Connect with us

उत्तराखंड देव भूमि में कमी नहीं है प्रतिभावान लोगों की। पिरूल वुमेन मंजू आर साह ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के देती है पिरूल घास से नये नये टिप्स।

नैनीताल

उत्तराखंड देव भूमि में कमी नहीं है प्रतिभावान लोगों की। पिरूल वुमेन मंजू आर साह ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के देती है पिरूल घास से नये नये टिप्स।

नैनीताल। सरोवर नगरी नैनीताल से 22 किलोमीटर दूर ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी भीमताल में लगी पुस्तक प्रदर्शनी में पिरूल वुमेन मंजू आर साह को अपनी पिरूल घास से बनाई हुई वस्तुओं का प्रदशनी में लगाने का मौका मिला।पिरूल घास से बनाये गये समान की सराहना प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की।
जिसमे उत्तराखण्ड के लोक कलाकार प्रहलाद मेहरा यूनिवर्सिटी के निदेशक व स्थानीय लोगों के साथ साथ कॉलेज के बच्चो ने भी मंजू के पिरूल से बनी वस्तुओ की खुब सरहना करी तथा उनसे इस प्रकार का कार्य सीखने की इच्छा प्रकट करी।
यहाँ बता दें अल्मोड़ा की रहने वाली राजकीय कन्या इंटर कॉलेज ताड़ीखेत में प्रयोगशाला सहायक के पद पर कार्यरत शिक्षिका और उत्तराखण्ड में पिरूल वूमेन नाम से प्रसिद्ध मंजू आर साह इन दिनों उत्तराखण्ड की महिलाओं एवम युवतियों को रोजगार प्रदान कर रही।


यह बेकार समझे जाने वाले पिरुल के माध्यम से तथा वेस्ट मैनेजमेंट से सुंदर रचना कर आजीविका चलाने के लिए लोगो को प्रेरित कर रही है।
जिसमे वे पिरुल के माध्यम से वे पैन स्टैंड, वॉल हैंगर, टोकरी कंडी और तहर तहर की सुन्दर रचना बना रही है।
गौर तलब है कि मंजू व उनकी टीम ने पिरूल से राखी बनाने का कार्य भी किया जो की उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पास भी पहुंची, जिस की सराहना मुख्यमंत्री के द्वारा की गई।
मंजू निर्धन महिलाओं को आज भी फ्री में प्रशिक्षण देने का कार्य कर रही है।
मंजू आर साह का जन्म कपकोट में हुआ तथा उनकी स्कूली शिक्षा दिशा भी कपकोट से ही हुई।
2004 में अल्मोड़ा से स्नातक करने के उपरांत सुसोलॉजी तथा एजुकेशन से परास्नताक की शिक्षा ली ।


तथा उस के बाद भीमताल कॉलेज से 2007–08 में बी0 एड0 की उपाधि प्राप्त करी। इस के उपरांत 2009 में उनका विवाह हुआ और वे अपने पति मनीष कुमार साह के साथ अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के हाट गांव में आकर रहने लगीं. जापानी प्रशिक्षक से प्रशिक्षण ले चुकी अपनी मौसेरी बहन पूजा ने उन्हें साज सज्जा के सामान बनाने हेतु प्रेरित किया।मंजू आर साह ने बताया कि उन्हें बचपन से ही कलाकृतियो व अलग अलग प्रकार के साजो सामान बनाने का अत्यंत शौक रहा है। उनकी माता द्वारा बचनपन में टोकरी आदि चीजे बनाई जाती थी तो नन्ही मंजू उन्हे बड़े ध्यान से देखती और उन्हे बनाने का प्रयास करती। मंजू अपनी मां को अपना प्रेरणा स्त्रोत मानती है।मंजू के जीवन में एक बड़ी त्रासदी 1993 घटी थी जब वे तीसरी कक्षा में पढ़ती थीं. उनके पिता किशन सिंह रौतेला का असमय निधन हो गया. इतनी छोटी अवस्था में परिवार के सामने ऐसी बड़ी विपत्ति आ जाए तो जीवन के पाठ जल्दी सीखने पड़ते हैं. नन्हीं मंजू को भी ऐसा ही करना पड़ा होगा.


