उत्तराखण्ड
बट सावित्री पूजा की धूम महिलाओं ने किया बट वृक्ष पर पूजा कार्यक्रम।
द्वाराहाट में वट सावित्री की पूजा में महिलाएं सुबह सवेरे से ही सज धज कर इस पूजा की तैयारी में लग गई बता दें कि वट सावित्री की पूजा वट वृक्ष के नीचे की जाती है और वृक्ष की परिक्रमा कलावा बांधकर के 7 बार की परिक्रमा सुहागन औरत करती है और अपनी पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत रखती है कहा जाता है कि सत्यवान जोकि सावित्री का पति था और सावित्री को जब इस बात की जानकारी हुई कि सत्यवान की उम्र मात्र 2 वर्ष की शेष है ऐसे में कई लोगों ने सावित्री के पिता ने सावित्री को समझाया कि सत्यवान से शादी ना करें क्योंकि तुम 2 वर्ष बाद विधवा हो जाओगी मगर सावित्री ने कहा कि जिसे मैंने अपने मन से अपना पति मान लिया है
अब कोई ताकत मुझको उन्हें पति बनाने से नहीं रोक सकती जब इस संदर्भ में नारद जी से पूछा तो नाराज जी ने कहा की सावित्री अगर यमराज को प्रसन्न कर ले तो निश्चित तौर से सत्यवान के प्राण बच सकते हैं बस यह सुनना था सावित्री ने यमराज को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप करना आरंभ कर दिया और यमराज ने सावित्री की तपस्या से प्रसन्न होकर सावित्री से वर मांगने को कहा तो सावित्री नहीं यमराज से पुत्र वान होने की कामना की यमराज ने तुरंत उन्हें पुत्र होने का वरदान दिया मगर सत्यवान मरणासन्न स्थिति में थी और 3:00 रात्रि भी जाने के बाद सत्यवान ने अपने प्राण छोड़ दी सावित्री का सहारा लेकर सत्यवान का अपने गोद में रख कर वहीं पर अपना तब करना शुरू कर दिया और यमराज से अपने पति के प्राण वापस लाने की बात करें सूर्यपुत्र सावित्री से कहा कि तुम कोई और वर मांग लो मैं देने को तैयार हूं पर सत्यवान के प्राण नहीं परंतु सावित्री केवल सत्यवान की प्राण चाहती थी ।
सावित्री के दृढ़ संकल्प के आगे यमराज भी हर गए और सत्यवान के प्राण लौटा दिए। सावित्री खुशी खुशी अपने घर को चली गई।तब से यह प्रथा आज तक चली आ रही है सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत रखती हैं ।द्वाराहाट में भी आज कई स्थानों पर इस व्रत के लिए महिलाएं बट वृक्ष पर पूजा अर्चना करते हुए भजन कीर्तन करते हुवे इस पर्व को मना रही हैं।