किन्तु इन दिशा में विभाग ने ईमानदारी से प्रयास नहीं किए शासनादेश कर देने भर से डीबीटी लागू नहीं होगी।
अन्य राज्यों की तरह योजनाओं में चयनित कृषकों को स्वयं अपनी इच्छा अनुसार उच्च गुणवत्ता के निवेश (दवा बीज खाद आदि) क्रय करने की अनुमति होनी चाहिए तथा मिलने वाला अनुदान ईमानदारी से डी बी टी के माध्यम से सीधे कृषकों के खाते में जमा होना चाहिए तभी कृषकों को योजनाओं का लाभ मिल सकता है।
योजनाओं में बीडीटी लागू होने से कई लाभ होंगे।
1.उद्यान / कृषि विभाग में दलाली पर रोक लगेगी।
2.किसानों को उचित दरों पर अच्छी गुणवत्ता वाला सामान मिलेगा जिससे किसान अधिक उत्पादन कर सकेंगे।
- क्षेत्र विशेष में दवा बीज खाद आदि कृषि निवेश आपूर्ति हेतु स्थानीय पढ़ें लिखे बेरोजगारों को व्यवसाय करने एवं रोजगार के अवसर मिलेंगे साथ ही कृषकों को उनके मनपसंद कृषि निवेश समय पर व घर पर ही स्थानीय बाजार में उपलब्ध हो पायेंगे।
राज्य में 8.38 लाख कृषकों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि प्रति बर्ष 06 हजार रुपए की धनराशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से प्रदान की जा रही है क्योंकि ये Mandatory अनिवार्य है। किन्तु अन्य योजनाओं में राज्य में ऐसा नहीं होता यहां पर उद्यान विभाग टेंडर प्रक्रिया दिखा कर या फर्मों की सूचीबद्धता के नाम पर निम्न स्तर का सामान उच्च दरों पर चहेती फर्मों के दलालों के माध्यम से उद्यान सचल दल केन्द्रों/ कृषकों को बांटना दिखाते है।
उत्तराखंड तकनीकी कर्मचारी संघ उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण शाखा देहरादून ने अपने पत्रांक 46 दिनांक 21 अक्टूबर 2022 एवं प्रान्तीय संगठन ने अपने पत्रांक 02 दिनांक 1नवम्बर 2022 के माध्यम से उद्यान निदेशक को संबोधित पत्र में आरोप लगाया है कि विभाग द्वारा औद्यानिक निवेशों हेतु फर्मों के पंजीकरण Empanellment में बाजार भाव से कहीं अधिक दरें निर्धारित की जा रही है जबकि स्थानीय बाजार में निवेशों की दरें विभागीय अनुमोदित दरों से काफी कम है। जिससे विभागीय कीमतों पर निवेश क्रय करने में कृषक असमर्थता/रोष व्यक्त कर रहे हैं। पंजीकृत फर्मो द्वारा विभागीय कार्मिकों पर निवेश वितरण हेतु अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है।
पद्मश्री प्रेम चन्द्र शर्मा का कहना है कि प्रदेश में खेती किसानी तभी सफल हो सकती है जब सभी राज सहायता डी बी टी के माध्यम से किसानों को भुगतान होगा चाहे फलपौध हो कृषि यन्त्र व सब्ज़ी बीज आदि सरकार द्वारा क्रय की गई सामग्री सिर्फ़ दिखावा है इसीलिए उत्तराखण्ड में खेती बागवानी सफल नहीं है हम सभी किसान बन्धुओं को सरकार से यही निवेदन करना है कि खेती किसानी हित में यह लागू करें ताकि किसान सरकार व दुसरों को दोषी नहीं बना सकता सरकार यह देखें कि राजसहायता का दुरुपयोग तो नहीं हो रहा है।
देवेन्द्र सिंह बिष्ट, उद्यानपति रामगढ़ नैनीताल। दिनांक 23 मार्च 2023
प्रदेश में DBT को कृषि और बागवानी में लागू नहीं करने के कारण बहुत बड़ी सरकारी धन का दुरपयोग किया गया है जबकि माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने साफ़ साफ़ शब्दों में पूरे देश में एक पारदर्शिता लाने के लिए यह बहुत जरूरी कदम उठाए लेकिन भ्रष्ट नेताओं और अफसरों ने जनता के साथ ही देश के सर्वोच्च पद की गरिमा को भी नुकसान पहुंचाने के साथ ही अवैध रूप से सरकारी धन का दुरपयोग किया है जो कि देश में हमारे उत्तराखंड प्रदेश में बहुत वडे घोटाले में एक एतिहासिक घटनाओं में से एक है माननीय हाईकोर्ट यदि इस बात पर संज्ञान लेते हुए जांच सीबीआई को सौंप कर करने में दिलचस्पी ले तो असलियत के साथ ही पूरी सच्चाई सामने आ जायेगी और देश के धन संपत्ति को लुटने से बचाया जा सकता है
और उन चेहरों को भी बेनकाब किया जा सकता है जो भी इस तरह कृषि विभाग और बागवानी विभाग द्वारा विगत कुछ वर्षों से किया गया है उन संलिप्त लोगों की संपत्ति से वसूली करने के साथ ही दोषियों को जेल भेजा जा सकता है आम जनता इन योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रही है तो आय दोगुनी होने की संभावना सपना देख रहे लोगों की आंखों में धूल झोंकने जैसी बात हो गई है।
राज्य में ईमानदारी से डीबीटी लागू न होने के कारण प्रधानमंत्री मोदी जी का कृषकों की आय दोगुनी करने का संकल्प पूरा करने हेतु केन्द्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं में उत्तराखंड राज्य को आंवटित हजारों करोड़ रुपए के बजट में हुये व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण कृषकों की आय तो दुगनी होने से रही “हां ” राज नेताओं, नौकशाह व दलालों ( निवेश आपूर्ति क्रताऔ ) की आय कई गुना बढ़ रही है।
डॉ राजेंद्र कुकसाल उद्यान विशेषज्ञ ।