उत्तराखण्ड
उत्तराखंड राज्य बनने के 23 साल बाद भी सरकार लागू नही कर पाई सख्त भू कानून।
श्रीनगर गढ़वाल – प्रभावी बने उत्तराखंड में भू-कानून वर्ष 2022 में हुए विधान सभा चुनाव में भी जनता ने यही आशा के साथ वोट किया है कि उत्तराखंड में एक प्रभावी भू कानून बने तथा सरकार के ऊपर यही दबाव रहा है जिसके चलते सरकार द्वारा इसे प्राथमिकता के साथ लेते हुए सरकार गठन के कुछ ही महीनों के बाद एक समिति का गठन कर दिया गया , समिति की रिपोर्ट के बारें में इस लेख के अंत में बात करेंगे आइये पहले जानते हैं की उत्तराखंड के इस लचीले भू कानून से उत्तराखंड की जन भावनाओं पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है।
आप जानते हैं की उत्तराखंड में पलायन एक मुख्य समस्या के रूप में उभरा है। पलायन के कारण गांव के गांव खाली हो रहे है। जिसका फायदा गैर उत्तराखंडियों द्वारा उठाया जा रहा है तथा उत्तराखण्ड की गरीब जनता की मजबूरियों का फायदा उठाकर लालच देकर कम दाम पर जमीन खरीदी जा रही है, जिससे उत्तराखण्ड के गॉवों की संस्कृति, खान-पान, वेश भूषा, रहन-सहन इत्यादि भी बदल रहा है तथा यह जनसांख्यिकीय बदलाव का भी प्रत्यक्ष उदाहरण है और इसके प्रति पूर्ण रूप से जिम्मेदार है, जो केवल लचर भू-कानून के कारण ही प्रभावी हुआ है।
यह कानून उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय राज्य के लिए इसलिए खतरनाक है कि इससे पहाड़ को सामाजिक आर्थिक व यहॉ की संस्कृति ही प्रभावित नहीं होगी, बल्कि रहन-सहन, जीवन शैली को भी प्रभावित करेगी और अधिकॉश लोग अपने ही राज्य में भूमिहीन हो जायेंगे। आज कल हर दिन खबर सुनने और अखबार में पढ़ने को मिलता है की उत्तराखंड के मूल निवासियों के पुस्तैनी रास्ते ही गैर उत्तराखंडियों की उत्तराखंड में जमीन खरीदने के कारण बंद हो गए है इसलिए वन यू के टीम सामाजिक संगठन पिछले पांच सालों से लगातार सरकार से उत्तराखंड में सख्त भू कानून लागू करने की मांग कर रहा है परन्तु सरकार के कान में जूं तक नहीं रिंग रही है आप सभी जन मानस से निवेदन है कि आप आवाज उठाएं और सरकार से सख्त भू कानून लागू करवाएं। भगवान सिंह चौधरी ब्लॉक अध्यक्ष भिलंगना ,वन यूके टीम सामाजिक संगठन टिहरी गढ़वाल।