उत्तराखण्ड
क्या UP की हवा उत्तराखंड में भी बहेगी ?
क्या UP की हवा उत्तराखंड में भी बहेगी ?
वैसे तो हवाएं उत्तराखंड से यूपी की तरफ चलती हैं , हिमालय से ठंडी हवाएं यूपी से दिल्ली तक असर डालती हैं। लेकिन सियासी हवाओं की दिशा कुछ अलग है। देखना यह है कि जो राजनीती का माहौल यूपी में बना है उसका उत्तराखंड में कितना असर पड़ता है। बात अलग है कि यूपी को सीएम उत्तराखंड ने ही दिया है। योगी आदित्यनाथ मूलतः उत्तराखंड से ही हैं। मतदान में अब केवल दो हफ्ते का समय है। यूपी में माहौल गरमाने लगा है। मुख्य टक्कर भाजपा और सपा में ही है। बसपा इस बार बहुत देर से नींद से जागी है और कांग्रेस है की नींद से उठने का नाम ही नहीं ले रही। हर बार की तरह इस बार भी प्रियंका वाड्रा ने कुछ उम्मीद जगाई लेकिन ‘लड़की हूँ लड़ सकती हूँ ‘ का नारा जितनी तेजी से चला उतनी तेजी से ही थम भी गया।
देश से कांग्रेस सिमट रही है। इस समय जिन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं कांग्रेस की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। यूपी , पंजाब , गोवा , मणिपुर और उत्तराखंड। पंजाब में जो रही सही स्थिति थी सिद्दू के चक्कर में वह भी शीर्ष नेतृत्व ने मिट्टीपलीद कर दी। विनाशकाले विपरीत बुद्धि। ऐसा कांग्रेस ही कर सकती है कि जहाँ विजय की संभावनाएं हों वहाँ पराजय को आमंत्रित किया जाये।
लेकिन उत्तराखंड का गणित जरा भिन्न है। यहाँ कांग्रेस उतनी बुरी स्थिति में नहीं है। इनफैक्ट पूरी टक्कर देने की स्थिति में है। एक बार भाजपा, एक बार कांग्रेस इस हिसाब से तो बारी कांग्रेस की है क्योंकि 2017 से भाजपा की सरकार है। लेकिन मोदी साह के युग में ऐसा हो पायेगा ये देखने वाली बात है। क्योंकि मोदी साह नड्डा वाली भाजपा पूरे पेशेवर तरीके से चुनाव लड़ती है। उत्तराखंड में कांग्रेस मजबूत है कहने के बजाय यह कहना उचित होगा कि कांग्रेस के पास मजबूत कैंडिडेट हैं जो अपने दम पर चुनाव जीतने का माद्दा रखते हैं।
इस सबके बीच उत्तराखंड क्रांति दल की स्थिति बहुत दयनीय है। १-2 सीट जरूर ऐसी हैं जहाँ कैंडिडेट त्रिकोणीय संघर्ष पैदा कर रहे हैं।
उत्तराखंड में कांग्रेस का वोट शेयर ठीक होने की वजह , आम आदमी पार्टी के लिए बहुत उम्मीद नहीं जगाता। जहाँ जहाँ कांग्रेस का वोट शेयर घटा है उसका फायदा आप ने लिया है। दिल्ली इसका उदहारण है। और पंजाब में भी जो थोड़ी उम्मीद दिखती है उसका कारण कांग्रेस का लगातार घटता जनाधार है। इसलिए उत्तराखंड में आप के लिए कोई चमत्कार होगा इसकी उम्मीद कम है।
उत्तराखंड राष्ट्रीय पार्टियों का गढ़ है। लेकिन केंद्र में भाजपा के मजबूत होने और कांग्रेस के कमजोर होने का असर पड़ना स्वाभाविक है। मोदी की जितनी भी बुराई कर ली जाये आज भी उनकी लोकप्रियता सबसे ज्यादा है और कई बार तो आश्चर्य जनक रूप से ज्यादा है। दिल्ली लखनऊ, उत्तराखंड से ज्यादा दूर नहीं। इसलिए मोदी -योगी का असर पड़ना तय है।