मंजू ने बताया की उन्होंने अपने बी 0एड0 की प्रैक्टिकल कक्षाओ के दिनों में भी पूरा जोर वेस्ट मेटेरियल से सुंदर रचना बनाने पर काफी ध्यान दिया। 2012 में जब मंजू ने राजकीय कन्या इंटर कॉलेज ताड़ीखेत में प्रयोगशाला सहायक के रूप में कदम रखा तो कुछ समय बाद उन्होंने पाया की स्कूल के अधिकांश बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण किसी भी प्रकार की मॉडल प्रदर्शनी में प्रतिभाग नही कर पा रहे हैं। बस वही से मंजू ने ठाना की वे बच्चों को वेस्ट मेटेरियल से सुंदर रचना बनाने की अधिक ध्यान देगी।

और इसी के साथ उन्होंने बच्चो के साथ मिल कर कई स्कूली प्रतियोगिता में पुरुस्कार जीते।अपनी इस पहल के लिये मंजू को शिक्षा में शून्य निवेश नवाचार हेतु प्रशस्ति पत्र दिया गया. उन्होंने पिरूल को स्वरोजगार से जोड़कर पहाड़ के लोगों के लिये स्वरोजगार का एक नवीन विकल्प की शुरुआत की है।अल्मोड़ा के द्वाराहाट कस्बे में रहने वाली मंजू रौतेला साह को सन 2019 में कोलकाता में बेस्ट अपकमिंग आर्टिस्ट का अवार्ड मिला। यह अवार्ड उन्हें इण्डिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल की ओर से दिया गया। इस के बाद तो जैसे माजू ने के जीवन की गाड़ी ने रफ्तार पकड़ ली। इस के बाद मंजू को वर्ष 2019 में इण्डिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में बेस्ट अपकमिंग आर्टिशियन अवार्ड मिला है। श्री अरविंदो सोसाइटी द्वारा शिक्षा में शून्य निवेश नवाचार में प्रशंसा पत्र।ओहो रेडियो द्वारा राज्य स्थापना दिवस में समाज हित में किए जा रहे कार्यों के लिए सम्मान। ओहो रेडियो द्वारा मैं उत्तराखंड हूं सीरीज में साक्षात्कार । दूरदर्शन उत्तराखंड में शाबाश उत्तराखंड सीरीज में साक्षात्कार के लिए बुलाया।2022 आत्मनिर्भर भारत में महिलाओं की भूमिका में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व जेएनयू दिल्ली में किया। इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल 2022 भोपाल में प्रतिभाग करने के साथ ही नमस्ते एमपी में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की पुण्यतिथि पर साक्षात्कार।चारधाम हॉस्पिटल द्वारा राज्य स्तरीय वाद्य यन्त्र एवं हस्तशिल्प प्रदर्शनी में उत्कृष्ट कलाकार के रूप में सम्मान।कुर्मांचल परिषद देहरादून द्वारा संस्कृति के संरक्षण में सम्मान। अपनी धरोहर संस्था द्वारा सम्मान और अनेको सामान प्रदान किया गया ।
वे अपनी सफलता का श्रेय अनेक लोगों को देती हैं. कहती हैं, “मुझे पिरुल से पहचान दिलाने में गौरीशंकर कांडपाल का महत्वपूर्ण योगदान है ।उन्होंने ही मुझे वर्ष 2018 में इस पिरूल घास से समान बनाने की प्रेणा दी। जिससे आज भी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है।


चमोली में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के तत्वाधान में लगभग 25 गांव की 150 महिलाओं को ट्रेंड कर चुकी हूं। सल्ट गांव की गीता पंत को भी मैंने ही ट्रेनिंग दी है।इसके अलावा कोरोना काल के दौरान द्वाराहाट के गौचर में भी द्वाराहाट की लगभग 100 महिलाओं को प्रशिक्षित किया। जो सभी अपना काम कर रही हैं
छत्तीसगढ़ झारखंड की महिलाओं ने भी ऑनलाइन ट्रेनिंग ली है।
मंजू ने बताया वे महिलाओं और युवतियों को इस पर जोड़ने का प्रयास कर रही हू।ताकि हमारी माताएं बहिनें आत्मनिर्भर बन सकें। इसके लिए मैं ऑनलाइन और ऑफलाइन ट्रेनिंग देती हूं।मेरी यह मुहिम निरंतर रहेगी।

Ad Ad

रिपोर्टर – प्रतिपक्ष संवाद अपने क्षेत्र की ख़बरों को प्रसारित करने हेतु हमसे संपर्क करें – [email protected]

More in नैनीताल

Trending News

धर्म-संस्कृति

राशिफल अक्टूबर 2024

About

प्रतिपक्ष संवाद उत्तराखंड तथा देश-विदेश की ताज़ा ख़बरों का एक डिजिटल माध्यम है। अपने क्षेत्र की ख़बरों को प्रसारित करने हेतु हमसे संपर्क करें  – [email protected]

Editor

Editor: Vinod Joshi
Mobile: +91 86306 17236
Email: [email protected]

You cannot copy content of this page