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जोशीमठ त्रासदीन्यायालय में राय देने से पहले प्रभावित लोगों एवं स्वतंत्र वैज्ञानिकों की राय ले सरकार।

उत्तराखण्ड

जोशीमठ त्रासदीन्यायालय में राय देने से पहले प्रभावित लोगों एवं स्वतंत्र वैज्ञानिकों की राय ले सरकार।


जोशीमठ भू धसांव को लेकर चल रही याचिका पी.सी.तिवारी बनाम सरकार आदि में न्यायालय को सरकार की ओर से सुझाव देने हेतु उत्तराखंड की मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी द्वारा आयोजित बैठक में याचिकाकार से इस गंभीर तथा महत्वपूर्ण मामले में जोशीमठ के प्रभावित लोगों को सुनने एवं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा स्वतंत्र व निष्पक्ष वैज्ञानिकों की राय लेने की मांग की।
ज्ञातव्य है कि उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष की जनहित याचिका 67/ 2021 में सुनवाई करते हुए एनटीपीसी द्वारा कार्य शुरू करने और विस्फोट करने की अनुमति हेतु दायर प्रार्थना पत्र पर एनडीएमए नई दिल्ली में सभी पक्षों के साथ सुनवाई कर सरकार के माध्यम से अपनी राय न्यायालय में प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे। एनडीएमए कि इस रिपोर्ट पर विचार करने के लिए उत्तराखंड की मुख्य सचिव ने 8 अगस्त को देहरादून में बैठक बुलाई।
बैठक के याची पी सी तिवारी एवं उनके अधिवक्ताओं ने इस गंभीर मामले में एनडीएमए को उनके द्वारा दिए गए लिखित सुझावों को एनडीएमए की रिपोर्ट में शामिल न देने का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट से अपनी घोर असहमति व्यक्त की और सरकार को इस आशय पर अपनी लिखित आपत्ति भी प्रस्तुत की। जिसमें एनडीएमए की रिपोर्ट को एक पक्षीय बताते हुए सरकार से इस संवेदनशील तथा महत्वपूर्ण मामले में जोशीमठ के प्रभावित लोगों की राय जानने के लिए जनसुनवाई करने तथा ऐसे निष्पक्ष व स्वतंत्र विषय विशेषज्ञों, भू वैज्ञानिकों की राय लेने की मांग की जो एनटीपीसी तथा एनडीएमए से प्रभावित न रहे हों।
याची ने कहा कि सरकार को कोई भी फैसला लेने से पहले हिमालय की संवेदनशीलता इससे पूर्व घटित हुई त्रासदियों के अनुभवों को देखते हुए यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि विष्णुगाड़ तपोवन परियोजना समेत किसी भी परियोजना को सुरक्षित बताने वाली संस्थाओं, व्यक्तियों को उनकी राय और संस्तुतियों के बावजूद होने वाली किसी भी तरह की हानि की जिम्मेदारी लेने को तैयार रहना चाहिए जिसमें सिविल तथा अपराधिक जिम्मेदारी भी शामिल रहें।
ज्ञातव्य है कि जोशीमठ के इस चर्चित तथा महत्वपूर्ण मामले में 13 अगस्त मंगलवार को उच्च न्यायालय नैनीताल में सुनवाई तय है।
उत्तराखंड की मुख्य सचिव की ओर से 8 अगस्त को बुलाई गई इस बैठक में सचिव ऊर्जा, सचिव सिंचाई, जिलाधिकारी चमोली, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एनटीपीसी, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन/ प्रशासन उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, प्रबंध निदेशक एनटीपीसी विष्णुगाड़ हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट रानीग्राम, मलारी, निदेशक उत्तराखंड आपदा न्यूनीकरण भूस्खलन एवं प्रबंधन केंद्र उत्तराखंड के साथ याचिकाकार पीसी तिवारी एवं नरेश नौड़ियाल शामिल रहे।

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