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1930 के दशक में लिखी राजुला और मालूशाही के बीच के अटूट प्रेम और बलिदान की कहानी : अब लोकगायिका कमला देवी के मुख से दुनिया के सामने ।।

लोक संस्कृति

1930 के दशक में लिखी राजुला और मालूशाही के बीच के अटूट प्रेम और बलिदान की कहानी : अब लोकगायिका कमला देवी के मुख से दुनिया के सामने ।।

दुनिया भर में छा गया उत्तराखंडी संगीत

उत्तराखंड – कुमाऊनी लोक गायिका कमला देवी ने अंतर्राष्ट्रीय फ्रेंचाइजी संगीत स्टूडियो कोक स्टूडियो में अपनी प्रतिभा दिखाई थी । कमला देवी उत्तराखंड राज्य की निवासी एक शास्त्रीय लोक गायिका हैं। जिनका अपनी आवाज पर बहुत अच्छा नियंत्रण है। कुमाउनी लोक गायिका कमला देवी उत्तराखंड की पहली लोक गायिका हैं जिन्हें कोक स्टूडियो में गाने का अवसर मिला है। कमला देवी उत्तराखंड कुमाऊं क्षेत्र की लोक गायिका हैं। कमला जी गरुड़ बागेश्वर के लखनी गांव की निवासी हैं। कमला देवी को लोक संस्कृति से काफी लगाव है । जीवन के आरम्भ से ही इन्हे लोक संगीत अपने पिता जी से विरासत के रूप में मिला। इनके पिता भी लोक गायक थे। मात्र पंद्रह वर्ष की आयु में से ही इन्होने लोक संगीत का दामन थाम लिया था।

सोनचडी” गाना रिलीज़

वे कहती हैं वो केवल कुमाऊनी पारम्परिक लोक गीत ही गाती हैं।अब सोनचडी” गाना रिलीज़ हो गया हैं। Coke Studio India ने कुमाऊनी लोक गायिका कमला देवी का सोनचडी गाना रिलीज़ कर दिया है। अब इस गाने को youtube में देख सकते हैं। सोनचडी गीत राजुला और मालूशाही की लोकप्रिय प्रेम कहानी को बयां करता हैं।

राजुला और मालूशाही की कहानी रही है मशहूर

आप को बता दें की राजुला और मालूशाही की कहानी पहली बार 1930 के दशक में लिखी गई थी।यह गीत राजुला और मालूशाही के बीच के अटूट प्रेम और बलिदान की कहानी को दर्शाता है। “सोनचडी” गीत अपनी मधुर धुन और भावपूर्ण गीतों के लिए दर्शकों का दिल जीत रहा है। यह गीत निश्चित रूप से उन सभी को पसंद आएगा जो सच्चे प्यार की कहानियों का आनंद लेते हैं।

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