Connect with us

सावधान – जल रहे उत्तराखंड को नहीं बचाया तो उत्तराखंड सहित उत्तर भारत के करोड़ों लोगों पर आएगा संकट : खतरे की घंटी शुरु ।

उत्तराखण्ड

सावधान – जल रहे उत्तराखंड को नहीं बचाया तो उत्तराखंड सहित उत्तर भारत के करोड़ों लोगों पर आएगा संकट : खतरे की घंटी शुरु ।

*उत्तराखंड को जलने से नहीं बचाया तो उत्तर भारत में हो जाएगा जल संकट

उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग से ग्लेशियर पिघलने लगे हैं और जल स्रोत सूखने लगे हैं यह देश की सबसे बड़ी आपदा है लेकिन इस आपदा को गहराई से नहीं लिया जा रहा है इसमें गहन मंथन करने की जरूरत है ,जब जंगलों में आग लगती है तो पानी के स्रोत सूख जाते हैं उत्तराखंड में पिछले कुछ समय से बड़े तापमान के कारण ग्लेशियर पिघलने लगे हैं और इतनी तेजी से पिघल रहे हैं कि आने वाले कुछ सालों में ग्लेशियर समाप्त हो सकते हैं अगर ऐसा होता है तो उत्तर भारत के अनेक राज्यों जैसे कि उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल ,पंजाब, हरियाणा ,दिल्ली जैसे बड़े भूभाग में पानी का बड़ा संकट हो जाएगा । जहां देश में वैसे भी पानी का संकट लगातार बढ़ रहा है ऐसे में अगर उत्तराखंड के जंगलों की आग नहीं रोकी गई तो उत्तराखंड के साथ-साथ पूरा उत्तर भारत सूखे की चपेट में आ जाएगा ।।

*आग की समस्या को गहराई से नहीं लेते नेता और विभाग

देश में इस समय राजनीतिक भाषणों की आग लगी हुई है। लेकिन दूसरी ओर पहाड़ जल रहे हैं, लोग मर रहे हैं । आपने पहाड़ों में चले आओ का संदेश देने वाले अनेक गीत सुने होंगे, लेकिन अब सरकारें कह रही हैं अभी कुछ समय मत आइए पहाड़,क्योंकि पहाड़ जल रहे हैं। फिर भी हुक्मरानों द्वारा केवल बातें हो रही हैं लेकिन आप ध्यान रखें यह केवल जंगल नहीं जल रहे बल्कि पहाड़ के लोगों की उम्मीद जल रही है ।। ऐसा लगता है अब लोग काफल का स्वाद भी गूगल में सर्च करके ही लेंगे, बुरांश के फूल को प्लास्टिक का बनाकर दुकान में सजाया जाएगा, क्योंकि क्या आपने ध्यान दिया आग की खबर तो बन जाती है , और कुछ टीवी में बैठकर एक- दो डिबेट भी हो जाती हैं लेकिन क्या हम आज तक इस समस्या की जड़ में गए ? नहीं गए। लेकिन अब जाना होगा ।

*आग से पहाड़ियों के आजीविका पर खतरा

यह केवल पेड़ नहीं जल रहे, यह पहाड़ी महिलाओं की उम्मीदें जल रही है, क्योंकि महिलाओं की आजीविका का एकमात्र साधन पशुपालन है लेकिन जंगलों की आग के कारण वह पशु नहीं पाल पा रही हैं , खैर छोड़ो आपको यह बातें हल्की लग रही होंगी आओ आते हैं सीधे मुद्दे पर ।।

* किसानों की फसल भी हो जाएगी तबाह

पहाड़ों की आग ने पहाड़ को तबाह कर दिया है ,जंगली जानवर आग में जल के मर रहे हैं , भारत के हुक्मरान विदेश से तो जानवर भारत ले जाते हैं लेकिन भारत में पल रहे जंगली – जानवर जल रहे हैं , और जो जंगलों की आग के बच गए उन्हें खाने को कुछ नहीं मिल रहा है , खुद ही आजीविका बड़ाने के लिए भटक रहे किसानों की फसल पर भी खतरा आ गया है इसीलिए लगता है पहाड़ अपने आप को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है , गर्मी बढ़ने के साथ ही उत्तराखंड के जंगलों में आग हमेशा बेकाबू हो जाती है ।

