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राम मंदिर बनने के बाद भी अयोध्या क्यों हारे मोदी, देश में होने जा रहा है अब नया खेल ?

दिल्ली

राम मंदिर बनने के बाद भी अयोध्या क्यों हारे मोदी, देश में होने जा रहा है अब नया खेल ?

जिस स्थान में बीजेपी ने राम का मंदिर बनाया वह भी सीट बीजेपी से कैसे छीन ली ?

नई दिल्ली – इस चुनाव में जहां खटाखट – टकाटक चल रहा था चुनाव नतीजे ने सभी को खुश खुश कर दिया जिस कारण सोशल मीडिया में कल से खूब मीम वायरल हो रहे हैं बीजेपी खुश है कि फिर तीसरी बार एनडीए की सरकार बना रही है बीजेपी वाले कह रहे हैं कि हमने हिमाचल, उत्तराखंड ,दिल्ली, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में क्लीनशिप कर दिया है ,उड़ीसा में सरकार बना दी है , केरल में हमने पहली बार खाता भी खोल दिया है तो कांग्रेस इसलिए खुश है कि उसने इस बार 99 का आंकड़ा छू लिया है ।

कांग्रेस इसलिए खुश है कि उसने इस बार 99 का आंकड़ा छू लिया है

कांग्रेस कह रही है हमने मोदी योगी के यूपी में खेला कर दिया है यहां तक कि हमने अयोध्या के जिस स्थान में बीजेपी ने राम का मंदिर बनाया वह भी सीट छीन ली है वैसे अयोध्या सीट पर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है सोशल मीडिया में लोग लिख रहे हैं कि अयोध्या वासियों को विकास पसंद नहीं आया, जहां नरेंद्र मोदी सरकार ने अयोध्या की काया ही पलट दी वहां से बीजेपी का हारना हिंदुओं के लिए खतरे की घंटी है ,लेकिन अब लोग इस पर भी बात कर रहे हैं कि जिस बीजेपी ने सालों से राम मंदिर के नाम पर सरकार बनाई लेकिन इस बार राम मंदिर बनाने के बाद उसे सरकार बनाने में परेशानी कैसे हुई ।

आखिर अयोध्या की जनता ने बीजेपी का साथ क्यों नहीं दिया

राम मंदिर बनने के बाद भी अयोध्या की जनता क्यों खुश नहीं है ? क्या अयोध्या की जनता को राम मंदिर से कोई लेना-देना नहीं ? जिस बीजेपी ने अयोध्या में विकास की नई गाथा लिख दी गई हो वहां फिर भाजपा कैसे हार सकती है? वहीं इस बार बंगाल में ममता बनर्जी ने भी खूब बवाल काटा ,बीजेपी उम्मीद लगा रही थी कि हम बंगाल को फतह कर लेंगे लेकिन बीजेपी की उम्मीद वहां समाप्त हो गई ।

स्मृति ईरानी को मुंबई क्यों भेजा ?

कांग्रेस के लोग इस बात से भी खुश हैं कि उनके नेता ने स्मृति ईरानी को भी मुंबई भेज दिया है , कांग्रेस कह रही है कि राहुल गांधी की न्याय यात्रा का असर हुआ है , लोगों ने कांग्रेस के साथ न्याय करते हुए 99 सीट दे दी वही अखिलेश भैया खुश है कि हमने यूपी में कमाल कर दिया है हम देश की तीसरी नंबर की पार्टी हैं और यूपी में नंबर वन और सपा के लोग कह रहे हैं कि दिल्ली जाने का रास्ता लखनऊ से ही होते हुए जाता है ।।मजे की बात तो यह है इस चुनाव में जनता भी बड़ी खुश है जनता कह रही है कि हमने जिसे वोट दिया उसने कमाल कर दिया यानी कि पूरा देश खटाखट,फटाफट, टकाटक के बाद अब खुश खुश में व्यस्त है ।

400 पार का नारा लगा रही भाजपा को चुनाव परिणाम में केवल 240 सीट ही मिल पाई

लेकिन दुनिया के सबसे बड़े चुनावी पर्व में कल का दिन हमेशा याद रहेगा। 400 पार का नारा लगा रही भाजपा को चुनाव परिणाम में केवल 240 सीट ही मिल पाई , इस चुनाव परिणाम में एनडीए को 292 सीटों पर जीत मिली वहीं इंडिया गठबंधन को 234 सीटों पर जीत मिल गई. फैसले की इस घड़ी में मौजूदा सरकार के साथ उसके मंत्रियों की किस्मत का भी फैसला हार के साथ हुआ । नरेंद्र मोदी के साथ 52 केंद्रीय मंत्रियों ने लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई। इस चुनाव में एग्जिट पोल के अनुमान सही साबित नहीं हुए. कई एग्जिट पोल में एनडीए को 400 सीटों का अनुमान लगाया गया था. हालांकि चुनाव परिणाम में एनडीए को 292 सीटों पर जीत मिली वहीं इंडिया गठबंधन को 234 सीटों पर जीत मिली है. . कांग्रेस पार्टी ने 99 सीटों पर जीत दर्ज की है. समाजवादी पार्टी को 37 सीटों पर जीत मिली है. टीएमसी ने 29 सीटों पर सफलता हासिल की है. . वैसे बात करें इंडिया गठबंधन की तो इंडिया गठबंधन ने ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया और ग्रामीण क्षेत्रों में उसे अच्छी-खासी संख्या में वोट मिले हैं. दिल्ली में भाजपा ने अपना गढ़ बरकरार रखा है , वहीं आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी ने शानदार जीत हासिल की.

