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संसदीय राजभाषा समिति के द्वारा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड का निरीक्षण किया गया।

उत्तराखण्ड

संसदीय राजभाषा समिति के द्वारा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड का निरीक्षण किया गया।

श्रीनगर गढ़वाल – संसदीय राजभाषा समिति की पहली उपसमिति द्वारा सोमवार दिनांक 08 मई 2023 को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, उत्तराखंड का राजभाषा विषयक निरीक्षण किया गया। उपसमिति की 10 सदस्यीय दल का नेतृत्व संयोजक राम चन्द्र जांगडा, संसद सदस्य राज्य सभा ने किया। निरीक्षण बैठक में एनआईटी, उत्तराखंड की तरफ से प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी, निदेशक एवं डॉ धर्मेंद्र त्रिपाठी, प्रभारी कुलसचिव के साथ संस्थान के राजभाषा प्रकोष्ठ के अधिकारियो ने भाग लिया। बैठक के दौरान समिति के सदस्यों द्वारा एनआईटी, उत्तराखंड में राजभाषा नीति संबंधी निर्देशों के अनुपालन एवं प्रगामी कार्यान्वयन हेतु किये जा रहे कार्यो की समीक्षा की गयी। निरीक्षण बैठक में निदेशक, प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी ने संस्थान में राजभाषा हिंदी में किये जा रहे कार्यो एवं संस्थान की अन्य गतिविधियों एवं उपलब्धियों को पीपीटी के माध्यम से समिति के सदस्यों के समक्ष प्रस्तुत किया । उन्होंने समिति के सदस्यों को बताया कि एनआईटी उत्तराखंड में तकनीक और विज्ञान की गतिविधियों के साथ सरकार की राजभाषा नीति के प्रावधानों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए संस्थान में विशेषज्ञ व्याख्यान, प्रशिक्षण कार्यशाला जैसे विभिन्न प्रकार के प्रभावी कार्यक्रमों के माध्यम से संकाय सदस्यों और कर्मचारियों को हिंदी लेखन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।


प्रोफेसर अवस्थी ने समिति के सदस्यों को बताया कि राजभाषा विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार संस्थान में 1-15 सितम्बर के दौरान प्रत्येक वर्ष हिन्दी पखवाड़ा उमंग और उल्लास से मनाया जाता है। संस्थान की वेबसाइट पर द्विभाषीय, हिंदी और अंग्रेजी, माध्यम में जानकारी दी जा रही है। इसके अलावा पत्र व्यवहार, सूचना के आदान प्रदान और अन्य सरकारी काम काज जैसे पत्राचार, निविदा प्रक्रिया, विज्ञापन, संस्थान का वार्षिक प्रतिवेदन आदि के लिए हिंदी को एक माध्यम के रूप में सुनिश्चित किया गया है।
निरीक्षण के दौरान प्रभारी कुलसचिव डॉ धर्मेंद्र त्रिपाठी द्वारा समिति के समक्ष राजभाषा नीति संबंधी निर्देशों के अनुपालन के लिए संस्थान द्वारा किये जा रहे प्रयासों के साक्ष्य में दस्तावेज प्रस्तुत किया गया। इन दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद सदस्यों ने संस्थान में हिंदी में किये जा रहे कामकाज एवं अन्य गतिविधियों को संतोषजनक बताते हुए कहा कि अभी इस दिशा में और ठोस प्रयास करने की जरूरत है। इसके लिए सदस्यों ने संस्थान के राजभाषा प्रकोष्ठ के अधिकारियो को कुछ सुझाव और दिशानिर्देश देते हुए छह महीने उपरांत पुनः निरीक्षण के लिए उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
माननीय राज्य सभा संसद एवं संयोजक राम चन्द्र जांगडा ने निरीक्षण बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा “भाषाई आधार पर भारत सरकार के आधीन समस्त सरकारी कार्यालयों को “क”, “ख” एवं “ग” तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। हिंदी भाषी राज्यों को “क” श्रेणी में रखा गया है। जिन राज्यों या संघ राज्य क्षेत्रों में हिंदी बोली व समझी जाती है और मुख्य भाषा अन्य है , को “ख” श्रेणी में रखा गया है। इसके अतिरिक्त जिन राज्यों या संघ राज्य क्षेत्रों में हिंदी न तो बोली और न ही समझी जाती है और मुख्य भाषा भी अन्य है, उन्हें “ग” श्रेणी में रखा गया है। इस के तहत एनआईटी, उत्तराखंड को “क” श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने निरीक्षण बैठक के दौरान सभी सरकारी कार्यालयों को राजकीय कार्यो एवं क्रियाकलापों में राजभाषा हिन्दी के बेहतर प्रयोग द्वारा राजभाषा नीति संबंधी निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन और राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित वार्षिक लक्ष्यों को शत प्रतिशत पूरा करने का निर्देश दिया।
निरीक्षण के उपरांत डॉ धर्मेंद्र त्रिपाठी, प्रभारी कुलसचिव, ने माननीय सदस्यों को धन्यवाद ज्ञापित किया और माननीय सदस्यों द्वारा दिए गए सुझावों और निर्देशों को अक्षरशः पालन करने के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर किया। उन्होंने समिति सदस्यों को आश्वस्त किया कि सदस्यों द्वारा दिए गए सुझावों एवं दिशा-निर्देशन के आलोक में,पाई गयी कमियों को दूर करने के लिए संस्थान द्वारा पूरे मनोयोग से प्रयास किया जाएगा और विश्वास व्यक्त किया कि निदेशक के प्रभावी नेतृत्व एवं कुशल मार्गदर्शन में संस्थान राजभाषा सम्बन्धी नीतियों का शत प्रतिशत अनुपालन करने में अवश्य सक्षम होगा।

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