दीपक जोशी
कभी एडमिशन के लिए चलती थी लाठियां : आज आधी से ज्यादा सीट रह गई खाली .. कुमाऊं विवि के यह हाल क्यों हुए ?
एक समय था जब हर गांव में कुछ टीचर हुआ करते थे हमें अभी भी याद है. गांव में सभी तीन-चार लोगों को उनके नाम से नहीं मासाप के नाम से जाना जाता था लेकिन अब युवाओं की शिक्षक बनने की चाह कम हो गई है इसके पीछे सबसे बड़ा कारण शिक्षकों की नई भर्ती न होना है .. कुमाऊं की बात करें तो कुमाऊं के युवा बीएड को लेकर कम रुचि रखने लगे हैं हाल यहां तक पहुंच गए कि कुमाऊं विवि को बीएड पाठ्यक्रम में छात्र नहीं मिल रहे. इसका मुख्य कारण हमें b.Ed के बाद टीईटी की अनिवार्यता और शिक्षक पदों पर रोजगार की कमी को माना जा सकता है ऐसे में युवा वर्ग अन्य व्यवसाययों के पाठ्यक्रम पर फोकस कर रहे हैं.. अब आपको ऐसे अनेक गांव मिल जाएंगे जहां के एक भी छात्र आपको शिक्षक नहीं मिलेगा .. अल्मोड़ा परिसर के विवि बनने के बाद कुमाऊं विवि से संबद्ध b.Ed कॉलेज की संख्या लगभग 40 रह गई है जिसमें 3900 सीटें हैं. लेकिन तीसरी काउंसलिंग के बाद भी विद्यार्थी नहीं मिल पा रहे हैं .
आपको बता दें कि पहले इन पाठ्यक्रमों को पढ़ने के लिए छात्र-छात्राओं को काफी मेहनत करनी पड़ती थी आज इसी कुमाऊं विश्वविद्यालय में b.Ed की आधी से ज्यादा सीट खाली रह गई है ..
प्रवेश संयोजक बीएड कुमाऊं विवि के प्रोफेसर अतुल जोशी ने बताया “बीते कुछ वर्षों से छात्र-छात्राओं को b.ed को लेकर रुझान कम हुआ है साथ ही वर्तमान में कई रोजगार परख पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं जिसके चलते छात्रों का b.Ed की ओर क्रेज कम हुआ है “
पहाड़ों में रोजगार की बहुत कमी है और जिन लोगों ने b.Ed किया है वह भी बेरोजगार घूम रहे हैं आज का युवा उन लोगों को देखकर यह सोच रहा है कि जब उन्हें नौकरी नहीं मिली तो हमें कैसे मिलेगी इसी कारण उसकी पढ़ाई के प्रति रुचि कम हो रही है ..