धर्म-संस्कृति
द्वाराहाट जाबर में मां नंदा की हुई पूजा रात भर चला कार्यक्रम।

द्वाराहाट विधानसभा के चौखुटिया विकासखंड के तड़ागताल क्षेत्र के जाबर मंदिर में लगने वाला रात्रि का यह मेला आज से नहीं बल्कि दशकों साल पहले 1880 से इस स्थान पर चलता रहा है आज आधुनिकता की चकाचौंध भी इस मेले में देखने को मिलती है मगर कालांतर में इस मेले को दूर दूर ग्रामीण अंचलों से पैदल कोसो दूर से मनाने आते थे और अपने अपने नियत स्थान या डेरों पर ठहर कर इस मेले को मनाते थे। ,इस मेले में एक सप्ताह से तैयारी की जाती है इस मेले के मुख्य आयोजक टेड़ा गांव के थोकदार होते हैं जिनके घर में सर्व प्रथम बार भरा जाता है रात भर जागरण किया जाता है।और केले के वृक्ष को ढोल नगाड़ों की धुन के साथ महिलाएं पारंपरिक परिधान पहने भजन माता के गीत गाकर कदली वृक्ष को लाते हैं,और विशेष बात जिस कदली वृक्ष को लाया जाता है उस पर फल नही आता है और वो वृक्ष नदी के उस पार होता है जिसे ग्रामीण नदी में तैरकर इस पार लाते हैं जिससे माता की प्रतिमा बनाई जाती है प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। टेड़ा गांव के मुखिया थोकदार कुबेर सिंह कठायत बताते हैं कि पूरी रात भर यह जागरण चलता है और एक दर्जन से अधिक गांवों के लोग इसमें सपरिवार प्रतिभाग करते हैं चार प्रहर होते हैं चारों प्रहरों में दे डंगरियों को अवतरित किया जाता है इसमें लाटू देवता मुख्य रूप से अवतरित किया जाता है जोकि अपने मुंह में कटार लेकर लोगों को आशीर्वाद देते हैं।मां नंदा जोकि गौरा देवी हैं उनकी पूजा की जाती है ग्रामीण महिलाएं पुरुष गोल घेरे में देवी की स्तुति आराधना गायन कर करती हैं जिसे झोड़ा कहा जाता है।विशेष रूप से शिव पार्वती को समर्पित यह मेला पूरी रात्रि चलता है भक्तों के लिए भंडारे का आयोजन किया जाता है सुबह स्नान कर मां की पूजा कर लोग आशीर्वाद लेकर अपने घरों को प्रस्थान करते हैं।
आज राजनैतिक दलों के नेता भी यहां पहुंचना नही भूलते क्योंकि सेंकड़ों की संख्या में लोग यहां आते हैं और ये नेता भी इस मंदिर के विकास में अपना योगदान देते हैं।