आखिर बीजेपी को पूर्ण समर्थन क्यों नहीं मिला जानते हैं ?

भाजपा के अकेले दम पर बहुमत हासिल करने से चूक जाने के बाद चंद बाबू नायडू और नीतीश कुमार के हाथ में सरकार की चाबी आ गई है ।आखिर बीजेपी को पूर्ण समर्थन क्यों नहीं मिला जानते हैं , कांग्रेस और इंडिया गठबंधन ने पूरे चुनाव में लगभग हर राज्य में युवा बेरोजगारी की बात करते रहे और सबसे बड़े मुद्दे के तौर पर बेरोजगारी को गिनाते रहे। बेरोजगारी तो पहले से थी लेकिन कोविड के बाद स्थिति और खराब हुई। जो प्राइवेट जॉब पहले थी वह कोविड में चली गई। कई छोटी दुकानों से लेकर छोटे बिजनेस तक ठप हो गए। किसी भी मॉल से लेकर किसी भी फैक्ट्री तक में यह स्थिति स्पष्ट थी। लेकिन बीजेपी कोविड के बेहतर मैनेजमेंट का गुणगान करती रही और रोजगार को लेकर बात नहीं की। विपक्ष ने इस मुद्दे को उठाया। इसी के साथ लगातार अलग अलग परीक्षा देकर उसके रिजल्ट का इंतजार करना और फिर परीक्षा ही कैंसल होना, इससे भी युवा परेशान थे। जिसकी नब्ज़ कांग्रेस ने समझ ली। दुसरा कारण जब से सेना में भर्ती की नई स्कीम अग्निपथ लागू हुई तबसे युवाओं के बीच इसका विरोध हुआ। चुनाव में भी यह अहम मुद्दा बना। युवाओं में इसे लेकर नाराजगी थी और कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वादा किया वह सरकार में आएंगे तो इस स्कीम को खत्म कर पुरानी भर्ती प्रक्रिया लागू करेंगे।

अग्निवीर की आग ने भी बीजेपी के कमल को झुलसाया

इसलिए कहा जा सकता है कि अग्निवीर की आग ने भी बीजेपी के कमल को झुलसाया है तीसरा कारण बीजेपी में कई जगह उम्मीदवारों के चयन पर भी सवाल उठे। हर राज्य में अलग मुद्दों पर वोटिंग हुई और कोई एक राष्ट्रीय मुद्दा हावी नहीं रहा। राम मंदिर को लेकर लगातार बयानबाजी से बीजेपी को फायदा नहीं हुआ। कुछ बीजेपी नेताओं के संविधान बदलने की बात कहने के बाद विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया और कहा कि ये आरक्षण खत्म करना चाहते हैं और लोगों के मन में भी शक पैदा हुआ।देश में भले ही एक बार फिर मोदी सरकार बनने जा रही हो, लेकिन बात अब शायद पहले जैसी नहीं होगी. अब पीएम मोदी के सामने कई बड़े चैलेंज होंगे. क्यों कि लोकसभा चुनाव में जनता का मूड पता चल चुका है. एनडीए को 543 में से 292सीटें, तो वहीं इंडिया गठबंधन के खाते में 234 सीटें आई है. बात अगर बीजेपी की करें तो उसको सिर्फ 240 सीटें मिली हैं, जबकि उम्मीद 300 पार की थी. बीजेपी के पास अब बहुमत नहीं है.

एनडीए के सहारे सरकार बन तो जाएगी, लेकिन अब चुनौतियां भी काफी बढ़ गई हैं.

ऐसे में एनडीए के सहारे सरकार बन तो जाएगी, लेकिन अब चुनौतियां भी काफी बढ़ गई हैं. कामकाजी फैसले लेते समय बीजेपी को सहयोगी दलों का भी ख्याल रखना होगा. बीजेपी के सहयोगी दलों की विचारधारा उससे अलग है. कई मुद्दों को लेकर सहयोगी दलों और बीजेपी के बीच सोच का काफी अंतर है. यही वजह है कि कॉमन सिविल कोड पर मोदी सरकार को थोड़ा थमकर कदम बढ़ाने पड़ सकते हैं. सीटों के इस झटके के बाद अब बीजेपी को पार्टी संगठन में भी बदलाव की ओर सोचना पड़ सकता जाए. लगता है आने वाले दिनों में पार्टी रीस्टार्ट के मूड में दिखाई दे सकती है. यानी कुल मिलाकर बात यह है कि देश की जनता ने इस बार किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं दिया जिसके कारण इस बार की सरकार में खड़े फैसले लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन जनता का जो भी मूड था उसके देश को बता दिया है

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