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मकर संक्रांति (उत्तरायणी पर्व)2025

उत्तराखण्ड

मकर संक्रांति (उत्तरायणी पर्व)2025


सभी सनातनीय पाठकों, धर्मावलंबियों को नमस्कार, सादर प्रणाम, सत्य सनातन वैदिक धर्म की जै।
अवगत कराना चाहूंगी दिनांक 14 जनवरी 2025 दिन मंगलवार को मकर संक्रांति पर्व मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति पर्व 2025 और भी विशेष है क्योंकि इस वर्ष 14 जनवरी 2025 से प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, हम सभी सनातनीय अत्यंत ही सौभाग्यशाली है क्योंकि 144 वर्षों के बाद महाकुंभ का आयोजन होता है और हम सभी के लिए यह ईश्वर की असीम कृपा तथा आशीर्वाद ही है कि हमें इस पवित्र महाकुंभ को देखने/स्नान करने का सु:अवसर प्राप्त हो रहा है।

मकर संक्रांति पर सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसी को मकर संक्रांति पर्व के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2025 में 14 जनवरी को प्रातः 8:41 पर सूर्य देव का गोचर धनु राशि में हो रहा है।

संपूर्ण वर्ष में सूर्य देव छः माह दक्षिण एवं छः माह उत्तर में भ्रमण करते हैं जब सूर्य देव कर्क राशि से धनु राशि तक की राशियों में भ्रमण करते हैं उसे दक्षिणायन एवं मकर राशि में गोचर के साथ ही सूर्य देव का गमन उत्तर दिशा की ओर होने से उत्तरायण प्रारम्भ हो जाता है जिसका समय मकर राशि से मिथुन राशि में गोचर(भ्रमण) तक रहता है।

भारत एक रंग अनेक भारतवर्ष में वर्ष भर में कई त्योहार मनाए जाते हैं उसमें से विशेष पर्व होता है मकर संक्रांति मकर संक्राति भारतवर्ष के अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग नाम एवं अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाने वाला पर्व है। जैसे तमिलनाडु में पोंगल, उत्तर प्रदेश और बिहार में खिचड़ी, गुजरात में उत्तरायण, पश्चिम बंगाल में गंगासागर मेला के नाम से व उत्तराखंड में मकर संक्रांति पर्व को घुघुतिया और उत्तरैणी के नाम से भी जाना जाता है।
धार्मिक मान्यतानुसार मकर संक्रांति पर सूर्य देव स्वयं अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं। क्योंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं। अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है । धार्मिक मान्यतानुसार उत्तरायणी पर्व मनाने का विषेश कारण यह भी माना जाता है की दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि अर्थात नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है
मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है।
मकर संक्रांति पर दान
मकर संक्रांति पर स्नान, दान का विशेष महत्व होता है मकर संक्रांति पर खिचड़ी,तिल, गुड, तेल, घी, उड़द, वस्त्र, दक्षिणा आदि का दान करना अति शुभ फल कारक होता है।
मकर संक्रांति पर्व मंगलवार को पढ़ने से शनि की साडेसाती से तथा शनि की ढैया से पीड़ित जातकों को भगवान श्री राम के अनन्य भक्त श्री हनुमान जी तथा शिव की विशेष पूजा अर्चना, व शिवजी को जल अर्पित करने से लाभ प्राप्त होगा क्योंकि पवित्र माघ(मकरार्क) माह शिव जी का अत्यंत प्रिय माह है, हनुमान जी शिवजी के ही अंशावतार है।

ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी
8395806256

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