देहरादून
साढ़े तीन हजार शिक्षकों ने मारा नेताओं के मुंह में तमाचा ।। तबादले से जुड़ा हुआ है मामला ।।
देहरादून – उत्तराखंड में अनेक ऐसी खबरें हर रोज आती हैं जो उत्तराखंड को खुशी नहीं देती या ये कहूं कि राज्य के लिए बेहतर नहीं होती लेकिन बीच-बीच में कुछ ऐसी खबरें भी आती हैं जिससे राज्य को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है , जहां प्रदेश में इन दिनों शिक्षक देहरादून , ऊधम सिंह नगर और हरिद्वार समेत कुछ जिलों के सुगम विद्यालयों में तैनाती के लिए छुट भैया नेता से लेकर विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री कार्यालय तक के चक्कर लगा रहे हैं।
वहीं राज्य में 3897 शिक्षक ऐसे हैं, जो सुगम में तबादलों के बजाए पहाड़ के दूरदराज के दुर्गम और अति दुर्गम विद्यालयों में ही अपनी सेवा देना चाहते हैं। वह पहाड़ में रहकर सेवा करना चाहते हैं.. इन शिक्षकों ने विभाग को सुगम में तबादले के बजाए दुर्गम में ही बने रहने के लिए आवेदन दिया है। जो उन लोगों के मुंह में तमाचा है जो कहते हैं सबको शहर ही पसंद है और इसके साथ उन नेताओं के लिए भी शर्म की बात है जिनको गैरसैंण में ठंड लगती है पहाड़ में नेताओं का दिल हल्द्वानी, रामनगर,ऋषिकेश, देहरादून, हरिद्वार में लगता है लेकिन पहाड़ के हजारों शिक्षक सही मायने में राज्य सेवा कर रहे हैं।
आपको बता दें उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 के तहत इन दिनों शिक्षा विभाग में शिक्षकों और कर्मचारियों के तबादलों की प्रक्रिया चल रही है।इस प्रक्रिया के बीच शिक्षा निदेशालय और शासन में कुछ शिक्षकों को सुगम क्षेत्र के विद्यालयों में तबादलों के लिए विधायकों और मंत्रियों की सिफारिश लगाते देखा जा सकता है। जबकि तबादला एक्ट में स्पष्ट है कि कोई सरकारी सेवक तबादला आदेश के खिलाफ दवाव डलवाने का प्रयास करे तोउसके इस आचरण को सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली उल्लंघन मानते हुए उसके खिलाफ उत्तराखंड सरकारी सेवक नियमावली 2003 के अनुसार अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
इसके बावजूद विभाग में तबादलों के लिए सिफारिशी पत्र भी पहुंच रहे हैं। आपको बता दें माध्यमिक शिक्षा में 3897 शिक्षकों ने दुर्गम और अति दुर्गम विद्यालयों में ही बने रहने के लिए विभाग में आवेदन किया है। इन शिक्षकों ने स्पष्ट कहा है कि उन्हें सुगम क्षेत्र के विद्यालयों में तैनाती नहीं चाहिए। इसमें 1248 प्रवक्ता भी हैं। इस खबर पर चर्चा होनी ही चाहिए ।।