हल्द्वानी
गौलापार में 190 करोड़ से बना स्टेडियम गौला नदी की चपेट में : सिंचाई विभाग के साथ खेल विभाग भी बना है लापरवाह ।।
हल्द्वानी – उत्तराखंड में निर्माण कार्यों की गुणवत्ता देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि यहां केवल बातें ऊंची ऊंची होती हैं लेकिन कार्य कभी भी मजबूत नहीं किया जाता , ज्यादातर कार्य तो यह कांग्रेस के शासन का है यह बीजेपी के शासनकाल है होती इस लड़ाई में ही अटक जाते हैं ।। चाहे नेता एक से दूसरी पार्टी में चले जाते हों लेकिन पार्टी की लड़ाई में कार्य नहीं होते ।। अब नया मामला यह है कि शासन-प्रशासन की अनदेखी से गौलापार में बना इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय खेल परिसर का क्रिकेट स्टेडियम गौला नदी की चपेट में आ सकता है। वैसे भी यह स्टेडियम बनने के बाद बंजर ही पड़ा है करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद इसका उपयोग ना हो सका ।। अब पहाड़ों पर लगातार हो रही बारिश से गौला का तेज बहाव लगातार स्टेडियम की ओर तेजी से कटाव कर रहा है।
पवेलियन से मात्र 35 मीटर बह रही नदी
पवेलियन की दूरी नदी से मात्र अब 35 मीटर रह गई है। इससे स्टेडियम बहने का खतरा बढ़ गया है।आपको बताएं करीब 190 करोड़ रुपये से गौलापार में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय खेल परिसर बनाया गया,लेकिन बीते वर्ष गौला नदी से हुए कटाव के बाद सुरक्षा इंतजाम न होने से क्रिकेट स्टेडियम को खतरा पैदा हो गया था।तेज बारिश के कारण क्रिकेट स्टेडियम के ग्रास स्टैंड के पास पार्किंग किनारे बने जॉगिंग ट्रैक के पास पूर्व में बही जमीन के ऊपर से मिट्टी बहने लगी है। इससे जमीन का कटाव शुरू हो गया है। जहां स्टेडियम के निर्माण के समय स्टेडियम के पास से खूबसूरती को ध्यान में रखते हुए यह जमीन चयनित की गई थी लेकिन उसकी सुरक्षा के लिए सरकार लापरवाह बनी हुई है ।।
आपको बताएं एक जगह पर जॉगिंग ट्रैक 8 से 10 फीट की दूरी पर रह गया है। बीते साल स्टेडियम से पानी की निकासी की नाली भी टूट गई थी, अब उसके नीचे की मिट्टी तेजी से गौला में गिर रही है। इससे पूरा जॉगिंग ट्रैक बहने का खतरा है।बीते साल गौला नदी के उफान में आने पर खेल परिसर में क्रिकेट स्टेडियम की सुरक्षा दीवार के साथ ही यहां बनी सड़क भी बह गई थी। करीब 60 से 70 मीटर लंबी दीवार नदी में समा गई थी। नदी में कच्ची सड़क का 70 फीसदी हिस्सा भी बह गया था।
खेल विभाग और सिंचाई विभाग में हो रही तू- तू, मैं- मैं
मगर इसके बावजूद इसे बचाने के लिए न तो प्रशासन ने कोई कदम उठाए और न ही सिंचाई विभाग ने। सिंचाई विभाग सिर्फ प्रस्ताव भेजकर खामोश हो गया। अब एक बार फिर बरसात शुरू होने के साथ ही स्टेडियम के लिए खतरे की घंटी भी बजने लगी है।स्टेडियम की दीवार और जमीन बहने के बाद सितंबर 2023 से ही खेल विभाग लगातार सुरक्षा दीवार बनाने की मांग करता आ रहा है। इसके लिए बकायदा सिंचाई विभाग को लिखित में भी प्रस्ताव बनाकर खेल विभाग ने भेज दिया था। इसके बावजूद अभी तक इसको बचाने की कवायद नहीं हो सकी है।गौला नदी स्टेडियम को काट रही है, लेकिन इसे बचाने के लिए एक साल से सरकार के पास से बजट नहीं मिल सका है।
सिंचाई विभाग ने 2.60 करोड़ रुपये का प्रस्ताव सुरक्षा दीवार बनाने को भेजा था, लेकिन अभी भी बजट का इंतजार किया जा रहा है। मगर जिम्मेदारों ने इसके आलवा स्टेडियम को बचाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए।