उत्तराखण्ड
45% वन भूमि जलने के बाद उत्तराखंड सरकार की बनी योजना: अब इतने रुपए प्रति किलो खरीदा जाएगा पिरुल ।।
देहरादून – उत्तराखंड में आग लगने का सबसे बड़ा कारण चीड़ के जंगल हैं। आग से धधक रहे उत्तराखंड के जंगलों पर सरकार अब जाकर गंभीर नजर आ रही है। अब तक हजारों हेक्टेयर बहुमूल्य वन संपदा आग से खाक हो चुकी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज वन विभाग के लापरवाह अधिकारियों पर कार्रावई की वहीं वनाग्नि का बडा कारण पिरूल के लिए भी व्यापक योजना शुरू की है। रुद्रप्रयाग दौरे पर मुख्यमंत्री ने पिरूल की पत्तियों को एकत्र करते हुए लोगों को इससे जुड़ने का संदेश दिया। सीएम ने कहा कि सरकार अब 50 रुपए प्रति किलो की दर से पिरूल खरीदेगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग समय रहते जंगलों से पिरूल हटाएं।
50 रुपए प्रति किलो की दर से पिरूल बेच लीजिए
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिरूल की सूखी पत्तियां वनाग्नि का सबसे बड़ा कारण होती हैं। मेरा प्रदेश की समस्त जनता से अनुरोध है कि आप भी अपने आस-पास के जंगलों को बचाने के लिए युवक मंगल दल, महिला मंगल दल और स्वयं सहायता समूहों के साथ मिलकर बड़े स्तर पर इसे अभियान के रुप में संचालित करने का प्रयास करें।वनाग्नि को रोकने के लिए सरकार ‘पिरूल लाओ-पैसे पाओ’ मिशन पर भी कार्य कर रही है। इस मिशन के तहत जंगल की आग को कम करने के उद्देश्य से पिरूल कलेक्शन सेंटर पर ₹50/किलो की दर से पिरूल खरीदी जाएगा। इस मिशन का संचालन पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा किया जाएगा इसके लिए ₹50 करोड़ का कार्पस फंड पृथक रूप से रखा जाएगा
बीजेपी कार्यकर्ता जंगल की आग पर पाएंगे काबू
रुद्र प्रयाग के रतूड़ा स्थित हेलीपैड पर उतरने के बाद मुख्यमंत्री ने पिरूल भी एकत्रित किया। साथ ही लोगों से जंगलों में लाग न लगाने की अपील की। उन्होंने कहा कि पिरूल से आग बहुत तेजी से फैलती है। ऐसे में समस्त अधिकारी फायर लाइन के तहत आग को नियंत्रण करने में मदद करेंगे। इस कार्य में उनके पार्टी कार्यकर्ता भी शामिल रहेंगे।