* नैनीताल में आग से बेहाल होते हालात

नैनीताल के जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए वायु सेना के हेलीकॉप्टर की मदद लेनी पड़ी थी। पिछले एक हफ्ते के दौरान जंगलों में आग लगने की 250 घटनाएं हुई, जिसमें लगभग 300 हेक्टेअर वन संपदा को नुकसान पहुंचा है। वनाधिकारियों के अनुसार कुमाऊं में नैनीताल और चंपावत जिला वनाग्नि की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। चाहे अब फायर सीजन तक वन अधिकारियों और कर्मचारियों के छुट्टी पर रोक लग गई हो ।

* हर साल बढ़ जाती है जंगलों में आज की घटनाएं

क्या आपको पता है राज्य में नवंबर 2023 के बाद से अब तक जंगलों में आग की 600 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं। इसमें कुमाऊं में 331, गढ़वाल मंडल में 128 और वन्यजीव क्षेत्र में 51 घटनाएं हुई हैं। इन घटनाओं में राज्य में कुल 725 हेक्टेयर क्षेत्रफल में वन संपदा को नुकसान पहुंचा है। आग लगने से बांज, बुरांश, के पेड़-पौधे जलकर नष्ट हो गए। पहले तो हमें यह समझना होगा कि आग सिर्फ उत्तराखंड के जंगलों में नहीं लगती है. बल्कि दुनियाभर के जंगलों में वनाग्नि की घटनाएं होती हैं. लेकिन सवाल है उत्तराखंड के जंगलों में आग की घटनाओं ज्यादा क्यों होती हैं. जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे उत्तराखंड के दोनों मंडलों कुमाऊं और गढ़वाल के जंगलों में आग लगने की घटनाओं में इजाफा होने लगता है.

* चीड़ का जंगल बना पहाड़ों के लिए अभिशाप

इसका प्रमुख कारण तो पहाड़ों के जंगलों में चीड़ के पेड़ों की बहुतायत होना है, और चीड़ के पेड़ों से गिरने वाला पीरूल बेहद ज्वलनशील होता है. एक चिंगारी पूरे जंगल को जला देती है.* आग के पीछे शरारती तत्व भी शामिलजंगलों में आग की घटनाओं के पीछे कई बार शरारती तत्व भी होते हैं जो जानबूझकर जंगलों में आग लगा देते हैं, और एक जंगल से फैलते-फैलते यह आग कई जंगलों तक पहुंच जाती है और विकराल रूप धारण कर लेती है. पत्थर से पत्थर टकराने के कारण उत्पन्न होने वाली चिंगारी के कारण भी जंगलों में आग लग जाती है. जब किसी पहाड़ में आग लगती है तो पत्थर गर्म हो जाते हैं और गर्मी के कारण वह चटकने लगते हैं और नीचे की ओर गिरते हैं जब एक गर्म पत्थर दूसरे गर्म पत्थर में टकराता है तो चिंगारी उत्पन्न होती है और हर चिंगारी उत्तराखंड को जला रही है ।।

* आग पर काबू पाना होनी चाहिए पहली प्राथमिकता

अब इस आग को रोकना होगा तब हम उत्तराखंड के को बचा सकते हैं।। सभी सरकारी विभागों को मिलकर इसके समाधान के प्रयास करने होंगे और लोगों से भी निवेदन है कि इस सीजन में कहीं भी आग ना लगाएं और कहीं लगी हो तो उसे बुझाने का कष्ट करें , आपको यह लेख कैसा लगा अवश्य बताइए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद नमस्कार @दीपक जोशी ।।

Ad Ad

More in उत्तराखण्ड

Trending News

About

प्रतिपक्ष संवाद उत्तराखंड तथा देश-विदेश की ताज़ा ख़बरों का एक डिजिटल माध्यम है। अपने क्षेत्र की ख़बरों को प्रसारित करने हेतु हमसे संपर्क करें  – [email protected]

Editor

Editor: Vinod Joshi
Mobile: +91 86306 17236
Email: [email protected]

You cannot copy content of this page