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नजरिया गलत तो दुनिया का है मैं क्यों छोड़ दूं अपना काम #Diya_arya

उत्तराखण्ड

नजरिया गलत तो दुनिया का है मैं क्यों छोड़ दूं अपना काम #Diya_arya

हमारे समाज में महिलाएं आज भी अनेक परेशानियों का सामना करती हैं महिलाओं की परेशानियों को कुछ लोग मजाक में भी लेते हैं आप इस कविता की लाइनों को पड़े और समझें की महिलाएं आज किन परेशानियों का सामना कर रही हैं

अफवाहों से जन्मी ये
सही करो फिर भी यह दुनिया क्यों देता मुझको इल्जाम
नजरिया गलत तो दुनिया का है मैं क्यों छोड़ दूं अपना काम
की बाधा डालना दुनिया का काम
मैं करूंगी वह जो मन चाहे
ए दुनिया वालों यह मेरी किस्मत ले जाएगी वहां जहां है राहें
जिंदगी सब की अपनी अपनी
जैसा समय बुझेगी जलते जलते
आशाओं से जन्मी है अब तो आज भी थक गई ना जलते जलते
कितना मजाक उड़ाओगे तुम एक पल का जरा धैर्य धरो
दूसरों का घर झांकते हो कभी अपना घर भी देखा करो
मुझे मतलब नहीं दुनिया से
मेरी मां ही मेरा संसार है
झूठ फरेब से कोसो दूर
मां खुशियों का भंडार है
सारी अफवाहे मिट गई ना सूरज के साथ ढलते ढलते
अफवाहों से जन्मी है अब तो आग भी थक गई ना जलते जलते

Diya_arya #हल्द्वानी

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